Covid-19 प्रतिक्रिया कार्य समूह के गठन की घोषणा

DocumentAnnouncements

कोरोनावायरस महामारी के विरुद्ध दुनिया भर की सरकारें और कॉर्पोरेट, लोगों को पहले रखने में विफल हुए हैं, प्रोग्रेसिव इंटरनेशनल (PI) इसकी निंदा करता है और एक नया, “लोगों को पहले” रखने वाला विकल्प विकसित करने के लिए एक नई नीति कार्य समूह की शुरूआत कर रहा है ।

कोविड-19 प्रतिक्रिया कार्य समूह शिक्षाविदों, कार्यकर्ताओं, और दुनिया भर के आयोजकों से बना है । उनका मिशन न्यायसंगत नीतियां विकसित करना है जो “लोगों को पहले” रखते हैं । यह समूह महामारी और उसके अति व्यापी संकटों का जवाब देने के लिए आंदोलनों, दलों और लोगों को एक खाका पेश करेगा ।

कार्यदल तीन व्यापक क्षेत्रों पर विचार करेगा: स्वास्थ्य और सुरक्षा; व्यापार और वित्त; और श्रम अधिकार और सामाजिक नीति । इन सभी क्षेत्रों में यह ऐसी नीतियों का विकास करेगा जो “लोगों को पहले” रखें ।

“कोविड-19 के पहले मामलों के लगभग एक साल बाद भी वैश्विक प्रतिक्रिया, लोगों को पहले रखने और सामूहिक भलाई पर ध्यान केंद्रित करने में विफल रही है । इसके बजाय अमीर और शक्तिशाली लोग टीकों का भंडारण कर विभाजन की नीति अपना रहे हैं वहीं आजीविका का संकट जस-का-तस है, और तो और लोगों को दी गई लोकतांत्रिक-सुरक्षा छीनकर वे और अधिक शक्तिशाली बन रहे हैं । एक ‘नई सीख’ के बजाए हमें एक प्रगतिशील खाके की जरूरत है जो लोगों के लिए लोगों को पहले रखे, जो दुनिया भर की पार्टियों और आंदोलनों को जीतने के लिए एकजुट, लामबंद और चारों ओर संगठित करता हो ।” - वर्षा गंडिकोटा-नेलुटला, पीआई की ब्लूप्रिंट समन्वयक

“कोई देश अकेले महामारी को समाप्त नहीं कर सकता”

कोरोनावायरस ने अंतरराष्ट्रीय समन्वय, सहयोग और एकजुटता की तात्कालिक और स्थायी ज़रूरत का खुलासा किया है: कोई भी देश अकेले महामारी को खत्म नहीं कर सकता ।

तब भी, अभी तक दुनिया भर की सरकारों की प्रमुख प्रतिक्रिया ‘कुत्सित-तेरा-पड़ोसी’ की नीति, आपूर्ति की जमाखोरी, सहायता अवरुद्ध करना, टीका ईजाद होने की उम्मीद में दवा कंपनियों के साथ सौदों को आगे बढ़ाना, और अपनी विफलताओं के लिए “विदेशियों” को दोष देने तक सीमित है । जिससे वे अपनी असफलता को ढक सकें।

इस बीच, अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएं कोविड-19 प्रकोप के परिणामस्वरूप स्वास्थ्य और आर्थिक आपात स्थितियों के लिए प्रभावी प्रतिक्रिया का समन्वय करने में असमर्थ थीं । अंतरराष्ट्रीय प्रणाली की पूरी वास्तुकला- व्यापार समझौते और बौद्धिक संपदा एकाधिकार से लेकर ऋण भुगतान और डॉलर प्रणाली, इनकी संरचना को अंतरराष्ट्रवादी महत्वाकांक्षाओं को निष्क्रिय करने के लिए हीं डिज़ाइन किया गया है, जहां भी वे उभरें ।

कोविड-19 महामारी के लिए एक समान प्रतिक्रिया सुनिश्चित करने के लिए, हमें अंतरराष्ट्रीय प्रणाली में एक क्रांतिकारी परिवर्तन लाना होगा ताकि हम आने वाली आपातकालीन स्थितियों से लड़ने के लिए बेहतर रूप से तैयार रहें ।

वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य की फिर से कल्पना

कोविड-19 प्रतिक्रिया कार्य समूह का उद्देश्य इस तरह का खाका विकसित करना है ।

कोरोनावायरस के चिकित्सा निहितार्थों के संकीर्ण विचार से परे क्रांतिकारी पुनराविष्कार की आवश्यकता को देखते हुए कार्य समूह तीन व्यापक क्षेत्रों पर विचार करेगा: स्वास्थ्य और सुरक्षा, व्यापार और वित्त, और श्रम अधिकार और सामाजिक नीति । हम ऐसी नीतियां विकसित करेंगे जो सटीक तरीकों से उन समस्याओं का समाधान करेंगी जिनसे महामारी ने पूंजीवादी व्यवस्था के लाभों से वंचित लोगों को नुकसान पहुंचाया है, और आवश्यक समाधानों की एक व्यापक तस्वीर को आगे बढ़ाएंगे।

कार्य समूह का मिशन एक सहयोगी अंतरराष्ट्रीय समुदाय का निर्माण करना है जो महामारी द्वारा उठाए गए ज्वलंत प्रश्नों को हल करने के लिए अलग-अलग प्रकार के ज्ञान और अनुभव को एक साथ लाएगा; इस ज्ञान और अनुभव से महामारी द्वारा व्याप्त संकटों के समाधानों का एक ठोस सेट विकसित किया जाएगा; सामाजिक आंदोलनों के साथ सहयोग कर के और ठोस कार्यों की योजना बनाकर इन समाधानों को जुटाने के लिए प्रयास किया जाएगा जो वास्तविक समय में महामारी की राजनीति और नीति को बदल सकते हैं ।

स्कोप और सदस्यता

कोविड-19 प्रतिक्रिया कार्य समूह पीपुल्स हेल्थ मूवमेंट और फोकस जैसे संगठनों से भौगोलिक और विशेषज्ञता के क्षेत्रों में कार्यकर्ताओं और विचारकों को जोड़ता है, और वैश्विक दक्षिण पर ध्यान केंद्रित करते हुए: बुरकू किलिक (सार्वजनिक नागरिक चिकित्सा कार्यक्रम) रंजन सेनगुप्ता (थर्ड वर्ल्ड नेटवर्क), नैंसी क्रीगर (हार्वर्ड विश्वविद्यालय) और तिथि भट्टाचार्य (परदु विश्वविद्यालय) जैसे प्रमुख विद्वानों और कार्यकर्ताओं को साथ लाता है ।

स्वास्थ्य और सुरक्षा के बारे में, कार्यदल वैश्विक स्वास्थ्य के विच्छेदन का खाका तैयार करेगा, जिसमें ग्रामीण, जनजातीय और अन्य आबादी सहित सभी के लिए स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच और लाभ के इरादों से रहित, लोगों के लिए टीके का वितरण शामिल है । दुर्भाग्य से, किसी भी स्तर पर संस्थाएं अपनी आबादी की स्वास्थ्य और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तैयार नहीं थी अतः 2019 में महामारी के आगमन के बाद से सीमित प्रगति हीं हुई है ।

व्यापार और वित्त पर, कार्य समूह व्यापार, बौद्धिक संपदा और वित्त व्यवस्थाओं में आमूल परिवर्तन का प्रस्ताव करेगा ताकि महामारी से वास्तव में न्यायपूर्ण संक्रमण हो सके । वायरस के लिए टीके का विकास और वितरण कैसे हो यह पूरी तरह इस बात पर निर्भर करता है की शासन पैसे और अनुदान की कैसी व्यवस्था करता है और उसे मुनाफाखोरी से कितना दूर रख पाता है । दुनिया भर के देशों की समृद्धि या दिवालियापन भी वर्तमान में आपातकालीन वित्तपोषण के लिए उनकी पहुंच पर टिका है । यह कार्य समूह अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं को शामिल करेगा- विश्व व्यापार संगठन और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन और अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन तक, जिनपर दोबारा अवाम का कब्ज़ा करने, उन्हें पूरी तरह बदलने या फिर ध्वस्त करने की ज़रूरत है ताकि कोविड-19 संकट सेबाहर निकलकर हम एक न्यायपूर्ण व्यवस्था में कदम रखें ।

श्रम अधिकारों और सामाजिक नीति पर, कार्य समूह इस संकट को समाप्त करने, कार्यकर्ता शक्ति का निर्माण करने, और सामाजिक सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करेगा साथ हीं कोविड-19 महामारी के अनुभव से उभरे सबक भी साझा करेगा । महामारी से जूझते हुए कई महीने बीतने के बावजूद, अनिश्चितता का संकट केवल तेज़ हो रहा है और लाखों लोगों को खतरनाक स्थितियों में काम करने को मजबूर किया जा रहा है, सिर्फ अपनी नौकरी बचाने के लिए, जबकि उनके सीईओ शोषण द्वारा धन अर्जित कर घर पर बैठे हैं ।

"यह कोरोनावायरस महामारी से हीं संभव हो पाया: एक विशाल, वैश्विक महामारी से निपटने के लिए एक विशाल, वैश्विक प्रतिक्रिया को सक्षम करने की आवश्यकता है । दुर्भाग्य से पिछले कुछ महीनों में मचे शोर के बावजूद आज भी इस बात की कमी है । देश एक साथ काम नहीं कर रहे हैं; तत्काल समस्याएं जैसे: परीक्षण किट, पीपीई और दवाओं तक पहुँच में देरी हो रही है जबकि तत्काल समाधान मौजूद हैं; कोरोनावायरस टीके के लिए हम निगमों और संस्थानों पर आश्रित हैं जिनके दिल में हमारे सर्वोत्तम हित नहीं हैं; साथ हीं उस प्रणाली, जिसने इस भारी तबाही को जन्म दिया है, को अछूता छोड़ दिया जा रहा है, जैसे कि यह कोई समाधान है समस्या नहीं । अब समय आ गया है कि बंद कमरों और अदालत कक्षों की संगोष्ठी सड़कों पर आए, दुनिया की इच्छा मोड़ कर हमें वह मिले जिसके हम हमेशा से हकदार हैं: दवाएं और टीके जो जीने के लिए आवश्यक हैं" -अचल प्रभुलाल, कार्य समूह के सदस्य और एक्सेस आईबीएसए परियोजना के समन्वयक जो भारत, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका में दवाओं तक पहुंच के लिए अभियान चला रहे हैं ।

"परिभाषा से हीं महामारी अंतरराष्ट्रीय होती है, और इसलिए उसपर हमारी प्रतिक्रिया भी अंतर्राष्ट्रीय होनी चाहिए । इसके अलावा, यह महामारी एक ऐसी अंतरराष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था पर टिकी है जिसने असमानता, पारिस्थितिक विनाश, नस्लवाद, जैसे कई लंबे समय से खड़े संकटों को गढ़ा है, बढ़ावा दिया है । जब हम अपने समाज के पुनर्निर्माण और हमारी अर्थव्यवस्थाओं को कोविड-19 के बाद पुनः आरंभ करने की योजना बनाएं तो हमें उस बिन्दु को समुदाय, लोकतंत्र, स्थिरता, स्वास्थ्य और भलाई को बढ़ावा देने के लिए हमारी आर्थिक प्रणाली में एक गहन परिवर्तन लाने का प्रारंभिक बिंदु बनाने की कोशिश करनी चाहिए । जो निर्णय हम अभी लेंगे (या लेने में विफल होंगे) उसके दीर्घकालिक परिणाम होंगे। हमें ग्रह के विनाश से और सड़ चुकी राजनीतिक-आर्थिक विश्व व्यवस्था से उपजे इस संकट को और मज़बूत नहीं होने देना चाहिए ।" -दाना ब्राउन, कार्य समूह के सदस्य और द डिमाक्रसी कलेक्टिव के नेक्स्ट सिस्टम प्रोजेक्ट के निदेशक

"‘उत्तर’ और ‘दक्षिण’ दोनों में, वे सबसे गरीब समुदाय है जो निजीकरण के मोड़ पर सबसे असुरक्षित हैं, एक ऐसा मोड़ जिसपर ‘परोपकारी संवितरण’ की चिकनाई चढ़ाई गई है । नतीजतन, दुनिया भर में लोगों को सार्वजनिक वस्तुओं की गुणवत्ता में गिरावट देखने को मिल रही है । यह धनी समूहों द्वारा शोषण और विभाजन का एक पैटर्न है जो आसानी से नस्लीय रूप धारण कर लोगों को बली का बकरा बना सकता है। स्वास्थ्य पलायन और धन पलायन के इस पैटर्न को इंगित करना ‘अतिवादी’ सोच के ठीक विपरीत है; बल्कि, इसका उद्देश्य यह इंगित करके संभावित विकल्पों को बड़ा करना है । स्वास्थ्य में सार्वजनिक-निजी भागीदारी में वृद्धि के लिए परोपकारी पूंजीवाद का तर्क बहुत हल्के सबूतों पर टिका हुआ है । सार्वजनिक स्वास्थ्य कैसे सुनिश्चित हो? प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल को मज़बूत बना कर, पेटेंट व्यवस्था को अवाम के हित में करके और सस्ती दवाओं तक उनकी पहुंच बढ़ा कर । यह वे लक्ष्य हैं जिनपर मैं इस महत्वपूर्ण कार्य समूह के हिस्से के रूप में काम करने की उम्मीद करता हूं ।" -लिंसे मैकगोई, कार्य समूह के सदस्य और एसेक्स विश्वविद्यालय में समाजशास्त्र के प्रोफेसर

"कोविड-19 ने सामाजिक और आर्थिक दोष-रेखाओं को परिलक्षित किया है । अभूतपूर्व बेरोज़गारी के बीच अमेज़न जैसे निगमों ने अभूतपूर्व मुनाफा दर्ज किया: हमारे वर्तमान में, दुख और समृद्धि एक साथ बंधे हैं । किसी भी परिवर्तन के लिए सबसे बड़ी बाधाओं में से एक वह वैचारिक परिवेश है जिसमें “योजना” और “समाजवाद” जैसे शब्द तानाशाही से जुड़े रहे हैं । इसी बीच विशेषज्ञ हमें यह बताने में विफल रहे हैं कि “मुक्त बाजार” पहले से ही निगमों, वित्तीय संस्थानों और राज्य नौकरशाही के बीच एक करीबी गठजोड़ के माध्यम से काम कर रहा है । हमें तत्काल इस वैचारिक चाल को खत्म करने और यह दिखाने की ज़रूरत है कि अगर हमें ग्रह की तबाही से मानवता को बचाने के लिए आवश्यक ट्रांज़िशन शुरू करना है तो हमें सरकार से अधिक निवेश और खर्च की ज़रूरत क्यों है । दूसरे शब्दों में, हमें तुरंत एक आधिपत्य विरोधी परियोजना का निर्माण शुरू करने की ज़रूरत है जो नव-उदारवाद के बौद्धिक आधिपत्य को चुनौती देने के साथ-साथ एक टिकाऊ और लोगों पर केंद्रित विकास मॉडल के विकल्प का प्रस्ताव करे ।" - अम्मार अली जान, वर्किंग ग्रुप के सदस्य और पाकिस्तान में हकूक-ए-खालिक आंदोलन के साथ राजनीतिक आयोजक

"वर्तमान स्वास्थ्य, आर्थिक और बहुपक्षीय संकट को अपने सभी दोषों और विफलता के साथ वर्तमान बहुपक्षवाद के पुनर्मूल्यांकन के साथ नहीं मिलना चाहिए; वही नवउदारवाद, मुक्त व्यापार और निवेश समझौते जो निगमों को अधिक आधिपत्य प्रदान करते हैं और असमानता तथा जलवायु संकट के कारक भी हैं । नारीवाद और महिलाओं के आंदोलन से लेकर श्रम आंदोलनों तक दुनिया भर के आंदोलनों ने लंबे समय तक दिखाया है कि प्रगतिशील और स्वायत्त आंदोलन कैसे संरचनात्मक और प्रणालीगत बदलाव ला सकते हैं। यह क्षण उस शक्ति को याद करने का क्षण है और मानव अधिकारों, न्याय और समानता को आगे बढ़ाने के लिए राज्यों और लोगों के आंदोलनों के बीच और वैश्विक और प्रणालीगत संरचनात्मक मुद्दों को हल करने के लिए एकजुटता और सहयोग का भी।" - डायना याहया, वर्किंग ग्रुप की सदस्य और एशिया-पेसिफिक फोरम में पूर्व प्रोग्रामर समन्वयक

Available in
EnglishGermanFrenchPortuguese (Brazil)Italian (Standard)Portuguese (Portugal)SpanishHindi
Translators
Surya Kant Singh and Nivedita Dwivedi
Published
07.10.2020
Privacy PolicyManage CookiesContribution SettingsJobs
Site and identity: Common Knowledge & Robbie Blundell