"हम महिला हत्या रोक कर रहेंगे प्लेटफार्म" ( वी विल स्टॉप फेमीसाइड प्लेटफार्म) की प्रवक्ता फ़िदान अतासेलिम ने दुवार (Duvar English) को, 20 मार्च को इस्तांबुल के कदिकोय की ओर प्रदर्शन के लिए जाते समय रास्ते में बताया, "बिल्कुल अभी के अभी, पूरे देश में महिलाओं को सड़कों पर उतर पड़ने की जरूरत है, राष्ट्रपति को यह बताने के लिए कि उन्हें अपना निर्णय उलटना ही होगा"।
इस्तांबुल कन्वेंशन, वह अंतर्राष्ट्रीय संधि, जो अपने सभी हस्ताक्षरकर्ताओं को महिलाओं की सुरक्षा के लिए कानून बनाने के लिए निर्देशित करता है, लगभग एक वर्ष से तुर्की के फ़ेमिनिस्ट आंदोलन और अंकारा के बीच रणभूमि बना हुआ है। इससे बाहर हो जाने की अफवाहें विरोध पक्ष और सत्तासीन पीपुल्स अलायंस दोनो की ही क़तारों में विवादों को हवा देती रही हैं।
विरोधी म्यूनिसिपेलिटियां और एनजीओ 2020 की गर्मियों से ही इस संधि के बारे में जागरूकता अभियान चला रहे हैं, जिससे कि सरकार और कंजर्वेटिव अभिमत के नेताओं द्वारा इसके विरुद्ध दुष्प्रचार की काट हो सके ।
एर्दोगन की आधी रात की डिक्री को अधिकांश लोग 2023 में होने वाले चुनाव की तैयारी में मुल्ला सर्किलों के साथ अपने रिश्तों को मजबूत करने के प्रयास, और साथ ही देश के अस्थिर राजनीतिक परिदृश्य में फेरबदल करते रहने के लिए हमेशा तैयार रहने के रूप में देख रहे हैं।
संधि के आलोचक कन्वेंशन का विरोध उसके "सभी जेंडरों" के अधिकारों का संरक्षण करने के आधार पर कर रहे हैं, एक ऐसी शब्दावली, जिसे वे ग़ैर-विपरीत लिंगी अभिवृत्तियों को बढ़ावा देने वाला, और इसलिए परिवार की मूलभूत संस्था के लिए खतरा मानते हैं।
"यह कन्वेंशन कहीं शून्य से नहीं आया था। यह उन सैकड़ों महिलाओं के जीवनों की बुनियाद पर बना था जिनकी हत्या की गयी थी" अतासेलिम कहती है, "इन्हें मनमानी नहीं छीना जा सकता है।"
हम महिला हत्या रोक कर रहेंगे प्लेटफार्म और महिला असेंबलियों के देर-रात और राष्ट्रव्यापी सांगठनिक प्रयासों के परिणामस्वरूप इस्तांबुल प्रतिरोध प्रदर्शन के लिए 3 बजे शाम और 5 बजे शाम का दो समय मिला था।
पहले प्रदर्शन के बाद, समूहों ने अपनी सभाओं को पूरी तरह अलग-अलग करने के बजाय अपनी भीड़ों को एक में मिलाने का फ़ैसला लिया। इस तरह एक संयुक्त रैली आयोजित की गयी जो 3 बजे शाम के कुछ ही देर बाद से शुरू हुई और 6 बजे के बाद तक चलती रही।
"हम अपनी रैलियों और आवाजों को एकजुट कर रहे हैं" प्रतिनिधियों ने भीड़ से मेगा फोन पर कहा, और भीड़ सीटियों की गूँजों, तालियों की गड़गड़ाहटों, और नारों से गूंज उठी।
तुर्की की महिला असेंबलियों ने भी 21 मार्च की रात को घर-के-अंदर प्रतिरोध संगठित करते हुए भागीदारों से अपने घरों की खिड़कियों पर रात 9 बजे शोर करने का आह्वान किया, वह परंपरा, जो 2013 के गेज़ी प्रतिरोध से शुरू हुई थी और जिसका पुनरुत्थान कोविड-19 की बंदिशों और कर्फ्यू के बीच हुआ।
राष्ट्रपति एर्दोगन का अचानक इस्तांबुल कन्वेंशन से बाहर निकल जाना तुर्की के फ़ेमिनिस्ट आंदोलन के लिए एक झटका था जिसने महिलाओं को अनपेक्षित समस्याओं का तेज़ी से हल निकालने के लिए एक साथ मिलकर काम करने के लिए मजबूर कर दिया, यह कहना था हावले विमेंस एसोसिएशन की स्वघोषित मुस्लिम फ़ेमिनिस्ट कार्यकर्ता रुमेसा कामदेरेलि का, रैली के एक दिन बाद 'दुवार इंगलिश' से ।
कामदेरेलि ने कहा " इस्तांबुल कन्वेंशन बहस ने महिलाओं को बहुतेरे मुद्दों पर तेजी से प्रतिक्रिया देने के लिए साथ आने को मजबूर किया जो अपने आप में एक समस्या है, खासकर उस समस्या का जागने के बाद सामना करने के लिए, जो उस समय हमारे सामने नहीं थी जब हम बिस्तर पर गए थे।"
कामदेरेलि ने कहा, एर्दोगन का यह कदम आदमियों के एक ख़ास समूह को ख़ुश करने के लिए था। उसने आगे जोड़ा कि उसे उम्मीद है, रूढ़िवादी महिलाओं की इस्तांबुल कन्वेंशन के बारे में राय बदल जाएगी जब वे उन समूहों को देखेंगीं जो इसके वापस होने के बाद खुशियां मना रहे हैं।
" हम हमेशा कहती हैं, तुम ज़रूर ही अपनी बीबी को पीटना चाहोगे, अगर तुम्हें इस्तांबुल कन्वेंशन की परेशानी न हो, क्योंकि इसके नहीं होने से तुम्हारे लिए अन्य कोई अवरोध नहीं रह जाएगा। इसलिए मैं उम्मीद करती हूँ कि विभिन्न हिस्सों की औरतें यह समझ पायेंगी कि ऐसा होना आदमियों के हाथों को मजबूत करेगा इसलिए हम सबको मिलकर एकजुट प्रतिरोध करना चाहिये।"
हाल के वर्षों में तुर्की के फ़ेमिनिस्ट आंदोलन ने अपनी विविधता का विस्तार किया है, जिसमें कामदेरेलि का प्रदर्शनों में शामिल होना भी शामिल है। कामदेरेलि ने जोड़ा कि इस्तांबुल कन्वेंशन के लिए चुनौती आ जाने के परिणामस्वरूप महिला आंदोलन ने एलजीबीटीआइ+ आंदोलन के साथ ज्यादा संरचनात्मक तरीकों से जुड़ना-सहयोग करना शुरू किया है।
"मौसम और पेंडेमिक की प्रतिकूलता के बावजूद महिलाएं वहाँ 6 बजे शाम के बाद तक रुकी रहीं। मैं सोचती हूँ, बहुत सारी महिलाओं ने, जिनमे मैं भी शामिल हूँ, खुद को वहां ले चलने और महिलाओं के विशाल जुटावे को सफल बनाने की ज़रूरत महसूस की, क्योंकि यह खबर (डिक्री की) बिल्कुल ही समझ से बाहर है।" कामदेरेलि ने कादिकोय प्रदर्शन के बारे में बताया।
अपने बेटे के साथ प्रदर्शन में शामिल हुई 67 वर्षीया गोज्दे ई ने बताया कि वह प्रदर्शन में इसलिए शामिल हुई है क्योंकि वह आजादी के आदर्श में विश्वास करती है, और उसकी हिफाजत करना चाहती है, इसके बावजूद कि वह अपने ही देश रहते हुए भी खुश नहीं है।
" मैं यहाँ बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं महसूस करती हूँ। यहां तक कि वे मुझे एक औरत की तरह महसूस भी नहीं करने देते। हम कभी भी, कहीं भी मारे जा सकते हैं, हमारा बलात्कार हो सकता है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप आदमी हो या औरत।" 67 वर्ष की उम्र में पहली बार फ़ेमिनिस्ट प्रदर्शन में शामिल होते हुए उसने बताया।
पहली बार शामिल हुई प्रदर्शनकारी ने अपना अंतिम नाम गुप्त रखे जाने की इच्छा जतायी क्योंकि उसे डर था कि सरकार उसकी सेवानिवृत्ति पेंशन छीन लेगी यदि उन्हें उसके नए कार्यकर्तावाद की भनक लग गयी तो।
" मैं यहाँ बच्चों के लिए, और मित्रों के लिए हूँ। तुर्की जैसे देश में सभी को अपने अनुसार जीवन जीने का अवसर होना चाहिये।"
एर्दोगन का कन्वेंशन से अचानक बाहर हो जाने का निर्णय ज्यादातर लोगों द्वारा देश में महिला हत्या के प्लेग की उद्दंड अनदेखी के साथ-साथ अल्पसंख्यकों, विशेषकर ग़ैर-बाइनरी और क्वीर व्यक्तियों की पहचान को पूरी तरह से नकार दिए जाने के रूप में देखा जा रहा है।
" हम यहाँ हैं, क्योंकि हम न केवल महिलाओं के, बल्कि हर उस व्यक्ति के, जो ट्रांस है, जो 'मर्द' नहीं है, के खिलाफ हिंसा की इन नीतियों का अंत चाहते हैं।" गोज्दे ई के बेटे और एलजीबीटीआइ+ कार्यकर्ता ड़ेनिज़ ने कहा। उन्होंने अपने पूरे नाम अपनी सुरक्षा की दृष्टि से छिपाने का आग्रह किया।
माँ और बेटे के साथ ड़ेनिज़ का पार्टनर ओकते भी था, जिसने अपनी पहचान एक कुर्द फ़ेमिनिस्ट आदमी के रूप में बताते हुए जोड़ा कि व्यक्ति को किसी उद्येश्य का समर्थन करने के लिए उसके साथ अपनी पहचान जोड़ने की जरूरत नहीं होती, और "फ़ेमिनिस्ट आदमी भी होते हैं"।
"इस देश में परिवर्तन और क्रांति तब आयेगी जब लोग उनके साथ खड़ा होना, और उनके अधिकारों की बात करना शुरू करेंगे जो उनसे अलग हैं।" ओकते ने, एक सार्वजनिक संस्थान में अपने पद सुरक्षित रखने की दृष्टि से अपने अंतिम नाम छुपाते हुए कहा।
ओकते के लिए, तुर्की के कुर्द समुदाय को महिला आंदोलन के अग्रिम मोर्चे पर होना चाहिए, क्योंकि कुर्द वह समुदाय है जो उसके अनुसार सरकार द्वारा व्यवस्थागत रूप से बर्बरता पूर्वक दमित और उपेक्षित किया गया है।
संभवतः, भागीदारों की यह असामान्य त्रिमूर्ति, गोज्दे ई, ड़ेनिज़, और ओकते तुर्की में फ़ेमिनिस्ट आंदोलन के उस विविधीकरण का हिस्सा हैं जिसे कामदेरेलि ख़ासतौर पर रेखांकित करती है।
कादकोय की पतली, घुमावदार सड़कों पर बरसाती रविवार को मार्च करते हुए तमाम उम्रों, पृष्ठभूमियों, और संबद्धताओं की महिलायें और पुरुष अपनी आवाज़ों को अभूतपूर्व तरीके से यह कहने के लिए मिलाने आए थे कि वे राष्ट्रपति की डिक्री के साथ नहीं, बल्कि तुर्की महिला आंदोलन की वर्षों की मेहनत के फल की रक्षा में खड़े होने के लिए आए हैं।