सम्पादकीय टिप्पणी : मेक्सिको से खुले समुद्र की यात्रा करते हुए स्पेन की भूमि पर पहुँच कर जपतिस्ताओं ने अपनी यात्रा का पहला चरण पूरा कर लिया है।नीचे दिया गया लेख, जो उनकी यात्रा के प्रारम्भ के समय लिखा गया था, इस "हमले" के पीछे की प्रेरणा को व्याख्यायित करता है। खुद जपतिस्ताओं की ओर से अद्यतन जानकारी के लिये यहाँ देखें।
जब जपतिस्ताओं ने 5 अक्टूबर,2020 को अपनी विज्ञप्ति " सुदूर समुद्र पर एक पर्वत" ( ए माउंटेन ऑन द हाई सी) प्रकाशित कर के ईज़ेडएलएन (EZLN : एजेर्सितो जपतिस्ता दे लिबरासियों नेसियोनल) की यूरोप से प्रारम्भ करते हुए पाँच महाद्वीपों की यात्रा की घोषणा की, यह सचमुच में एक सुखद आश्चर्य था।यद्यपि कि, जपतिस्ताओं ने चियापा और पूरे मेक्सिको में संगठित पहलकदमियाँ लेने में कभी संकोच नहीं किया - बीस वर्ष पहले का " दि मार्च ओफ दि कलर ओफ़ दि अर्थ" इसकी पुष्टि करता है - मगर मूलतः 1994 से ( जब जपतिस्ता का जन्म हुआ था) यह पहली बार है जब वे अपनी गृह भूमि की सीमाओं से निकल कर बाहर आ रहे हैं।
इसके बाद, इस वर्ष की 1 जनवरी को, उन्होंने " जीवन के लिये उद्घोष" ( डेक्लरेशन फ़ॉर लाइफ़) प्रकाशित कर के, जिस पर सैकड़ों व्यक्तियों, सामूहिकताओं और संगठनों के हस्ताक्षर थे, इस यात्रा के उद्येश्य की रूपरेखा प्रस्तुत की : पूंजीवाद-विरोधी संघर्षों में अपने योगदान का प्रयास - जो जीवन के लिए संघर्षों से अविछिन्न रूप से जुड़े हुए हैं -जिनके साथ अपनी विभिन्नताओं की पूरी चेतना के साथ और समरसीकरण(होमोजेनाइज़िंग)अथवा समरसीकरण की ताक़तों से बाधित हुए बिना आपस में एकजुट हुआ जा सके।
पिछले छः महीनों से,यूरोप के स्तर पर, और साथ ही प्रत्येक राष्ट्र अथवा जपतिस्ता शब्दावली के अनुसार "भूगोल" में भी, व्यापक पैमाने पर सांगठनिक तैयारी हुई है। उदाहरण के लिए, एक फ़्रांकोफ़ोन संयोजन बॉडी की स्थापना की गई है, जिसमें सामूहिकताओं और स्थानिक पहलकदमियों के आठ आंचलिक फ़ेडरेशन सम्मिलित हैं।
इस बीच, ईज़ेडएलएन ने, यह पुष्टि की कि सौ से ज़्यादा सदस्यों का एक विशाल प्रतिनिधिमंडल, जिसमें तीन-चौथाई महिलायें हैं, तैयारी कर रहा है।प्रतिनिधिमंडल में बताया गया कि राष्ट्रीय मूलजन कांग्रेस ( नेशनल इंडिजेनस कांग्रेस) - सरकार की मूलजन परिषद, जो पूरे मेक्सिको के मूलजन संघर्षों को जोड़ती है, के सदस्यों के साथ ही पुएब्ला, मोरेलो, और तलक्सला की भूमि और जल रक्षा में " पीपुल्स फ़्रंट" का एक जत्था भी शामिल है, जो वहाँ उस विशाल ऊर्जा संयंत्र की स्थापना के ख़िलाफ़ संघर्ष चला रहा है जिसके चलते उस इलाक़े के किसानों के लिए अपरिहार्य जल संसाधनों के लिए ख़तरा उत्पन्न हो जायेगा।
10 अप्रैल को , एमिलानो ज़पाटा की हत्या के स्मृति दिवस पर, उन्होंने जपतिस्ता प्रतिनिधिमंडल के पहले दल की रवानगी की घोषणा की, जो समुद्र मार्ग से यात्रा करते हुए पहुँचेगा। हमने उस दिन उन्हें मोरेलिया के काराकोल से विदा लेते हुए देखने की उम्मीद की थी, जहां के सदस्य महीनों से तैयारी कर रहे थे।उस अवसर पर एक औपचारिक अनुष्ठान का आयोजन किया गया, जिसमें पारम्परिक संगीत, अगरबत्ती के साथ जहाज़ के अग्रभाग के वास्तविक आकार के मॉडल पर पवित्रीकरण अनुष्ठान (लिंपिया) किया गया।
मगर, प्रतिनिधिमंडल अपनी यात्रा पर तुरंत ही नहीं निकल पड़ा : सबसे पहले उन्होंने 15 दिन के क्वॉरंटीन मे जा कर यह सुनिश्चित किया कि कोई भी जपतिस्ता परिक्षेत्र के बाहर विद्रोह (रिबेलियन) के अतिरिक्त कोई अन्य वायरस न ले जाये।यह निर्णय ईज़ेडएलएन के उस प्रस्ताव की संगति में है जिसमें स्वयं पर और राज्य परिक्षेत्र से बाहर निकलने में कोविड-19 के प्रसार की किसी भी संभावना से बचने के लिए आवश्यक सुरक्षात्मक सैनिटेरी उपाय बरतने को कहा गया है। इसके चलते उन्होंने रेड अलर्ट जारी कर के 15 मार्च 2020 से ही सभी जपतिस्ता कारकोलों से संपर्कों को पूरी तरह से बंद कर दिया।
इस समुद्रयात्री प्रतिनिधिमंडल का नामकरण " एस्काद्रों 421" किया गया, क्योंकि इसमें चार महिलायें, दो पुरुष और एक ट्रांसजेंडर व्यक्ति (जपतिस्ता शब्दावली में "उनाओ ओत्रोआ") शामिल थे, जिनका व्यक्तिगत परिचय सबकमांडेंट गलीनो द्वारा जारी विज्ञप्ति में कराया गया था।
एस्काद्रों 421
रविवार, 25 अप्रैल को बहुत सी पेंटिंग और मूर्तिशिल्पों के प्रदर्शन, काउन्सिल ओफ़ गुड गवर्न्मेंट के सदस्यों के उत्साहवर्धक संबोधनों, और सामुदायिक नृत्य के साथ एक और विदाई समारोह के बाद, प्रतिनिधिमंडल अगले दिन मोरेलिया से रवाना हुआ। वहाँ से वे इस्ला मुजेरेस के मेक्सिकन बंदरगाह पर पहुँचे जहां "ला मोंटाना" नाम का जहाज़ उनकी प्रतीक्षा कर रहा था, और वे 2 मई को अटलांटिक पार करने के लिये समुद्री यात्रा पर निकल पड़े।एस्क़ादरों 421 अब जहाज़ के जहाज़ियों के सुयोग्य समुद्रयात्रा कौशल के अधीन महासागर की मनमानी के हवाले है। उन्हें जून के द्वितीयार्ध में स्पेन के वीगो बंदरगाह के यूरोपी तट पर नज़र आना चाहिये।
इसी के साथ ड्रम की ध्वनियों और तमाम तरह के प्रोत्साहनों के रूप में छोटे-छोटे समारोह जपतिस्ता प्रतिनिधि मण्डल के उन अन्य सदस्यों की रवानगी के लिये भी आयोजित हो रहे थे, जो लकांडों जंगल में अपने गावों से, कई बार ग्वाटेमाला की सीमा के निकटवर्ती इस ट्रॉपिकल इलाक़े की नदियों में डोंगियों से यात्रा करते हुए निकल रहे थे।वे जपतिस्ता प्रतिनिधिमण्डल के विभिन्न समूहों के अंग हैं जो जुलाई और उसके बाद से पुराने महाद्वीप, इस बार हवाई यात्रा करते हुए पहुँचना शुरू करेंगे।
इसी के साथ, समूचे यूरोप में जपतिस्ताओं के लिए शुरू हो जाएगी महीनों तक चलने वाली सघन गतिविधियाँ, बैठकें और विचारों का आदान-प्रदान।अभी तक वे काफ़ी बड़ी संख्या में "भौगोलिकताओं" से आमंत्रण प्राप्त और स्वीकार कर चुके हैं : आस्ट्रिया, बास्क कंट्री, बेल्जियम, बुल्गारिया, केटालोनिया, क्रोशिया, साइप्रस, डेनमार्क, फ़िनलैंड,फ़्रांस, जर्मनी, ग्रीस, हंगरी, इटली, लकजेंबर्ग, नॉर्वे,नीदरलैंड्ज़, पोलैंड, पुर्तगाल, रोमानिया, रूस, सरदानिया, सर्बिया, स्लोवेनिया, स्पेन, स्वीडन,स्विट्जरलैंड, टर्की, यूके, और युक्रेन।
सैकड़ों बैठकें और गतिविधियाँ जपतिस्ताओं के लिए प्रस्तावित हैं, जिनका वर्तमान में समायोजन किया जा रहा है। समय आने पर संगठक सामूहिकताओं द्वारा इनकी सार्वजनिक जानकारी दी जाएगी।इनमें वर्तमान में चल रहे संघर्षों के चतुर्दिक अपेक्षाकृत विशाल सभायें/ रैलियाँ भी शामिल हो सकती हैं : फ़्रांस के मामले में जिलेट्स ज़ौनेस से ले कर ZAD's तक, और विनाशकारी मेगा परियोजनाओं के ख़िलाफ़ संघर्ष कर रहे अन्य प्रतिरोधी समूह भी; फ़ेमिनिस्ट सामूहिकतायें, प्रवासी सहयोग पहलकदमियाँ, पुलिस हिंसा के ख़िलाफ़ संघर्षरत समूह, साथ ही प्रभुत्व के औपनिवेशिक़ रूपों के अंत के लिए लक्षित आंदोलन ; शहरों और ग्रामीण अंचलों में काम कर रहे पारस्परिक सहायता नेटवर्क, और साथ ही वे भी, जो जीवन जीने की वैकल्पिक शैलियों के निर्माण में लगे हैं ; इसी के साथ उन अतिमहत्वपूर्ण गोलबंदियों के प्रयासों को कैसे भुलाया जा सकता है जो, जैसा कि जपतिस्ता बल देते हैं, हमारे घायल ग्रह की रक्तरंजित त्रासदियों की विवशता की देन हैं। यह सूची - जो कि अधूरी है - पूँजीवादी बर्बरता के ख़िलाफ़ विद्रोहों और अन्य कहीं अधिक आकांक्षित दुनियाओं के लिए संघर्षों के विशाल नक्षत्रमण्डल में बहुत लम्बी है।
सबसे बढ़ कर, जपतिस्ताओं ने स्पष्ट किया कि, वे परस्पर आदान-प्रदान के लिए- अर्थात् बात करने, और इससे भी कहीं अधिक - उन सभी को सुनने के लिए आ रहे हैं, जिन्होंने उन्हें आमंत्रित किया है : " अपने पारस्परिक इतिहासों, अपनी तकलीफ़ों, अपने आक्रोशों, अपनी सफलताओं, और अपनी विफलताओं के बारे में बात करने।" विशेषकर ग्रासरूट स्तर की बैठकों में, जिससे एक-दूसरे को जानने और एक-दूसरे से सीखने के लिए पर्याप्त समय मिल सके।
जपतिस्ता लम्बे समय से हमारे संघर्षों को एक-दूसरे से अलग-थलग नहीं रहने के लिए तर्क देते रहे हैं और प्रतिरोध व विद्रोह के वैश्विक नेटवर्कों को तैयार किए जाने के महत्व को रेखांकित करते रहे हैं। 1996 में मानवता के लिए और नवउदारवाद के विरुद्ध पहले इंटरकांटिनेंटल एंकाउंटर ( जिसे "इंटरगलैक्टिक" के नाम से भी जाना जाता है) से ले कर 2015 में पूँजीवादी हाइड्रा सेमिनार की चुनौती में अपने क्रिटिकल विचारों तक जपतिस्ता द्वारा चियापा में संगठित-आयोजित तमाम अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रमों की गिनती गिनाने की आवश्यकता नहीं है।मगर 2019 में,स्थानीय स्वशासन की अद्यतन अग्रगति में चार नए स्वायत्तशासी कम्यूनों और सात नयी "काउन्सिल ओफ गुड गवर्न्मेंट" की स्थापना की घोषणा करते समय, जपतिस्ताओं ने यह स्पष्ट कर दिया की आगे से वे किसी विशाल पैमाने के 'इवेंट' का आयोजन नहीं करेंगे।इसके बजाय वे विभिन्न समूहों, कलेक्टिव, और संगठनों के साथ " बैठकों में भाग लेने की योजना बना रहे थे, जो अपनी भौगोलिकताओं के अंदर काम (संघर्ष) करते हैं।"
उस समय पाँच महाद्वीपों की यात्रा का सवाल नहीं था, मगर यह -ऐसी यात्रा पर निकल पड़ने के कई अन्य कारणों में से एक हो सकता है - इस प्रक्रिया की शुरुआत का एक तरीक़ा। यदि ऐसे दृष्टिकोण को विद्यमान संघर्षों के बीच मज़बूत जुड़ाव बुनने की व्यापक रूप से महसूस की जा रही ज़रूरत को प्रतिध्वनित करना है, तब इसके लिए न केवल ऐसे आदान-प्रदान की, जो समानताओं और विभेदों को चिन्हित कर सके, बल्कि विशेषकर एक ऐसे मानव-से-मानव सम्पर्क की ज़रूरत है जो मज़बूत अंतर्संबंध बना सके।
जपतिस्ता इस यात्रा को "जीवन के लिए यात्रा" कह रहे हैं, और यह लोगों की बड़ी संख्या को जपतिस्ताओं से मिलने और उनके स्वायत्तता और गौरव के उन प्रयोगों से सीखने का अवसर प्रदान करेगी जिनको वे चौथाई सदी से भी अधिक समय से भयावह अवरोधों के ख़िलाफ़ सहेज कर रखे हुए हैं। और आशा की जानी चाहिए कि बहुत से लोग खुद को विद्रोह के उस वायरस से विजित हो जाने की अनुमति देंगे जिसके जपतिस्ता बेहद संक्रामक वाहक हैं।
यह भी उम्मीद करें,कि वे तमाम लोग, जो खुद को जीवन के उद्घोष के साथ जोड़ रहे हैं और जिनके लिए जपतिस्ता आकांक्षा और प्रेरणा का जगमगाता स्रोत है, उनका स्वागत करने के लिए, उनकी इस भ्रमणकारी पहलकदमी का समर्थन करने केलिए तैयार हैं और साथ ही वे हर किसी के लिए सबसे बेहतर साबित हो सकने वाले तरीक़े से इस 'जीवन के लिए यात्रा' में भागीदारी भी करेंगे।
एस्काद्रों 421 की ओर लौटते हैं। पहली घोषणा से ही, जपतिस्ता यूरोप की अपनी समुद्री यात्रा के बारे में 'विजय की उलट प्रक्रिया' के रूप में बात करते रहे हैं। 'उलट हमले' का यह विचार - इस बार सहमति के साथ - उन्हें रोमांचित करता है।निश्चित रूप से यह एक तरह के परिहास के रूप में ही कहा गया है - मगर क्या हम इस बात से पूरी तरह से निश्चिंत हैं ? जब प्रतिनिधिमंडल अपनी यात्रा पर निकला, 'स्केल मॉडल्ज़' ने विडम्बना रूप में क्रिस्टोफ़र कोलम्बस की पालदार नौकाओं " नो सोय ऊना निन्हा" और "सांता मारिया ला रेवांचा" का उल्लेख किया ; मगर साथ ही यह भी स्पष्ट किया कि जब स्क्वाड्रन 421 यूरोप की धरती पर पैर रखने में सफल हो जाएगा तभी वास्तव में यह कहा जा सकेगा कि " हमले की शुरुआत हो गयी है।" यदि सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो वे 13 अगस्त, 2021 को हर्नन कोर्ते की सेना द्वारा मेक्सिको- टेनोचितलान विजय के चार सौ वर्ष की याद अपने तरीक़े से मनाने के लिए मैड्रिड में होंगे।
चियापा की मूलजन आबादी, अमेरिकी उपमहाद्वीप की अन्य आबादियों के समान ही, पाँच सदियों से औपनिवेशिकरण के दुष्प्रभावों को झेलती रही है, जिनमें आंतरिक उपनिवेशवाद के तमाम रूप और नस्लवाद भी, जो इसे विस्तारित करता है, शामिल हैं।जपतिस्ताओं ने, इसके बावजूद यह स्पष्ट कर दिया है कि, वे स्पेनी राज्य अथवा कैथोलिक चर्च से कोई औपचारिक क्षमायाचना प्राप्त करने के लिये मैड्रिड नहीं आ रहे हैं। वे बुरी और औपनिवेशिकों के साथ सम्पूर्ण रूप से जुड़ी पहचान के रूप में "पश्चिम" के विरुद्ध तत्ववादी भर्त्सना को ख़ारिज करते हैं, और साथ ही उस प्रवृत्ति को भी, जो उपनिवेशितों को उत्पीड़ित की भूमिका में समेट देती है। इसके विपरीत, वे स्पेनवासियों से यह कहना चाहते हैं कि " उन्होंने हमें विजित नहीं किया है [और] यह भी कि हम अभी भी प्रतिरोध कर रहे हैं और वास्तव में खुले विद्रोह में हैं।"
"ला मोंटाना" जहाज़, जो जपतिस्ताओं को यूरोप ले जायेगा
इसे उलट समुद्री यात्रा बनाना इतिहास के उस सूक्ष्म भेद, जिसने आक्रांता और आक्रांत की गहरे सन्निहित और स्पष्ट भूमिकायें निर्धारित कर दी हैं, को प्रकट करना और [ साथ ही ] एक वैकल्पिक इतिहास की संभावना के द्वार भी खोलना है।
जब जपतिस्ता का समुद्र यात्री प्रतिनिधिमंडल यूरोप पहुँचेगा, एस्काद्रों 421 के मारिज़ोसे " उनाओ ओत्रोआ" सबसे पहले तट पर उतरेंगे।इस दृश्य की रचना सबकमांडेंट गलीनो ने पहले ही कर दी है ;यह उस भाव-भंगिमा का उलट रूप होगा जिसका प्रदर्शन क्रिस्टोफ़र कोलंबस ने किया था,- जो 12 अक्टूबर,1492 को तट पर उतरा था, - न तो कोई विजेता और न ही खोजी के रूप में, क्योंकि वह पहले से ज्ञात जापान और चीन की भूमियों की तलाश कर रहा था - वह अपना क्रॉस गाड़ने और गुआनाहानी द्वीप पर सान साल्वाडोर नाम थोपने के लिए दौड़ पड़ा था:
इस तरह, यूरोपी भूमि पर पड़ने वाला पहला कदम (मतलब, यदि वे हमें वहाँ उतरने दें तब) न तो किसी पुरुष का होगा और न ही महिला का। यह किसी दूसरे का कदम होगा।इसे सुप.मार्कॉस ने कुछ इस तरह वर्णित किया होता " काले लम्बे मोज़े वाले हाथ का सारी बची विपरीत लिंगी पित्रिसत्ता के मुँह पर तमाचा"। यह तय किया गया है कि सबसे पहले उतरने वाले मारीज़ोसे होंगे।
जैसे ही वे सब यूरोपी भूमि पर अपने कदम मज़बूती से जमा लेंगे, और समुद्रयात्रा की मचलियों से ऊबर चुकेंगे, मारीज़ोसे अपनी पूरी ताक़त से उद्घोष करेंगे :
" समर्पण करें, पीले-मुरझाये विपरीतलिंगी पत्रिसत्तात्मक चेहरे, जो उन्हें आक्रांत करते हैं जो अलग हैं !"
नहीं !, मैं तो बस मज़ाक़ कर रहा हूँ। मगर क्या यह अच्छा नहीं होगा, यदि वे ऐसा करें ?
नहीं, भूमि पर कदम रखने पर जपतिस्ता साथी मारीज़ोसे पूरी सौम्यता और सत्यनिष्ठा के साथ घोषणा करेंगे :
"महिलाओं, बच्चों, बुजुर्गों और, अन्य जपतिस्ताओं के नाम पर, मैं घोषित करता हूँ कि इस भूमि का नाम, जिसे इसके स्थानीय जन आज "यूरोप" बुलाते हैं, इसके बाद से : SLUMILK'AJXEMK'OP के नाम से जाना जायेगा, जिसका अर्थ है, "विद्रोही भूमि" अथवा "वह भूमि, जो घुटने नहीं टेकती, जो असफल नहीं होती"।
और इस तरह से यह भूमि अपने बाशिन्दों, और साथ ही अजनबियों के जरिये भी तब तक जानी जायेगी, जब तक कि वह कोई भी रहेगा जो इसका परित्याग नहीं करेगा, जो इसे बेच नहीं देगा, और जो घुटने नहीं टेकेगा।"
स्वागत है, साथियों, साथिनों, और साथी जपतिस्ताओं ! उस महाद्वीप की विविध भौगोलिकताओं में, जिसका जल्दी ही नामकरण 'स्लूमिल के' अजक्सेम्क' ओपी' होगा।
जेरोम बाशेट एक इतिहासकार हैं,और EHESS(पेरिस) में लम्बे समय तक शोध प्रोफ़ेसर रहे हैं। वर्तमान में वह यूनिवर्सिदाद आटोनोमादे चियापा (सान क्रिस्तोबल लॉस क़ासास, मेक्सिको) में पढ़ा रहे हैं। वह "अड्यू आऊ कैपिटलिस्मे" आटोनोमिये, सोसायिटे दु बियेन विवरे एत मलटिप्लिसिटेदेस मोंडेस (2014) और "रिबेल्डिया, रेसिस्टेंसिया यि आटोनोमिया:ला एक्सपेरियेंसिया जपतिस्ता"(2018) पुस्तकों के लेखक हैं।