सम्पादकीय टिप्पणी: निम्नलिखित लेख 'द रेड नेशन' द्वारा प्रकाशित किताब ‘द रेड डील: हमारी धरती को बचाने के लिए स्थानिक जनों की कार्यवाही' के परिचय का संक्षिप्त संस्करण है | 20 अप्रैल से उपलब्ध यह पूरी किताब आप यहाँ खरीद सकते हैं, और रेड मीडिया के काम का समर्थन पेट्रियोन पर यहां कर सकते हैं |
उपनिवेशवाद ने मूल निवासियों को, और उन सारे अन्य लोगों को भी जो इससे प्रभावित हैं, अपनी जरूरतों, सिद्धांतों, और मूल्यों के अनुसार विकास करने के साधनों से वंचित रखा है । इसकी शुरुआत जमीन से होती है। हमें केवल इसलिए "इंडियन " बनाया गया है क्योंकि हमारे पास अधिवासी राज्यों के मतलब की सबसे कीमती वस्तु है - ज़मीन | बाहुबली, पुलिस और सैनिक अक्सर हमारे, भूमि से हमारे सम्बन्धों और न्याय के आड़े आ जाते हैं । "भूमि छीनने की कार्यवाही अधिवासियों के दिल में दहशत पैदा करती है | लेकिन जैसा कि हम यहां दिखा रहे हैं, सम्पूर्ण ध्वंस के कगार पर झूल रहे ग्रह लिए यह सबसे उपयुक्त पर्यावरण नीति है | आगे का रास्ता सीधा-स्पष्ट है: वि-औपनिवेशिकरण या विलुप्ति।और इसकी शुरुआत भूमि-वापसी से होती है।
2019 में, मुख्यधारा पर्यावरण आंदोलन ने - जिस पर काफी हद तक वैश्विक उत्तर के मध्यऔर उच्च वर्गीय के उदारवादियों का वर्चस्व है - अपने प्रतीकात्मक नेता के रूप में एक स्वीडिश किशोरी को अपनाया, जिसने अमेरिका पहुँचने के लिए एक नाव से अटलांटिक महासागर पार किया | लेकिन हमारे अपने हीरो हैं। स्टैंडिंग रॉक पर जल रक्षको ने जुझारू भूमि रक्षा के एक नए युग की शुरुआत की है। वे हमारी पीढ़ी के रक्षक योद्धा हैं। जल रक्षक का वर्ष, 2016, अब तक का रिकॉर्ड गर्म साल था जो एक अलग तरह के जलवायु न्याय आंदोलन की चिंगारी बना | अलेक्जेंड्रिया ओकासियो-कोर्टेज़ ने, जो खुद एक जल रक्षक हैं, कांग्रेस के लिए अपनी सफल दावेदारी की शुरूवात स्टैंडिंग रॉक के प्रार्थना शिविर में की | सेनेटर एड मार्की के साथ, उन्होंने 2019 में ग्रीन न्यू डील का प्रस्ताव रखा। बहरहाल, स्टैंडिंग रॉक समूचे उत्तरी अमेरिका और अमेरिकी आधिपत्य वाले प्रशांत क्षेत्र के स्थानिक जनों के नेतृत्व वाले विद्रोहों के समूह का हिस्सा था : डूडा डेजर्ट रॉक (2006), यूनिस्टोटन कैंप (2010), कीस्टोन एक्स एल (2011), आइडल नो मोर (2012), ट्रांस माउंटेन (2013), एनब्रिज लाइन 3 (2014), प्रोटेक्ट मौना केया (2014), सेव ओक फ्लैट (2015), निहिगाल बी लीना (2015), बेयू ब्रिज (2017), ऊधम एंटी बॉर्डर कलेक्टिव (2019), कुमेयाय डिफेंस अगेंस्ट द वॉल (2020), और 1492 लैंड बैक लेन (2020), और भी कई सारे |
इनमे से हर आंदोलन उपनिवेशवादी और कारपोरेट की विदोहनकारी परियोजनाओं के खिलाफ उठा है। लेकिन वह बात जिसे अक्सर नज़रअन्दाज़ किया जाता है, जिन बातों के लिए मूल निवासी प्रतिरोध खड़े होते हैं उनकी क्रांतिकारी क्षमता है : देखभाल करना और पूंजीवाद द्वारा पूरी तरह से तबाह कर दिए गए ग्रह पर पर मानव और मानवेतर जगत के बीच न्यायपूर्ण रिश्ता बनाना। जल रक्षक की छवि और "जल ही जीवन है!" का नारा इस पीढ़ी के जलवायु न्याय आंदोलन के उत्प्रेरक हैं। दोनों ही विऔपनिवेशिकरण को आधार बनाने वाली राजनीतिक अवस्थितियाँ हैं - एक परियोजना जो संपूर्णतः केवल मूल निवासियों के लिए नहीं है। कोई भी व्यक्ति, जो स्टैंडिंग रॉक के प्रार्थना शिविरों के द्वार से गुजरा है, चाहे वह मूल निवासी हो या नहीं, जल रक्षक बन गया। हर व्यक्ति उस क्रांतिकारी क्षमता की ज्वाला को के अपने गृह समुदायों में ले गया। महामारी के पूरे दौर में, जरूरतमंद समुदायों में पारस्परिक सहायता के वितरण में जल रक्षक अग्रिम पंक्ति में थे। 2020 की गर्मियों में, जब पुलिस स्टेशन जल रहे थे और नरसंहार के स्मारक ध्वस्त हो रहे थे, जल रक्षक सिएटल, पोर्टलैंड, मिनियापोलिस, अल्बुकर्क और कई अन्य शहरों की सड़कों पर थे | जल रक्षकों के प्रति राज्य की प्रतिक्रिया - जल रक्षक, जो जीवन की देखभाल और रक्षा करते हैं - अंतहीन लाठीचार्ज, गुंडागर्दी, बेड़ियाँ, और रासायनिक हथियार है| अगर पहले नहीं तो अब, हमारी आँखें खुल चुकी हैं: पुलिस और सेना, जो कि अधिनिवासी और साम्राज्यवादी आक्रोश से चालित हैं, जलवायु न्याय आंदोलन को पीछे धकेल रहे हैं |
ग्रीन न्यू डील (जीएनडी), जो ईको-सोशलिज्म की तरह दिखता और प्रतीत होता है, दोनों के पक्ष में जन समर्थन के उत्प्रेरण का वास्तविक अवसर देता है | तात्विक रूप से पूंजीवाद-विरोधी और विउपनिवेशीकरण के प्रति ज़बानी समर्थन से, इसे और आगे जाना होगा - और इसी क्रम में उन आंदोलनों को भी, जो इसका समर्थन करते हैं |
यही कारण है कि रेड नेशन ने 2019 में रेड डील की शुरूवात करते हुए, मूल निवासी संधि अधिकारों, भूमि बहाली, सार्वभौमिकता, आत्मनिर्णय, विउपनिवेशिकरण और मुक्ति पर केंद्रित किया। हम इसे जीएनडी के प्रति-कार्यक्रम के रूप में परिकल्पित नहीं करते, बल्कि उसके आगे जा रहे हैं | यह "लाल" है क्योंकि यह मूल निवासी मुक्ति और एक क्रांतिकारी वामपंथी अवस्थिति को प्राथमिकता देता है। जैसा कि हम आगे के पृष्ठों में देखेंगे, यह मंच केवल मूल निवासी लोगों के लिए नहीं है।
जीएनडी में हर सामाजिक न्याय संघर्ष से जुड़ने की क्षमता है - मुफ्त आवास, मुफ्त स्वास्थ्य सुविधा, मुफ्त शिक्षा, हरित रोजगार से लेकर जलवायु परिवर्तन तक | इसी तरह, द रेड डील भी जलवायु परिवर्तन समेत सामाजिक न्याय के हर संघर्ष के केंद्र में पूँजीवाद विरोध और विउपनिवेशिकरण को रखता है। ऐसे कार्यक्रम की आवश्यकता का आधार इस भूमि के इतिहास और भविष्य दोनों में निहित है, और इसमें मानव और धरती के बीच सारे सामाजिक संबंधों का आमूलचूल परिवर्तन शामिल है |
मूल निवासी और गैर-मूल निवासी समुदाय के सदस्यों, कामरेडों, सम्बंधियों, और सहयात्रियों से व्यापक विमर्श,संवाद और प्रतिक्रियाओं आधार पर विकसित चार सिद्धांतों पर आधारित हमारा सामूहिक पर्यावरण कार्यक्रम इस प्रकार है:
राजनीतिज्ञ वह नहीं कर सकते जो जन आंदोलन कर सकते हैं।
राज्य पूंजी और उसके संरक्षकों की रक्षा करते हैं: शासक वर्ग की। वे लोगों की रक्षा नहीं करते | सुधारवादी जो परिवर्तन के लिए राज्य से अपील करते हैं, शासक वर्ग के हितों के साथ जुड़ कर हमारे भविष्य से समझौता कर लेते हैं। हम समझौता करने से इनकार करते हैं | लेकिन हम सुधार में विश्वास करते हैं - एक गैर-सुधारवादी सुधार, जो सम्भावनाओं को यथास्थिति के प्रस्तावों तक सीमित नहीं करता, बल्कि जो व्यापक जनसमुदायों की मांगों और आवश्यकताओं को प्राथमिकता देते हुए, संगठित और उन्नत करके सत्ता की मौजूदा संरचना को मूलभूत रूप से चुनौती देता है।
हम ऊपर से नीचे की ओर नीतियों को लागू करके व्यवस्था को उन्नत नहीं करना चाहते , हम उसे नष्ट करना चाहते हैं - या तो जलाकर या उसके लाखों छोटे-छोटे टुकड़े कर के -उसे प्रतिस्थापित करने के लिए | इस तरह सुधार का हमारा दर्शन सामाजिक संपदा को उन लोगों को वापस आवंटित करना है जो वास्तव में इसका उत्पादन करते हैं: श्रमिक, गरीब, मूल निवासी जन, महिलाएं, प्रवासी, भूमि के देखभाल करने वाले और स्वयं भूमि भी। सामाजिक सम्पदा के पुनर्स्थापन का मतलब उन लोगों के सशक्तिकरण से है, जिन्हें वंचित किया गया है। सामाजिक सम्पदा का पुनर्स्थापन एक ऐसे व्यापक जनआंदोलन के जरिये ही हो सकता है जिसमें शासक वर्गों से संसाधनों को पुनः हासिल करने और उन्हें वंचितों को पुनर्वितरित करने की शक्ति और साहस हो।
सिद्धांत से व्यवहार की ओर
व्हाइट हाउस से ले कर बहुराष्ट्रिक निगमों के सीईओ और स्वामी बिना किसी चुनौती के इस दुनिया को चलाते और लूटते हैं। यह देखते हुए कि, चंद गिने चुने व्यक्ति अरबों लोगों पर भयावह विनाश और मृत्यु थोप रहे हैं, आश्चर्य होता है कि वैश्विक उत्तर में इन बॉसों के लिए कोई सचमुच का ख़तरा खड़ा कर सकने में सक्षम संयुक्त वाम का उभार नहीं हो सका।विगत कुछ वर्षों में हमने जीवाश्म ईंधन उद्योग, पुलिस हिंसा, नस्लवादी आप्रवासी नीतियों, और श्रम के शोषण के ख़िलाफ़ विशाल ज़मीनी स्तर के विद्रोह देखे हैं, इसके बावजूद कुछ भी एक एकीकृत व्यापक जन आंदोलन के रूप में नहीं संगठित हो पाया। हमारा विश्वास है कि हमारे शरीरों और धरती के स्वास्थ्य की पुनर्बहाली हेतु ग़ैर-सुधारवादी सुधारों के लिए संघर्ष एक व्यापक जन आंदोलन खड़ा करने के लिए ताकतवर संवाहक का काम कर सकता है - और वह भी तेज गति से - जो बॉसों का मुक़ाबला कर सके।मगर तब केवल किसी चीज़ के विरोध में होने भर से काम नहीं चलेगा - हमें किसी चीज़ के पक्ष में भी होना होगा।
हम अपनी खुद की नीतियों का निर्माण ज़मीनी स्तर की कार्रवाई से करेंगे जिनकी दिशा एक दूसरे की देखभाल और समर्थन होगी | आवास, खाद्य सुरक्षा और सार्वभौमिकता,घरेलू और जेंडर हिंसा, न्याय, आत्महत्या रोकथाम, भूमि की पुनर्बहाली और भी बहुतेरे ग़ैर- सुधारवादी सुधारों के चतुर्दिक संगठित करते हुए हम मुक्ति की संरचनाओं का निर्माण कर सकते हैं, और करेंगे। जैसा कि ब्लैक पैंथर पार्टी ने अपने इतिहास में एक निश्चित मोड़ पर फैसला लिया था, द रेड नेशन भी महसूस करता है कि हमें अब यथार्थवादी और सिद्धांतवादी कार्यवाहियों में उतरना चाहिए, जो भविष्य में क्रांति के लिए हमारी संचित क्षमता के निर्माण में मदद करेंगी। हमें सच्चाई से मुंह नहीं मोड़ना चाहिए: हमारे पास अभी तक क्रांति की क्षमता नहीं है, अन्यथा हमने पिछले दशक की उल्लेखनीय क्रांतिकारी ऊर्जा से एक एकीकृत जन आंदोलन उभरता देखा होता। और इसके बावजूद, हमारे पास वहां पहुंचने के लिए बहुत कम समय है। यह हमारी पीढ़ी का अंतर्विरोध और कर्तव्य है: विउपनिवेशिकरण या विलुप्ति।
मुक्ति एक सिद्धांत नहीं, आवश्यकता है, और एक अधिकार भीजो धरती के आम विनम्र जनों का है। हम इसे कैसे सम्भव बनाएंगे? हम जेलों, बाल सेवाओं, अस्पतालों और कक्षाओं जैसे राज्य निगरानी के स्पेसों में, जो लोगों को अमानुष और शक्तिहीन करने के लिए बनाए गए हैं, लोगों को संगठित करने, आंदोलन करने और जन शक्ति का निर्माण करने के अवसरों से नहीं चूकेंगे। राज्य गरीब और श्रमिक वर्ग के लोगों को अपना निशाना बनाता है क्योंकि वह जानता है कि वे ही उसके अस्तित्व के लिए सबसे बड़ा खतरा हैं। हम अब राज्य को हमारे रिश्तेदारों की चोरी नहीं करने देंगे और न ही हमारी शक्ति में अवरोध डालने देंगे। हमें राज्य को अंदर और बाहर से झँझोड़ते रहना और खतरे को लाखों गुना बढ़ाना चाहिए, जब तक कि राज्य भरभरा कर ध्वस्त न हो जाए।
हमारे गैर-सुधारवादी सुधार कई रूपों में आएंगे। वे जमीनी स्तर के मूल निवासी बीज बैंक नेटवर्क की तरह दिखेंगे, जहां हजारों पोषणीय कृषि के किसान साझेदारी, व्यापार और अपने समुदायों का भरण पोषण करते हैं। वे नगर परिषद के चुनावों में सफल उम्मीदवारों की तरह दिखेंगे, जहाँ सफल वामपंथी उम्मीदवार नगर और म्युनिसिपल स्तरों पर जलवायु और सामाजिक न्याय के लिए जनता के कार्यक्रमों को लागू करते हैं। वे भूमि वापसी शिविरों या आदिवासी परिषद के प्रस्तावों की तरह दिखेंगे, जो उपनिवेशिक जल व्यवस्थाओं को ख़ारिज करने के लिए अन्य स्थानिक राष्ट्रीयताओं के साथ मिल कर पानी को बाज़ार की चीज़ बना देने के सरकार और कारपोरेट के प्रयासों को अवरुद्ध करने के लिए संघर्ष।
वे जो भी रूप लें, हमें बस काम में लगे रहना होगा।
:"द रेड डील: हमारी धरती को बचाने के लिए स्थानिक जनों की कार्यवाही" यहां ख़रीदें और रेड मीडिया के काम का समर्थन करें।