वांगान और जगलिंगू लोग मध्य क्वींसलैंड की एक मूलनिवासी राष्ट्रीयता हैं। उनका देश ऑस्ट्रेलिया के मिथकीय सूखे और धूसर सुदूरवर्ती क्षेत्र का हिस्सा है। लेकिन जैसा कि वे अच्छी तरह से जानते हैं, इसका जल पोषण डूंगमबुल्ला झरनों द्वारा भी होता है, जिसका पानी कार्मायकल और बेलींडो नदियों को भी भरताहै।
वांगान और जगलिंगु के लिए,ये झरने पवित्र स्थल हैं।एड्रियन बुरुगुब्बा, एक वांगान जन और लम्बे समय से मूलनिवासी भूमि-अधिकार कार्यकर्ता कहते हैं, "यह हमारे देश में पानी का एकमात्र स्रोत है जो शाश्वत है और जीवन प्रदान करता है।" "इसलिए इस जगह की रक्षा करना हमारे लिए अनिवार्य है - क्योंकि यह हमारा सपना है, यह हमारा अतीत है, यह हमारा वर्तमान है, और यह हमारा भविष्य है।"
इसी वांगान और जगलिंगो देश पर अडानी दुनिया की सबसे बड़ी और सबसे विवादास्पद जीवाश्म ईंधन परियोजनाओं में से एक कारमाइकल कोयला खदान बनाने की उम्मीद कर रहा है। अपने साठ साल के अनुमानित जीवनकाल में, खदान से 2.3 बिलियन टन कोयला के निर्यात और 4.7 बिलियन टन ग्रीनहाउस उत्सर्जन होने का आकलन है।
2019 में अडानी ने कोयले की खदान को रोकने के लिए बुरुगुब्बा द्वारा कई असफल कानूनी कार्रवाइयों के बाद उन्हें दिवालियापन की ओर धकेल दिया। हालांकि, वह अकेले नहीं हैं। अन्य लोग अडानी खदान के खिलाफ लड़ाई में शामिल हो गए हैं, जिनमें बुरुगुब्बा के बेटे, कोएडी मैकएवॉय शामिल हैं। मैकअवॉय ने जैकबिन को बताया कि कैसे पिछले आठ वर्षों से वांगान और जगलिंगो लोग अडानी द्वारा प्रताड़ित थे और कैसे ये लोग इसका हठीला प्रतिरोध कर रहे थे।
गैलील बेसिन में एक नयी कोयला पट्टी खोलकर, अदानी की नई खदान और अधिक खानों के लिए मार्ग प्रशस्त कर देगी। और अधिक वार्मिंग की वजह से ग्रेट बैरियर रीफ पर विनाशकारी विरंजन प्रभाव पड़ने की भी संभावना है, जो एबट पॉइंट कोयला टर्मिनल के पास स्थित है, जहां से अडानी अपने कोयले का निर्यात करेंगे। आईपीसीसी ने चेतावनी दी है कि यदि हमें जलवायु परिवर्तन के सबसे भयावह रूपों से बचना है तो सारे मौजूदा जीवाश्म ईंधन भंडारोंको ज़मीन के अंदर ही रहने देने की ज़रूरत है। इन सभी कारणों से, पर्यावरणवादी वर्षों से खदानों के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं।
वांगान और जगलिंगो राष्ट्र के लिए, खदान के प्रभाव और अधिक प्रत्यक्ष हैं। वे इसके विशाल खुले-कटे गड्ढे को अपनी भूमि को अपवित्र किए जाने के रूप में देखते हैं। खदान का अपार जल उपयोग - एक वर्ष में 12.5 बिलियन लीटर, और इसके अलावा वे गड्ढे से और कितना निकालते हैं -क्षेत्र की नाज़ुक जल प्रणाली और पास के डोंगमबुल्ला झरनों के लिए सीधा खतरा है।
जैसा कि मैकएवॉय बताते हैं, वांगान और जगलिंगो राष्ट्र ने अडानी के पहले प्रस्ताव को सीधा खारिज कर दिया था:
अदानी ने स्थानिक भूमि उपयोग समझौते (ILUA) पर हस्ताक्षर करने के लिए 2012 में पहली बार हमसे संपर्क किया। हमने उनके प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया, और उन्हें पूरा प्रस्ताव फिर से बनाना पड़ा। 2014 में, वे वापस आए और अपना ILUA पारित कराने के लिए प्राधिकार स्वीकृति बैठक आयोजित की - लेकिन समूह ने इसे फिर से ख़ारिज कर दिया।
इसके बावजूद , अडानी नहीं माने। जैसा कि मैकएवॉय कहते हैं, “2014 के बाद उन्होंने एक कायराना कार्यनीति का इस्तेमाल किया। उन्होंने समूह को विभाजित करने के लिए हमारे समूह के कुछ लोगों को रिश्वत दे कर ILUA के पक्ष में वोट करने के लिए राज़ी करना चाहा। "
अप्रैल 2016 में हुई एक और बैठक में खदान के पक्ष में स्पष्ट रूप से 294 और विरोध में केवल 1 वोट पड़े। लेकिन तभी से बैठक की वैधता विवादित है। यह वांगान और जगलिंगो परिवार परिषद द्वारा शुरू की गई तीन असफल अदालती चुनौतियों की विषयवस्तु रही है।
अब अदालत का विकल्प समाप्त हो गया है, लेकिन वांगान और जगलिंगो परिवार परिषद अभी भी परिणाम स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं।मैकएवॉय का कहना है कि बैठक में वोट करने वाले कई लोग वांगान और जगलिंगिंग भी नहीं थे, और उन्हें सीट भरने और हाँ वोट करने के लिए पैसे दिए गए थे।
वहाँ उपस्थित कई अन्य लोगों को पता भी नहीं था कि बैठक में क्या हो रहा है। जिन लोगों ने बैठक का आयोजन किया, मैकएवॉय बताते हैं, उन्हें उनके द्वारा लाए गए लोगों की संख्या के अनुसार पैसे दिए गए थे - और उन उपस्थित लोगों को निर्देश दिया गया था कि कैसे वोट दें। बैठक का निर्णय सबकी पूर्व सहमति से नहीं किया गया था।
इसी के साथ, यद्यपि कि उनका परिवार वांगान और जगलिंगो राष्ट्र के सबसे प्रमुख और सक्रिय सदस्यों में था, उन्हें इस बैठक में भाग लेने की अनुमति नहीं दी गयी । "मुझे प्रवेश से मना कर दिया गया था," मैकएवॉय याद करते हैं। " इसलिए हमारे परिवार ने बैठक का बहिष्कार कर दिया , और हम तभी से उस झूठी बैठक के खिलाफ लड़ रहे हैं।"
अदालतों और मीडिया में अडानी के साथ जूझते हुए वर्षों बीतने ने वांगान और जगलिंगो राष्ट्र के सदस्यों पर अपना असर डाला। मैकएवॉय के पिता खदान के सबसे प्रमुख विरोधियों में से रहे हैं। जैसा कि मैकएवॉय बताते हैं:
हमारे परिवार पर पिछले छह वर्षों से इसका भारी प्रभाव पड़ा है। मीडिया में उनकी कई बार चरित्र हत्या की गई है। . . . अदानी से लड़ते हुए पिछले तीन वर्षों में, मेरे पिता ने दो भाइयों और एक बेटे को खो दिया है। इसने इतना बुरा प्रभाव डाला है कि उन्हें संभलने के लिए थोड़ा पीछे हटना पड़ा । लेकिन फिर भी हमें कहीं न कहीं से संघर्ष करते रहने की हिम्मत मिलती है क्योंकि हम एक मज़बूत परिवार हैं और हम सच्चाई और न्याय में विश्वास रखते हैं।
इस बीच, वांगान और जगलिंगो देश को एक तरह के आंतरिक विभाजन का सामना करना पड़ा है, जो मूल निवासी स्वामित्वस्वीकृति कानूनों के तहत हुए विवादों में दुर्भाग्यवश आम तौर पर होता है। ये कानून आदिवासी लोगों को उनकी पारंपरिक भूमि पर सीमित अधिकार प्रदान करते हैं, जो सबूत और कानूनी प्रक्रियाओं के भारी बोझ के अधीन होते हैं और जो अक्सर पारंपरिक स्वामियों के गुज़र जाने के बाद भी लंबे समय तक चलते रहते हैं। मैकएवॉय बताते हैं:
स्थानिक स्वामित्व प्रणाली ने वही किया है जिसके लिए इसे बनाया गया है - यह फूट डालने और जीतने, खनन का विरोध करने वाले लोगों को बाहर करने, उन्हें अलगथलग करने, और अधीनता स्वीकार करने वाले परम्परागत स्वामियों की जमात खड़ा करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह खनन कंपनियों के लिए बनाया गया है, न कि मूल निवासी लोगों के लिए। यहां तक कि जब आप मूल निवासी की पहचान हासिल कर लेते हैं तब भी आपको कुछ नहीं मिलता है; आपको केवल इतनी क्षमता हासिल होती है कि आप अपने ही देश में किसी चरवाहे से अनुमति लेकर डेरा डाल सकें और शिकार कर सकें।
अडानी की कारमाइकल खदान के ख़िलाफ़ लड़ाई हाल के वर्षों में ऑस्ट्रेलिया की सबसे प्रमुख भूमि-अधिकार लड़ाई है। फिर भी वांगान और जगलिंगो राष्ट्र को अपनी मूल निवासी पहचान का दावा दर्ज कराने के बीस साल से अधिक समय के बाद भी इसका समाधान नहीं हुआ है - निश्चित रूप से कुछ हद तक अडानी के खदान प्रस्ताव के कारण।
कई असाधारण सरकारी हस्तक्षेप भी हुए हैं। मई 2017 में, लेबर के समर्थन के साथ, तब के अटॉर्नी जनरल जॉर्ज ब्रैंडिस ने मूल निवासी स्वामित्व पहचान अधिनियम में संशोधन के लिए हस्तक्षेप किया। यह कदम फेडरल कोर्ट द्वारा पश्चिमी ऑस्ट्रेलियाई सरकार और पारंपरिक स्वामियों के बीच हुए एक समझौते को पलट दिए जाने के बाद आया, इस आधार पर कि संबंधित आदिवासी कबीले अथवा दावा करने वाले समूहों के सभी प्रतिनिधियों ने इस पर हस्ताक्षर नहीं किए थे।
गठबंधन ने इस निर्णय को एक मिसाल बन सकने की सम्भावना के रूप में लिया जो अदानी के ILUA के खिलाफ वांगान और जगलिंगु दावे के पक्ष में जा सकती है।ब्रैंडिस के माध्यम से किया गया परिवर्तन, खनन कंपनियों और अन्य लोगों के लिए असहमत मूलनिवासी प्रतिनिधियों को बाहर कर के आभासीस् बहुमत के साथ ILUAs समझौते हासिल कर पाना काफी आसान बना देता है। ब्रैंडिस ने अदानी के खिलाफ किसी भी फैसले को स्थगित करने के लिए, जब तक कि वह क़ानून में बदलाव नहीं कर लेता, वांगान और जगलिंगिंग मामले की अध्यक्षता करने वाले न्यायाधीश को प्रोत्साहित किया।
इस कदम के बाद, अगस्त 2019 में, क्वींसलैंड राज्य सरकार ने अडानी द्वारा लीज़र ली गई भूमि पर वांगान और जगलिंगो के मूल निवासी स्वामित्व दावे को समाप्त कर दिया - यह राज्य के मूल निवासी स्वामित्व के इतिहास में एक अभूतपूर्व कदम था।
2019 में, वांगान और जगलिंगो राष्ट्र की संघीय अदालत में तीसरी अपील ख़ारिज हो गयी। इसके बाद अदानी ने एड्रियन बरुगुबा के खिलाफ दिवालियापन की कार्यवाही शुरू की। मैकएवॉय ने ज़ोर देकर कहा कि कानूनी झटके कभी भी उनके परिवार को अडानी के खिलाफ खड़े होने से नहीं रोक सकेंगे:
वांगान और जगलिंगू प्रतिरोध कभी भी केवल अदालतों के बारे में नहीं रहा है - अदालतें एक पश्चिमी शैली की प्रणाली हैं जो वास्तव में हमारी संस्कृति और कानून को मान्यता नहीं देतीं।... वे भ्रष्ट की जा सकती हैं क्योंकिराजनेता न्यायाधीश की राय को प्रभावित कर सकता है।
फैमिली काउंसिल के कई सदस्यों ने 2015 में दुनिया की यात्रा कर के और , प्रमुख वित्तीय संस्थानों के साथ बैठक कर उन्हें एक नहीं करने पर दबाव दिया,जिसके लिए परम्परागत स्वामियों का अनुमोदन नहीं था।यह दबाव, और साथ ही खान की आर्थिक उपादेयता के प्रतिकूल पूर्वानुमान,का यह अर्थ है कि अडानी अब तक अपनी कारमाइकल खदान के लिए सुरक्षित जमानत सुनिश्चित कर पाने में विफल है।
इसके बावजूद, अदानी अपने मूल प्रस्ताव के काफी डाउनसाइज्ड स्ववित्तपोषित संस्करण के साथ आगे बढ़ रहा है। खदान की पूरी तरह से स्वीकृति मिल चुकने, और तेज़ी से काम शुरू हो जाने को दृष्टिगत रखते हुए, अब प्रतिरोध आंदोलन को अपनी रणनीति बदलने की ज़रूरत है।
सितंबर 2019 में, मैकएवॉय ने अडानी की खदान लीज़ पर कोरोबोरे मैदान की साफ़-सफ़ाई करके शिविर स्थापित कर दिया। वर्तमान में अडानी के पास चरवाहा लीज़ रूप में ज़मीन है।ऑस्ट्रेलियाई कानून के तहत, इसका मतलब है कि इसे चरवाहों और मूल निवासी स्वामित्व-पहचान आवेदकों और धारकों के साथ साझा किया जाना चाहिए।
शिविर पर मैकएवॉय के पहले दो प्रवास छोटे और एकाकी थे। लेकिन, अगस्त 2020 में, वह वांगान और जगलिंगो पारंपरिक स्वामित्वधारकों, अन्य मूलनिवासी लोगों और समर्थकों के समूह के साथ वहाँ वापस आए औरशिविर तक पहुँचने के लिए अडानी के श्रमिकों का मार्ग एक ऐसे बिंदु पर,जहां वह मवेशी ग्रिड के लिए संकुचित होता था वहाँ उत्सवी आग जला कर अवरुद्ध कर दिया।चार दिनों तक , समूह वहीं मवेशी ग्रिड पर जमा रहा, जिससे अदानी के लोगों को कार्य स्थलों तक पहुंचने के लिए पीछे के रास्ते का उपयोग करने के लिए मजबूर होना पड़ा। यह केवल एक नाकाबंदी नहीं थी, जैसा कि मैकएवॉय बताते हैं:सड़क को अवरुद्ध करने के अन्य तरीके भी हैं, लेकिन मैंने जानबूझकर उस आग को आध्यात्मिकता, ताक़त और शक्ति के प्रतीक के रूप में जलाया। जीवित अग्नि का एक आध्यात्मिक अर्थ होता है जो पुलिस के लिए इससे निपट पाना बहुत कठिन बना देता है।
"अपने संघर्ष पर अड़े रहना"वांगान और जगलिंगो लोगों द्वारा अपने अभियान के नए चरण को दिया गयानाम है, जो शिविर के जुझारूपन और अपने पावों तले की धरती से अपने रिश्ते दोनो को प्रतिबिम्बित करता है। यह वह बिंदु है जहां संस्कृति और प्रतिरोध अंतर्गुँथित होते हैं , अपने देश की रक्षा के लिए हाथ में हाथ डाले खड़े हो कर।
नाकाबंदी के दौरान, पुलिस के वार्ताकारों ने आग के आसपास बैठकर लंबी बातचीत में फँसाने की कोशिश की। मगर , वांगान और जगलिंगु ने उन्हें स्पष्ट कर दिया कि वे अडानी के चले जाने तक वहीं रहेंगे। पांचवीं सुबह, चालीस से अधिक क्वींसलैंड पुलिस बल समूह को जबरन हटाने के लिए पहुँच गया औरउनकी पवित्र आग को बुझाते हुए अवरुद्ध सड़क को फिर से खोल दिया गया।
अन्य मूलनिवासी लोगों के समूह के साथ कोएडी मैकएवॉय ने अडानी द्वारा लीज़ पर ली गई ज़मीन पर डेरा डाले हुए पिछले छह महीने का अधिकांश समय बिताया है। उनके दो उद्देश्य हैं: अडानी की गतिविधियों को बाधित करना और उस संस्कृति में जीने का अभ्यास करना जिसे वे संरक्षित करने का प्रयास कर रहे हैं। मैक्वायॉय बताते हैं, " मैं देख रहा हूँ कि जितना अधिक मैं यहां रह रहा हूं, उतना ही मैं इस क्षेत्र से, यहाँ के पशु-पक्षियों और पेड़ों के साथ एक रिश्ता बना रहा हूँ।""यह मुझे इस खनन कंपनी से लड़ने के लिए बहुत अधिक बल और साहस देता है।"
यह वांगान और जगलिंगो लोगों के लिए एक लंबा और कठिन संघर्ष रहा है, जो पर्यावरणवादियों के एक व्यापक जन आंदोलन के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा है। फिर भी छोटी लेकिन महत्वपूर्ण जीतेंमिली हैं । वांगान और जगलिंगो प्रतिनिधियों ने अपने वैश्विक दौरे पर जिन सभी वित्तीय संस्थानों से बात की, उन्होंने, तथा लगभग सौ अन्य कंपनियों नें अडानी के साथ काम करने से इंकार कर दिया है। अडानी को अपनी परियोजना के आकार को बहुत घटाना और विलंबित करना पड़ा है, और वर्तमान में स्वीकृत परियोजना अडानी ने मूल रूप से जो प्रस्ताव दिया था, उसका केवल एक अंश मात्र है।
अडानी के लिए, कारमाइकल खदान केवल कोयले का मामला नहीं है। पहले मुख्यतः जहाजरानी पर केंद्रित इस कंपनी का मुख्य आधार भारत मेहै, जहाँ इसकी स्थापना हुई थी।कारमाइकल परियोजना इस कंपनी के एक विदेशी राष्ट्र में महत्वपूर्ण विस्तार और एक खदान-से-तट तक का सम्पूर्ण ऑपरेशन दोनो का प्रतिनिधित्व करती है जिसके माध्यम से इसे भरपूर मुनाफ़े की उम्मीद है।
अडानी के ऑस्ट्रेलियाई प्रोत्साहकों - विशेष रूप से क्वींसलैंड नेशनल पार्टी - का खदान के समर्थन के पीछे एक मज़बूत वैचारिक उत्प्रेरण है। जबकि आर्थिक फ़ायदे कम ही होंगे, उनके लिए यह "हरियाली वालों" (ग्रीनीज़) और अर्थव्यवस्था के बढ़ते हरित ऊर्जा और सेवा-आधारित क्षेत्रों पर जीवाश्म ईंधन पूंजी की प्रतीकात्मक जीत का प्रतिनिधित्व करता है।यह मूलनिवासी लोगों के ऊपर जीत भी होगी।
वांगान और जगलिंगो लोगों के लिए, संघर्ष जारी है। मई 2021 में, कोएडी मैकएवॉय को पूरे ऑस्ट्रेलिया से लोगों को अपने देश में जुटाने की उम्मीद है। उन्होंने टूर डी कार्मिकेल की योजना बनाने में मदद की है - ग्रेगरी हाइवे से अडानी की खदान तक बाइक की सवारी। "उद्देश्य", वह कहते हैं, " एक व्यापक साइकिल चालन कार्यक्रम के साथ ही पारंपरिक स्वामित्वधारकों के आतिथ्य में एक जानकारीपूर्ण सांस्कृतिक दौरा भी कराना है।जिस किसी को भी अडानी की विनाशकारी खान पसंद नहीं है, उसका इसमें शामिल होने के लिए स्वागत है। ”
इसके अलावा, मैकएओव आशावादी और दृढ़ है: " मेरी दृष्टि है कि हम अडानी को मात दे कर बाहर कर देने की ताकत और क्षमता हासिल कर लेंगे।"उनका - और वांगान और जगलिंगु का - संघर्ष इस बात की याद दिलाता है कि हमें मूलनिवासीलोगों और जलवायु के लिए न्याय प्राप्त करने के लिए अभी कितनी दूर तक जाना पड़ेगा। यह जलवायु कार्रवाई और मूलनिवासी संप्रभुता के बीच गहरे संबंध को भी प्रदर्शित करता है, और ये दोनों ही राजनीतिक रूप से शक्तिशाली खनन उद्योग का उनके प्रमुख प्रतिद्वंद्वी के रूप में सामना कर रहे हैं।
जैसे जैसे जलवायु विनाश की वास्तविकताएं स्पष्ट हो रही हैं, अडानी के विरोध जैसे अभियान निर्णायक रूप से महत्वपूर्ण होते जाएँगे,न केवल पर्यावरणीय और सांस्कृतिक रूप से विनाशकारी परियोजनाओं को रोकने के लिए, बल्कि स्थानिक परंपराओं, ज्ञान और व्यवहारों को पुनर्जीवित करने के लिए भी, जो हम सब के अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं। पर्यावरण ऐक्टिविस्टों मूलनिवासी संप्रभुता के अभियान चालक और उनके समर्थक, वांगान और जगलिंगू लोग उस दृढ़ संकल्प और सृजनशीलता के प्रतीक हैं जिनकी हमें जीतने के लिए ज़रूरत है।
एंडी पेन एक लेखक, उद्घोषक और ऐक्टिविस्ट हैं। उन्होंने पिछले तीन वर्षों का अधिकांश हिस्सा मध्य क्वींसलैंड में अडानी की कारमाइकल खदान के निर्माण के खिलाफ प्रतिरोध संगठित करने में बिताया है।