Environment

नाइजर डेल्टा में आर्थिक अपराध

शैल, नाइजीरिया के तेल उद्योग में इसकी आनुषंगिक कंपनियां, और स्थानीय व अंतर्राष्ट्रीय अभिजात्यों को नाइजर डेल्टा (नदीमुख भूमि) में पर्यावरण विनाश का उत्तरदायित्व लेना ही होगा। इसके अलावे बाक़ी सब केवल पब्लिक रिलेशन दिखावा है।
नव-उदारी तर्क के अनुसार, नाइजर डेल्टा के विशाल पारिस्थितिकी तंत्र (इकोसिस्टम) का अपक्षय, शैल द्वारा मुनाफ़े के संचय का अपरिहार्य बाई-प्रॉडक्ट है। मगर स्थानीय सरकारें और अंतर्राष्ट्रीय संगठन भी इसके लिए बराबर से जिम्मेदार हैं, क्योंकि वे ही पूरी सक्रियता के साथ वैश्विक आर्थिक व्यवस्था तंत्र को बनाए रखते हैं, और कारपोरेट समृद्धि को राष्ट्रीय हित के रूप में प्रस्तुत करते हैं।
नव-उदारी तर्क के अनुसार, नाइजर डेल्टा के विशाल पारिस्थितिकी तंत्र (इकोसिस्टम) का अपक्षय, शैल द्वारा मुनाफ़े के संचय का अपरिहार्य बाई-प्रॉडक्ट है। मगर स्थानीय सरकारें और अंतर्राष्ट्रीय संगठन भी इसके लिए बराबर से जिम्मेदार हैं, क्योंकि वे ही पूरी सक्रियता के साथ वैश्विक आर्थिक व्यवस्था तंत्र को बनाए रखते हैं, और कारपोरेट समृद्धि को राष्ट्रीय हित के रूप में प्रस्तुत करते हैं।

जनवरी 2021 में एक डच कोर्ट का शैल की नाइजीरियन सब्सिडियरी को लगातार तेल रिसावों के चलते स्थानीय किसानों को हो रहे नुकसान का मुआवज़ा देने के आदेश का बहुतों द्वारा स्वागत किया गया, और कुछ मामलों में लोगों के ख़ुशी के आंसू छलक पड़े। इसके बावजूद कि इस सुनवाई का परिणाम निश्चित रूप से इसके तात्कालिक पूर्ववर्ती विकल्प से बेहतर है, अभी इसका जश्न मनाना जल्दबाज़ी होगी। मामले की वास्तविक ताक़त मुख्य रूप से एक ऐसी समेकित अभियोजन की प्रक्रिया को शुरू करने और आवेग देने की लहर बना सकने की क्षमता में है जो अंततः तेल कारपोरेट गुटों (कंग्लोमेरेटों) को सचमुच प्रभावी ढंग से जिम्मेदार ठहराने तक पहुंच सके।

सरकारों और अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं के ख़िलाफ़ नाइजर डेल्टा में हानिकारक गतिविधियों पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए जाने के लिए दबाव के अतीत के प्रयास अपर्याप्त सिद्ध हुए हैं। नव-उदारी पूंजीवाद के अंतर्गत, हानिकारक गतिविधियों को ऐसे व्यवहारों और नीतियों के माध्यम से वैधता प्रदान करते हुए उनका पुनरुत्पादन किया जाता है—यदि सामुदायिक मुआवज़े का तेल उद्योग में आम चलन हो जाये, तो ऐसे खर्च उनके संगठनिक तुलन-पत्रों (बैलेंस शीट) में व्यापारिक लागत का हिस्सा बन कर रह जाएंगे। ऐसे नियमों का अंतर्निहित तत्व, इन खर्चों को बोझ के रूप में स्वीकार करना है, और इस विचारधारा को बल प्रदान करना है कि पर्यावरणीय और सामाजिक कल्याण व सुरक्षा में केवल लागत निहित है। क्षेत्र में वास्तविक और महत्वपूर्ण परिवर्तन की संभावनाओं को खोलने के लिए यह अनिवार्य है कि हम अपराधों को नए सिरे से देखें, इन अपराधों में अभिजात्य वर्ग की गतिविधियों को भी शामिल करें, और नव-उदारवादी विचारों को ध्वस्त करे।

नाइजर डेल्टा का जटिल और अंतर्गुँथित इकोसिस्टम असंख्य-अपरिमित फ़्लोरा और फौना प्रजातियों का घर, और स्थानीय ओगोनी जनों की संस्कृति, पहचान, व आजीविका के लिए मूलभूत महत्व का है। दशकों से उनकी जीवन शैली पर कुठाराघात होता रहा है, और बहुत से समुदाय अपने पुरखों की जड़ों-ज़मीनों से विस्थापित किए जा कर, पुनरावेगित नहीं हो सकने की स्थिति तक प्रदूषित की जा चुकी और संघर्ष व अशांति से घिरी ज़मीनों और जल संसाधनों पर अपने अस्तित्व के संघर्ष के लिए छोड़ दिए गए हैं। बार-बार होने वाले तेल रिसाव सालों से ट्रांसनेशनल कारपोरेशनों और स्थानीय समुदायों के बीच तनाव का मूल श्रोत बने हुए हैं, एक ऐसा संघर्ष जिसकी पहचान चरम शक्ति असमानताओं और न-सुलझ-सकने-वाले विचारधारात्मक अंतर्विरोधों की बन चुकी है।

आज, कारपोरेट और संस्थानिक खिलाड़ियों की अलग-अलग मगर विशिष्ट रूप से अंतर्संबंधित भूमिकाएँ हैं, जो एक ऐसे अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक तंत्र को बनाये रखने के लिए परस्पर पूरक के रूप में काम करती रहती हैं, जिसमें अपराध सहज अंतर्निहित है। आजादी बाद के नाइजीरिया में, असमान शक्ति संबंधों के पुनरुत्पादन और पूँजी संचय के हित में गरीब बहुसंख्या की जरूरतों का हनन, वैश्वीकरण और नव-उदारीकरण के माध्यम से बढ़ता गया है। इसने भ्रष्टाचार प्रसार और नव-औपनिवेशिक़ वातावरण को बल प्रदान किया है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हम देखते हैं कि पूंजीवाद अपनी पूरी नग्नता के साथ आर्थिक अपराधों के प्रसार-फैलाव के लिए हर जगह उर्वर जमीन तैयार करता जा रहा है। इसके बावजूद इसे भी समझना ज़रूरी है कि वर्चस्वकारी आर्थिक व्यवस्था तंत्र को अपने आप में अलग-थलग समस्या के रूप में देखना सरलीकरण होगा — हमें अनिवार्य रूप से उन विशिष्ट ताकतवर खिलाड़ियों (पॉवर ऐक्टरों) की भूमिकाओं की और गहन परख-पड़ताल करनी होगी जो नव-उदारी पूंजीवाद का प्रतिनिधित्व करते हैं, उसे आवेग प्रदान करते हैं और उसका पुनरुत्पादन सुनिश्चित करते हैं।

इस पर विचार करने के लिए, सम्भवतः कारपोरेट खिलाड़ी सबसे पहले और सबसे उपयुक्त दिखते हैं — इनमे से बहुत सारे बहुत गहन रूप से लॉबीइंग में लगे हुए हैं, और नियामक फ़्रेमवर्क के अंदरूनी खेल में माहिर बन कर अथवा नियम-नियंत्रण पूरी तरह से समाप्त कर देने के लिए काम करते हुए (आज के सघन बाज़ार केंद्रित वातावरण में यह बिल्कुल भी मुश्किल या तकलीफ़देह काम नहीं है), खुद को पूरी तरह से सुरक्षित रखते हैं। नाइजीरिया में तेल सिंडिकेट लगातार क़ानून के ख़िलाफ़ काम करते हुए समुदायों के हित में संरक्षणकारी सुरक्षात्मक विधानों को रोकने के लिए आक्रामक रूप से प्रयत्नशील हैं। क्षेत्र में तेल रिसावों के सटीक आँकड़ों में जगह के अनुसार अंतर हो सकता है, मगर इसे आसानी से समझा जा सकता है कि हाल के दशकों में नाइजर डेल्टा के इकोसिस्टम में कम से कम सत्तर लाख बैरल तेल का अवैध रिसाव हुआ है। शैल पेट्रोलियम के अपने रिकॉर्ड में 1989 से उसके इस इलाके में गतिविधियां शुरू करने के बाद से कंपनी के वार्षिक औसत के अनुसार प्रति वर्ष 221 रिसाव दर्ज हैं - निश्चित रूप से सही आंकड़े इससे कहीं अधिक होंगे।

इन स्वीकारोक्तियों के बावजूद, शैल इस पर अड़ा है कि इन रिसावों का मुख्य और प्राथमिक कारण स्थानीय हुड़दंगियों द्वारा तोड़-फोड़ की कार्यवाहियाँ है।यद्यपि अरबों डॉलर के तेल संगुट (कंग्लोमेरेट) और चार स्थानीय किसानों के बीच 13 वर्ष लम्बे विवाद का परिणाम दोष मढ़ने के अब तक के मुख्यधारा विमर्शों-तर्कों को पलटने की दिशा कुछ दूर तक जाता है, मगर ये सतही जीतें अपने आप में किसी दीर्घकालीन परिवर्तन को अंजाम दे पाने के लिए पर्याप्त नहीं हैं। शैलऔर उसकी अनुषंगिक कंपनियों को हर हाल में उन भयावह त्रासदियों का दायित्व स्पष्ट रूप से स्वीकार करना होगा जो मुनाफे की उनकी भूख का परिणाम हैं। इन स्वीकारोक्तियों को अनिवार्य रूप से पुनर्जनन-पुनरुत्थान के कार्य लायक योजनाओं के साथ जोड़ा जाना होगा। यह वह न्यूनतम है जिससे पिछले तमाम दशकों में किए गए भयावह रूप से अपरिमित सामाजिक और पर्यावरणीय नुकसान की भरपाई की शुरुआत हो सकती है।

पारदर्शी और ईमानदार लेखा-जोखा के लिए अपनी प्रतिबद्धता सार्वजनिक रूप से घोषित करने के बावजूद, शैल और ब्रिटिश पेट्रोलियम (BP) इसके ख़िलाफ़ लगातार लॉबीइंग करते हुए, उद्योग में आय-व्यय पारदर्शिता अनुपालन से संबंधित नियमों को निरस्त करवाने में सफल रही हैं। बहु-प्रचारित "केन सारोविवा की हत्या" ताकत की उस क्रूर नंगी सच्चाई को बेनक़ाब करता है जो इन आर्थिक महाबलियों को किसी भी विरोध के दमन के लिए हासिल है। और भी दहला देने वाली बात इन आपराधिक कॉरपोरेट खिलाड़ियों का वह उद्दंड अहंकार है, जिसके साथ वे खुद को सामुदायिक संरक्षकों, मानवाधिकार योद्धाओं, या पर्यावरणीय पोषणीयता के अग्रदूतों के रूप में प्रस्तुत-महिमामंडित करते हैं !

राजनीतिक खिलाड़ी भी, डेल्टा और उससे परे आर्थिक अपराधों को अंजाम दिए जाने में मूलभूत भूमिका निभाते हैं। 500 अरब डॉलर से ज्यादा का तेल राजस्व नाइजीरियन राजनीतिक नेताओं द्वारा लूटे जाने का आकलन है (आजादी के बाद से), जो अपनी ताक़त और सार्वजनिक पद का दुरुपयोग निजी सामाजिक, आर्थिक, या राजनीतिक फ़ायदे के लिये करते हैं। नाइजीरिया इसका एक कुख्यात उदाहरण बन चुका है, जहाँ तथाकथित "गॉडफादर" राजनीतिक अभिजात्य वर्ग बन चुका है, जो विशाल संरक्षक “पेट्रोनेज़ नेटवर्कों” के शीर्ष से निर्देशन-संचालन करता है। मूलभूत स्तरों पर, राज्य और सत्तासीन पूंजीवादी वर्ग सामूहिक रूप से अपनी संस्थानिक शक्ति का पोषण और विस्तार विद्यमान सामाजिक सम्बन्धों के पुनरुत्पादन, और यथास्थिति को बनाए रखने के लिए करते हैं। नाइजीरिया में, सरकारी अभिजात्य आदिवासी समुदायों के दमन में तेल कंपनियों और सेना की साँठ-गाँठ के साथ लिप्त रहते हैं। इनकी एकजुटता अंतहीन पूंजीवादी विस्तार, और वैयक्तिक संपदा-समृद्धि वृद्धि की सांझी आकांक्षा, के चलते है।

ऐसी स्थिति में, नुक़सान किसी एक पार्टी के ग़लत क्रियाकलापों के चलते नहीं, बल्कि उस तात्विकता और उद्येश्य की केन्द्रीयता के चलते है जिसकी संचालक शक्ति मुनाफ़ा और विस्तार की कभी नहीं मिटने वाली है। नव-उदारवादी तर्क के अनुसार, नाइजर डेल्टा के प्राकृतिक इकोसिस्टम का दीर्घ कालिक विनाश, पश्चिम में शैल डायरेक्टरों के द्वारा मुनाफ़े और संचय के अपरिहार्य बाई-प्रॉडक्ट के रूप में ख़ारिज किया जा सकता है। मगर इन अंतर्क्रियाओं में स्थानीय सरकारें और अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएँ इन कारपोरेटों के साथ अविछिन्न रूप से अंतर्गुँथित हैं, क्योंकि नव उदारी विचारधारा को पुष्ट करने, बाज़ारों का निर्माण करने, और कारपोरेट हितों को राष्ट्रीय हित का पर्याय बना देने के माध्यम से वे पूरी सक्रियता और मुस्तैदी के साथ वैश्विक आर्थिक तंत्र को बनाए रखती हैं।

ताकतवर खिलाड़ियों की नियमों- क़ानूनों को प्रभावित अथवा निर्देशित कर सकने की क्षमता, आर्थिक अपराधों के प्रसार-विस्तार के लिए अनिवार्य है। बहुत से ऐसे खिलाड़ी नियामक और नियंत्रित (रेगुलेटर और रेगुलेटेड) के बीच झूलन दरवाज़े (रिवाल्विंग डोर) से मनमर्ज़ी आते-जाते रहते हैं। फिर भी नियामक और नियंत्रित का यह द्वैध उस निर्णायक महत्वपूर्ण तथ्य को सामने नहीं ला पाता है कि तात्विक रूप से नियामक संस्थाएँ राज्यों और करपोरेटों के पक्ष में ही काम करती हैं : पूंजीवादी विश्व-व्यवस्था का संघर्ष-विहीन- निरापद पुनरुत्पादन। अधिकांश अंतर्राष्ट्रीय नियामक संधियाँ उन बंद कमरों में बनायी जाती हैं जहाँ वैश्विक उत्तर के हितों की प्रतिनिधि आवाज़ों का ही वर्चस्व होता है। ये स्थितियाँ असमान शक्ति संतुलनों की गति को निरंतरता प्रदान करती हैं, और ऐसे राजनीतिक व्यवहारों को बढ़ावा देती हैं जिन्हें अब पर्यावरणीय नस्लवाद के रूप में चिन्हित किया जा रहा है। इन अर्थों में, क़ानून अक्सर पूँजी संचय के संरक्षक, और आपराधिक सामाजिक नुक़सान के मूलभूत चालक, की भूमिका में होता है।

“ईको-अपराधों” की रोकथाम के अधिकांश विद्यमान प्रयास (विशेषकर नव-उदारी विजेताओं द्वारा दिए गए समाधान के नुस्ख़े) एक ऐसे "हरित पूंजीवाद" की आकांक्षाएं हैं जिसकी दिशा अंतर्निहित रूप से पर्यावरण को नुक़सान पहुंचाने वाले व्यवहारों को नियंत्रित करने की है।ये नीतियाँ उन क्षतिपूरक समझौतों से बहुत अलग नहीं है जिनमे से एक की चर्चा इस लेख की शुरुआत में की गयी है, और जो अंततः खुद नुक़सान पैदा करने वाले बन जाते हैं, क्योंकि ये "सामाजिक रूप से हानिकारक व्यवहारों के बाज़ारीकरण" को वैधता प्रदान करते हैं। इन परिस्थितियों में, सरकार की सफलता का पैमाना नुक़सान को केवल कम करना, न कि निर्मूल करना, माना जाता है। पूँजीवादी व्यवस्था में नियामक फ़्रेमवर्क आमतौर पर गरीब बहुसंख्या की जरूरतों को उन आर्थिक रूप से शक्तिशालियों के हितों के मातहत कर देते हैं, जिनकी समाज को आपराधिक नुक़सान पहुँचा सकने की बेलगाम क्षमता अक्सर क़ानूनी रूप से चुनौती-विहीन बनी रहती है। यह प्रवृत्ति शैल की सबसे नई “पोषणीयता रिपोर्ट" में पूरी उद्दंडता से उजागर होती है, जो दावा करती है कि यदि प्रतिकूल सामाजिक और पर्यावरणीय परिणामों से बचना "संभव नहीं है", तब इनके प्रभावों को न्यूनतम किए जाने की रणनीति अपनाई जाती है।

जब मामला अभियोजन के स्तर पर पहुँचता है, कहानी असहनीय विवशता की त्रासदी बन जाती है।आपराधिक न्याय व्यवस्था "अपरिहार्य रूप से सत्ताधारी वर्ग के सदस्यों द्वारा और उन्हीं के हित में चुने गए लोगों के माध्यम से नियंत्रित और संचालित होती है, जिनके भ्रष्ट नीतियों व व्यवहारों को बनाए रखने और यहाँ तक कि विस्तारित करने में अपने खुद के निहित और गर्हित हित हैं।" वे इस प्रकार से निर्मित की जाती हैं कि उनमें शक्तिशालियों के ख़िलाफ़ अभियोजन से बचने की अंतर्निहित प्रवृत्ति बनी रहे। इस आम प्रवृत्ति के कभी-कभी अपवाद भी हो जाते हैं: कभी-कभी न्यायिक व्यवस्थाओं को अपनी कार्यप्रणाली के प्रदर्शन के लिए कतिपय सांकेतिक कार्यवाहियों में उतरना ज़रूरी हो जाता है। ऐसे उदाहरणों में, नियामक संस्थाएँ कारपोरेट उल्लंघनों को चिन्हित और दंडित करते हुए किसी एक पहचान की तात्कालिक जरूरतों को पूँजी के दीर्घकालिक हितों की माँग के मातहत कर देती हैं। इसी के साथ ऐसी प्रतीकात्मक कार्यवाहियाँ समूची न्याय व्यवस्था को वैधता प्रदान करने में भी सहायक होती हैं।

नाइजर डेल्टा में ज़्यादा सख़्त विनियम, जुर्माना, और प्रतिबंध, स्थानीय जनता के लिए सकारात्मक परिणाम दे सकने में पर्याप्त नहीं होंगे। यह "क्षेत्र में लागू नियामक संधियों" की विशाल संख्या से सिद्ध हो चुका है, जिनका प्रभाव समुदायों के अंदर अर्थपूर्ण परिवर्तन सुनिश्चित कर सकने की दिशा में बेहद सीमित रहा है। अंतर्निहित रूप से हानिकारक व्यवहारों को विनियमित करने का काम विद्यमान राजनीतिक-आर्थिक सत्ता तंत्र में गहरे जड़ जमा चुकी समस्या को रेखांकित करता है।नाममात्रिक आर्थिक सुधार केवल ऐसे नये रास्तों को खोज निकालने का काम करेंगे जिससे ताकतवर नुक़सान करते रह सकें। डेल्टा की प्राकृतिक संतुलन व्यवस्थाओं को पुनर्जीवित-पुनरावेगित करने के प्रयास खुद उन विद्यमान नव-उदारी विचारधाराओं और नीतियों के ज्वार की चुनौती का सामना कर रहे हैं, जो अंततः विदोहनकारी उद्योग को "हरित" करने के सारे प्रयासों को ध्वस्त कर देगी।

निर्विवाद रूप से संस्थानिक खिलाड़ियों की वर्चस्वकारी अवस्थितियाँ आर्थिक अपराध के प्रसार को बल प्रदान करती हैं। नव-उदारी आर्थिक तंत्र को बनाए रखना अपने आप में अपराध जनने और पोषित करने वाला है, क्योंकि शांतिपूर्ण सामाजिक पुनरुत्पादन उस ताकतवर अल्पसंख्यक वर्ग के निहित स्वार्थों की सेवा करता है, जो खुद को समाज की व्यापक-वृहत्तर जरूरतों के अनुसार संचालित होने से इनकार कर देता है। नाइजीरिया के नाइजर डेल्टा में, इन परिस्थितियों का परिणाम स्थानीय समुदायों द्वारा अपने लिए न्यायपूर्ण, सम्मानपूर्ण, और सुविधाजनक जीवन-शैली हासिल करने के लिए अनथक संघर्ष है।

फ़ीबी लीड्स विश्वविद्यालय से ग्लोबल डेवलपमेंट से मास्टर डिग्री धारक हैं, और प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन, मूल निवासी अधिकार, और आर्थिक अपराध के राजनीतिक अर्थशास्त्र के शोध व अध्ययन में विशेष रुचि रखते हैं।

Photo: Sosialistisk Ungdom / Flickr

Available in
EnglishItalian (Standard)HindiFrenchGermanSpanishPortuguese (Portugal)Portuguese (Brazil)
Author
Phoebe Holmes
Translators
Vinod Kumar Singh and Aditya Tiwari
Date
04.05.2021
Source
Original article🔗
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