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एसपीए: समय है की हम देशद्रोहियों और उनके आकाओं के खिलाफ खड़े हों, या फिर अपने बच्चों का पतन देखें!

काबुल विश्वविद्यालय पर हुए घातक हमले पर सोलीडेरिटी पार्टी ऑफ अफगानिस्तान (एसपीए) का बयान।
काबुल विश्वविद्यालय नरसंहार और अन्य अत्याचारों के अपराधी न केवल तालिबान और आइसिस हैं, बल्कि कब्ज़ा करने वाले अमेरिकी, पाकिस्तान, ईरान और सऊदी अरब की सरकारें और कठपुतली घानी-अब्दुल्ला सरकार भी हैं।
काबुल विश्वविद्यालय नरसंहार और अन्य अत्याचारों के अपराधी न केवल तालिबान और आइसिस हैं, बल्कि कब्ज़ा करने वाले अमेरिकी, पाकिस्तान, ईरान और सऊदी अरब की सरकारें और कठपुतली घानी-अब्दुल्ला सरकार भी हैं।

खूँखार और अनाड़ी तालिबान ने हाल के दिनों में दो शैक्षणिक संस्थानों को निशाना बनाया है: काबुल के दश्त-ए-बरची क्षेत्र में कौसर-ए-दानिश ट्यूशन केंद्र पर आत्मघाती हमला, और काबुल विश्वविद्यालय में युवाओं की निर्मम हत्या। हालांकि, इन अपराधों के लिए पूरी तरह से तालिबान या आइसिस पर दोष लगाना केवल मूर्खता है। तालिबान और आइसिस दरअसल अन्य जिहादी गुटों की तरह अपने आकाओं के लिए छद्म युद्ध छेड़ने के लिए, अफगान कठपुतली सरकार के सहयोग से साम्राज्यवादी और प्रतिक्रियावादी क्षेत्रीय देशों द्वारा भर्ती किए गए भाड़े के कुत्ते हैं। काबुल विश्वविद्यालय के छात्रों के नरसंहार और अन्य अत्याचारों के अपराधी न केवल तालिबान और आइसिस हैं, बल्कि अमेरिकी कब्ज़ा करने वाली, पाकिस्तान, ईरान और सऊदी अरब की सरकारें और कठपुतली घानी-अब्दुल्ला सरकार भी हैं जिन्होंने पहले अनस हक्कानी और फिर 6,000 से अधिक तालिबान लड़ाको को रिहा किया ।

अमेरिकी सरकार और उनके चाटुकार - साथ ही साथ अफगान सरकार और इसके तथाकथित “विश्लेषकों” और “विशेषज्ञों” का दावा है कि आइसिस और तालिबान दो अलग-अलग घटना है। सोलीडेरिटी पार्टी ऑफ अफगानिस्तान (एसपीए) वर्षों से जोर दे रही है कि सभी जिहादी समूह (जिहादी गुट, तालिबान, अल-कायदा, हक्कानी नेटवर्क, आइसिस, और फतेमियून ब्रिगेड सहित) एक ही सिक्के के दो पहलू हैं - प्रत्येक को मालिक की जरूरतों के अनुसार इस मैदान में उतारा गया है, और केवल जिहादी गुटों और तालिबान की पकोल टोपी और सफेद पगड़ी को आइसिस सेनानियों की काली पगड़ी के साथ बदल दिया गया है। हमने हमेशा कहा है कि अगर जिहादियों के राजनीतिक चाटुकार नहीं होते, तो मुल्ला उमर, हिबतुल्ला अखुँड, मुल्ला मंसूर, अब्बास स्टानिकज़ाई, बिन लादेन या अल-बगदादी भी नहीं होते।

अब, तालिबान के क्रूर नेताओं में से एक, अब्दुल सलाम हनाफी ने दोहा में एक साक्षात्कार में धूमधाम से घोषणा की कि अफगानिस्तान में तालिबान के अलावा कोई अन्य सशस्त्र बल नहीं है। हम यह भी पढ़ रहे हैं कि सरकारी अधिकारी जैसे कि अमरुल्लाह सलेह (अफ़ग़ान उपराष्ट्रपति), सिद्दीक सिद्दीकी (राष्ट्रपति के प्रवक्ता), और शाह हुसैन मोर्ताजावी (राष्ट्रपति घानी के पूर्व उप प्रवक्ता), तालिबान के खिलाफ चेतावनी देते दिख रहें हैं – वही अधिकारी जिन्होंने लोया जिरगा (महासभा) के दौरान तालिबानी कैदियों की रिहाई की वकालत करी थी। अगर सरकार की गंदगी छुपाने के लिए ज़िम्मेदार मुर्तज़वी अंतरात्मा को ज़रा सी भी चोट लगी होती, तो वह हमारे निर्दोष युवाओं के खून के छींटे देख कर खुद को जिम्मेदार ठहराते; इसके बजाय, उन्होंने बेशर्मी से सुश्री बेलक्विस् रोशन पर हमला कर दिया, जो लोया जिरगा में एकमात्र जागरूक आवाज़ थी। उपराष्ट्रपति सालेह ने हॉलीवुड एक्शन हीरो जैसा नाटक करते हुए, हमारे लोगों को विचलित करने के लिए शहर भर में कुछ वांछित ठगों के पोस्टर लटका दिए। श्री सालेह, अगर आप पिछले चार दशकों में हत्याओं, लूटपाट, मादक पदार्थों की तस्करी, बलात्कार, और कई अन्य बर्बर अपराधों में शामिल रहे वास्तविक अपराधियों और देशद्रोहियों के चित्र चिपका दें, तो आपको हम लोगों का सम्मान मिलेगा। बेशक, सीआईए द्वारा प्रशिक्षित व्यक्ति से ऐसी कोई उम्मीद करना निरर्थक है!

राष्ट्रपति घानी, जिनके पास अपनी इच्छाशक्ति नहीं है, और व्हाइट हाउस द्वारा नियंत्रित किये जाते है, ने काबुल विश्वविद्यालय में नरसंहार करने वाले युवाओं के लिए राष्ट्रीय शोक का दिन घोषित किया था। काबुल में अमेरिकी दूतावास ने अपना झंडा आधा झुका दिया था। घानी सरकार को हमारे लोगों के प्रति संवेदना प्रदान करने का कोई अधिकार नहीं है, और वास्तव में, इस बेशर्म कृत्य के साथ, सरकार ने हमारे लोगों, विशेष रूप से पीड़ितों के रिश्तेदारों के घावों पर नमक छिड़क दिया है। ट्रम्प के चुनावी अभियान के लिए हजारों तालिबान कैदियों को रिहा करने के बाद घानी हमेशा के लिए बदनाम हो गए हैं। श्री घानी, आपको राष्ट्रीय शोक का दिन घोषित नहीं करना चाहिए था, बल्कि आपको अपने और अन्य कठपुतली सरकारी अधिकारियों के लिए राष्ट्रीय शर्म का दिन घोषित करना चाहिए, जिनके विश्वासघात ने हर पल और हर दिन दुःखद बना दिया है। अगर दोहा में सरकारी वार्ताकारों के बीच कोई मानवता की थोड़ी सी भावना वाला भी होता, तो वह घृणास्पद तालिबान नेताओं के सामने थूक देता और उस हास्यास्पद वार्ता को छोड़ देता।

शोकाकुल साथी नागरिक!

सोलीडेरिटी पार्टी ऑफ अफगानिस्तान (एसपीए) यह पुष्टि करती है कि कोई कब्जा करने वाला बल या आंतरिक नौकर हमें शांति और सुरक्षा नहीं देगा, क्योंकि उनकी शक्ति हमारे दुख में निहित है। अफगान लोगों की शांति और भलाई केवल अमेरिका के कब्जाधारियों, पाकिस्तान और ईरान के विदेशी सरकारी एजेंटों, आतंकवादियों, और उनके सभी कट्टरपंथियों और गैर-कट्टरपंथी अफगान अभावों को दूर करके ही हासिल की जा सकती है। हमारे लोगों के सक्षम हाथ ही ऐसा कर सकते हैं। जागरूकता, एकता, और गद्दारों और विदेशी हस्तक्षेपियों के खिलाफ अफगानिस्तान के दमनकारी महिलाओं और पुरुषों के एकजुट संघर्ष के बिना, यह आतंक और रक्तपात जारी रहेगा। इसलिए, आइए हम उठे - ताकि हम इतिहास की निंदा का पात्र न बने।

Available in
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Translators
Surya Kant Singh and Mohit Sachdeva
Date
18.11.2020
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