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नए संविधान के रास्ते पर चिली के लिए आगे क्या है

चिली के जनमत संग्रह से एक प्रगतिशील परिवर्तन की आवाज आई है, लेकिन एक नए संविधान का मसौदा तैयार करने में बड़े पैमाने पर सामाजिक लामबंदी करने का संघर्ष अभी जारी है ।
शायद सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा यह है कि चिली के लोगों ने अपना डर खो दिया है और एक बार फिर वे केंद्र पर आ गए हैं ।

25 अक्टूबर 2020 को चिली के लोगों ने एक नए संवैधानिक अधिवेशन के चुनाव के माध्यम से नए संविधान के लेखन का समर्थन करने के लिए काफी अधिक मार्जिन से मतदान किया । यह चिली सरकार की भारी हार थी, जिसने शुरू में मौजूदा 1980 के संविधान (पिनोशे तानाशाही से विरासत में मिली) में संशोधन करने की मांग की थी और फिर संसद द्वारा नए संविधान लिखे जाने की वकालत कर रहे थे, उस संसद में जहां वे हावी थे ।

चिली के वाम ने हमेशा पिनोशे के 1980 वाले संविधान की वैधता को अस्वीकार किया है । वास्तव में, पूरे विपक्ष ने 1980 के दशक के मध्य तक इसे अस्वीकार कर दिया था, जब एक 'लोकतांत्रिक ट्रैन्ज़िशन' की ओर अमेरिकी प्रयास शुरू हुए । शासन और उदारवादी विपक्ष को एक साथ लाने का मतलब था व्यापक विपक्ष को भंग करना, और धीरे-धीरे स्थिति बदलती गई । अंततः कम्युनिस्टों और विभिन्न छोटे समूहों ने संविधान के प्रति अपनी एकमुश्त शत्रुता जाहिर कर दी । तानाशाही के संविधान को स्वीकार करना, और फिर कभी भी पोपुलर यूनिटी (1970 से 1973 तक समाजवादी राष्ट्रपति साल्वाडोर एलेंडे के नेतृत्व में राजनीतिक गठबंधन) जैसी सरकार का प्रयास नहीं करना - एक अत्यधिक प्रतिबंधित लोकतंत्र के भीतर सत्ता में वापसी के लिए भुगतान की गई कीमत थी । पिनोशे ने कहा, ‘हमने उन्हें अच्छी तरह से जकड़ लिया है’ ।

लेकिन 1990 के बाद से हर संघर्ष में लोगों ने इसकी कीमत चुकाई। छात्रों, स्वदेशी लोगों, श्रमिकों, पर्यावरणविदों और परिवर्तन के लिए हर सामाजिक या राजनीतिक आंदोलन अंततः पिनोशे संविधान की अभेद्य दीवार के सामने होते । इसमें कई बार सुधार किए गए, नामित सीनेटरों के रूप में सबसे प्रबल सत्तावादी तत्वों को हटाया गया, लेकिन इसका सार बना रहा: कोई प्रमुख सामाजिक, राजनीतिक या आर्थिक सुधार संभव नहीं था । यह एक स्ट्रेट जैकेट, शब्दों और अवधारणाओं का एक प्रेशर कुकर था । इसकी ताकत थे: समाज को आघात की आशंका में रखना, लचीले मीडिया का सहारा, और एक ऐसी दुनिया में उपभोक्ता समाज की ओर बदलाव जिसमें समाजवाद मर चुका था ।

लेकिन यह मॉडल 2010 में विघटित होना शुरू हुआ, जब चिली ने 1950 के दशक के बाद पहली बार एक दक्षिणपंथी सरकार का चुनाव किया । यह एक प्रारंभिक संकेत था कि कॉन्सर्टेसीऑन मध्यमार्गी गठबंधन ने अपना आकर्षण खो दिया था । गठबंधन इस बात पर फूट पड़ा कि कम्युनिस्ट पार्टी के साथ गठबंधन करके इस कमजोरी की भरपाई की जाए या नहीं । छात्र विरोध आंदोलन से नए राजनीतिक दलों की स्थापना हुई । पोपुलर यूनिटी के बाद पहली बार कम्युनिस्ट पार्टी सहित एक नया केंद्र-वाम गठबंधन स्थापित किया गया । ‘न्यू मजॉरिटी’ के नाम से यह गठबंधन 2015 तक राष्ट्रपति मिशेल बैचलेट के तहत शासित रहा । लेकिन सत्ता के लंबे वर्षों के दौरान भ्रष्टाचार पनप चुका था । उच्च वेतन वाले राजनेता भी शिक्षा और पेंशन से लाभ कमाने में शामिल हो गए थे । असमानता बढ़ी और उससे क्रोध भी बढ़ा । आने वाला विस्फोट पृष्ठभूमि में ही स्पष्ट था, संघर्ष की तीव्रता बढ़ रही थी । 2015 के बाद शायद ही कोई महीना बिना घोटाले या विरोध गुज़रा, और उन सभी को करबिनेरों (राष्ट्रीय पुलिस), जो शायद ही पिनोशे के समय से बदले थे, द्वारा हिंसक रूप से दमित किया गया ।

पिछले साल अक्टूबर में प्रेशर कुकर में विस्फोट हो गया । मेट्रो किराया वृद्धि का विरोध कर रहे स्कूली छात्रों को पीटा गया और उनपर रबड़ की गोलीयां दागी गईं । एक दिन के भीतर ही बड़े पैमाने पर विरोध शुरू हो गया । सरकार ने पहले निंदा और दमन की कोशिश की; यहां तक कि उन्होंने सेना को भी सड़कों पर उतार दिया । दर्जनों मारे गए और घायल हुए, लेकिन विरोध खत्म नहीं हुआ - इसके उलट, वे बढ़ीं । सरकार की वैधता चकनाचूर होने के साथ, लोकप्रिय मन में विरोध हीं चिली का अवतार बन गया । सरकार ने प्रस्ताव रखा कि संसद नया संविधान लिख सकती है लेकिन इसे अस्वीकार कर दिया गया । जिन लोगों को पुराने संविधान से लाभ हुआ था और जिन्होंने उसे बचाए रखा था उन्हें हीं नया संविधान लिखने का प्रभारी कैसे बनाया जा सकता था?

नवंबर 2019 में, सरकार और संसद इस सवाल पर जनमत संग्रह के लिए सहमत हुए, दो सवाल पूछे गए: क्या मतदाताओं को एक नया संविधान चाहिए, और क्या यह मौजूदा संसद या एक नए ‘संवैधानिक सम्मेलन’ (वाम ने वर्षों से मांग की है की इसे ‘संविधान सभा’ न कहा जाए) द्वारा लिखा जाना चाहिए। विरोध प्रदर्शनों के दौरान, आंदोलन की मांगों पर चर्चा करने के लिए देश भर में लोकप्रिय कैबिडोस (परिषदों) की स्थापना की गई, जिससे अनुकूलन और एकता बनाने में मदद मिली । इसके बाद 25 अक्टूबर को चिली के लोगों ने नए संविधान का समर्थन करने और संवैधानिक अधिवेशन का चुनाव करने के लिए लगभग 80 प्रतिशत मतदान किया ।

कप से होंठ तक

इस लंबे इतिहास से चिली में आज अनुभव की जा रही गहरी सामूहिक खुशी को समझाने में मदद मिलती है । एक दोस्त ने मुझसे कहा, ‘हम एक सामूहिक उत्साह जी रहे हैं । न केवल चिली के लोगों ने अंत में - प्रतीकात्मक रूप से - तानाशाही के अंतिम अवशेष को उखाड़ फेंका, बल्कि उन्होंने अपनी राजनीतिक शक्ति को भी फिर से खोज लिया । अब चिली अप्रैल 2021 में एक संवैधानिक संमेलन के चुनाव का इंतजार कर रहा है, जिसके पास नौ महीने (अनुरोध पर बारह तक बढ़ाया जा सकता है) होंगे बहस कर के एक नया संविधान सामने रखने के लिए; इसके बाद 60 दिनों के भीतर इसकी पुष्टि या अस्वीकार करने के लिए नए सिरे से जनमत संग्रह कराया जाएगा । एक साल के भीतर चिली के पास एक नया संविधान होगा और तानाशाही की विरासत से मुक्त होकर आगे बढ़ने में सक्षम हो जाएगा ।

हालांकि अभी कप और होंठ के बीच दूरी है, और संघर्ष संस्थागतकरण के कठिन दौर में आ चुका है । पिछले साल विरोध प्रदर्शनों के दौरान सरकार और कुछ विपक्षी दलों के बीच एक ‘राष्ट्रीय समझौते’ पर हस्ताक्षर किए गए थे, जिसने संवैधानिक जनमत संग्रह के लिए प्रक्रियाएं स्थापित की थीं । आज चिली में शुरू हो रही बहसों के संकेत में मानवतावादियों और कम्युनिस्ट पार्टी सहित मुट्ठी भर दलों ने समझौते पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया, उनका तर्क था कि वे महिलाओं या स्वदेशी लोगों के लिए गारंटीशुदा सीटें स्थापित करने में विफल रहे । उन्होंने नए संविधान को विकसित करने के तरीके के साथ कई कमियों की ओर भी इशारा किया । उदाहरण के लिए, समझौते में यह निर्धारित किया गया है कि कन्वेंशन के सदस्यों का चुनाव संसदीय चुनावों को नियंत्रित करने वाले नियमों के अनुसार किया जाएगा और नए संविधान की विषयवस्तु पर साधारण बहुमत के बजाय कन्वेंशन के 155 सदस्यों में से दो तिहाई की सहमति होनी चाहिए । न ही इस बात पर कोई स्पष्टता है कि कैसे सामाजिक आंदोलनों या निर्दलियों को अधिवेशन में प्रतिनिधित्व दिया जा सकेगा, यह देखते हुए कि चुनाव प्रणाली, पार्टी सूचियों के इर्द-गिर्द बनाई गई है ।

इन मुद्दों से यह स्पष्ट होता है कि समझौते के विरोधी ठगा हुआ क्यों महसूस कर रहे थे: लोकप्रिय आंदोलन के लिए मजबूत पदों की स्थापना किए बिना, गारंटी के साथ अधिकार । संसद ने नई संवैधानिक प्रक्रिया को सक्षम बनाने के लिए मौजूदा संविधान में कई संशोधन भी पारित किए हैं । इनमें अनुच्छेद 135 में कहा गया है कि नए संविधान को चिली के लोकतंत्र का सम्मान करना चाहिए और मौजूदा मुक्त व्यापार समझौतों के तहत देश की प्रतिबद्धताओं को ओवरराइड नहीं किया जा सकता । ये मुद्दे परिवर्तन के लिए संभावित बाधाएं पैदा करते हैं जिन्हें ध्यान में रखा जाना चाहिए ।

इसके अलावा, इस लैटिन अमेरिकी अनुभव से यह भी पता चलता है कि एक नया संविधान हमेशा वास्तविक प्रगति की कूँजी नहीं होता । उदाहरण के लिए, कोलंबिया का संविधान जिसमे 1991 से अधिकार और गारंटी शामिल है, अफ्रीकी-कोलंबियाई और स्वदेशी लोगों के लिए विशिष्ट अधिकारों सहित । इस के बावजूद, कोलंबिया बेहद असमान है,राज्य हिंसा में फंस गया है और उसकी कानूनी प्रणाली सालों से अपने अधिकारों को प्रभावी बनाने के लिए प्रयास कर रहे लोगों के लिए दलदली है । इसमें कोई शक नहीं की इस मॉडल की देखरेख चिली का अभिजात वर्ग कर रहा है । अधिकारों को बने रहने दिया जाता है क्योंकि उन्हें बनाए रखने के साधनों को नियंत्रित किया जा सकता है। फिर भी चिली की आशा है कि दशकों में पहली बार अभिजात वर्ग, राजनीतिक रूप से अलग-थलग है और उसका वैचारिक प्रभुत्व टूट गया है । हाल के चुनावों से पता चला है कि चिली के 77 प्रतिशत लोग अमीरों और गरीबों के बीच एक ‘महान संघर्ष’ देखते हैं, जबकि केवल 22 प्रतिशत अभिजात वर्ग से सहमत हैं कि ‘सार्वजनिक व्यवस्था’ एक मुद्दा है । इसके अलावा, चिली के संस्थानों को वैधता का गंभीर संकट है, विशेष रूप से कोविड-19 के मद्देनजर उनकी पूरी तरह अपर्याप्त प्रतिक्रिया की वजह से। इसका मतलब यह है कि अब रुलबुक को फिर से लिखने का एक बड़ा अवसर है, हालांकि अगले कुछ महीनों में चुनौती होगी - बड़े पैमाने पर सामाजिक लामबंदी को कन्वेंशन के प्रभुत्व में तब्दील करने की ।

ऐसा करने के साथ संभावित समस्याएं हैं । चिली के कुछ टिप्पणीकारों का तर्क है कि देश अब तीन संघर्षों का सामना कर रहा है जो आपस में जुडे हुए हैं - पहला एक नए नेता के लिए, दूसरा एक वामपंथी झुकाव वाले सम्मेलन का चुनाव करने के लिए और तीसरा एक नए संविधान की सामग्री को परिभाषित करने की लड़ाई । दूसरे इस तथ्य को इंगित कर रहे हैं कि हाल ही में हुए जनमत संग्रह के परिणाम को आधे से कुछ अधिक संभावित मतदाताओं के मत के साथ जीता गया था,और गरीब क्षेत्रों में उच्च मतदान हुआ; जबकि मतदान नवंबर 2017 के पिछले राष्ट्रपति चुनाव की तुलना में अधिक था - कोविड-19 के बावजूद, यह अभी भी एक संकेत है कि यदि पर्याप्त लोकप्रिय दबाव न बनाया जाए तो वाम, किसी भी बड़े संशोधन के लिए आवश्यक दो तिहाई बहुमत पाने के लिए संघर्ष कर सकता है ।

आगे की चुनौतियां

राजनीतिक दलों में वैधता की कमी वाम के लिए एक बाधा है, क्योंकि लोकप्रिय आंदोलन में पुराने बड़े दलों का अभाव है । इसका मतलब यह की राजनीतिक जुटान, राष्ट्रीय नेटवर्क या प्रसिद्ध, करिश्माई और विश्वसनीय उम्मीदवारों का अभाव है । हालांकि यह विरोध प्रदर्शनों के दौरान फायदेमंद था, लेकिन अब यह उम्मीदवारों के आसपास मतदाताओं को लामबंद करने की क्षमता पर प्रभाव डालेगा, जिन्हें मांग किए जा रहे बदलावों का प्रतीक होना चाहिए । दलों के बिना और सूचियों के आसपास निर्मित एक चुनाव प्रणाली का सामना करते हुए लोकप्रिय आंदोलन को शायद एक आम संवैधानिक कार्यक्रम के लिए सामाजिक आंदोलन के उम्मीदवारों की एक संयुक्त सूची के माध्यम से प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना होगा ।

शायद यह समाजवाद की ओर बोलीविया का आंदोलन (बोलीवियन मूवमेंट टूवर्ड्स सोशलिज़म - MAS) के मॉडल का पालन कर सकता है । इस नए आंदोलन में कुछ राजनीतिक दल शामिल हो सकते हैं, लेकिन यह चिली के लोकप्रिय आंदोलन की बारहमासी समस्या को बढ़ाएगा: क्या उन्हें राजनीतिक शुद्धता का लक्ष्य रखना चाहिए या एक व्यापक विकल्प चुनना चाहिए? सवाल यह है कि क्या वहां एक अधिक कट्टरपंथी दृष्टिकोण के लिए लोकप्रिय समर्थन है । हालांकि चुनाव एक नए संविधान के लिए भारी जन-समर्थन दिखा रहे हैं, पर विचार के विस्तार पर पर्याप्त असहमति हो सकती है । समय का दबाव है क्योंकि अप्रैल में होने वाले चुनाव से पहले सूचियों पर सहमति बनाने की जरूरत होगी । सौभाग्य से केंद्राधीक्षकों को भी दुविधा का सामना करना पड़ता है क्योंकि पिछले वर्ष के विरोध प्रदर्शनों ने केंद्र की जमीन को सुखाया है । यह संभावना नहीं है कि मौजूदा राजनीतिक दलों के कई उम्मीदवार चुने जाएंगे । हमें नए राजनीतिक आंकड़ों की एक पूरी श्रृंखला दिखने की संभावना है, लेकिन एक बार वे शपथ ले लें फिर सवाल बयानबाजी के परे, उनकी वफादारी सुनिश्चित करने का है । हम उन घातक प्रभावों के बारे में भोले नहीं बने रह सकते जो इस प्रक्रिया को घेर लेंगे; इसमें कोई संदेह नहीं है कि प्रलोभन दिए जाएंगे।

आज सभी संकेत साफ हैं कि अधिवेशन के परिणाम में सामाजिक दबाव अहम भूमिका निभाता रहेगा । सामाजिक आंदोलन को संतुलन देने के लिए अपनी लामबंदी जारी रखना होगा, लेकिन यह उनके एक साथ काम करने और आम मांगों पर मुखर रहने की उनकी क्षमता पर निर्भर करेगा । जैसा कि एलेंडे ने कई साल पहले कहा था, संगठन और लोकप्रिय चेतना कामकाजी लोगों के लिए जीत का ‘प्रमुख साधन’ हैं ।

लोकप्रिय आंदोलन ने 2019 और कोविड पूर्व 2020 के दौरान दर्जनों मांगें विकसित कीं, और ये इंगित करते हैं कि देश के लोग इस प्रक्रिया से क्या चाहता है। नए संविधान को जिन सबसे महत्वपूर्ण मुद्दों का समाधान करना चाहिए, वे हैं-राज्य की संस्थाओं में सुधार; अर्थव्यवस्था में राज्य की भूमिका को फिर से परिभाषित करना (विशेष रूप से खनन का राष्ट्रीयकरण) और पर्यावरण की रक्षा; शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और सामाजिक सुरक्षा में राज्य की भूमिका को सुदृढ़ करना; श्रमिकों, महिलाओं, स्वदेशी लोगों और यौन अल्पसंख्यकों के अधिकारों को मजबूत बनाना; और अंत में, यह तय करना कि राज्य - सेना और पुलिस में सुधार सहित न्याय कैसे सुनिश्चित करेगा ।

परिवर्तन के पक्ष में एक बड़े पैमाने पर सामाजिक बहुमत है, लेकिन यह कार्यक्रम चिली अभिजात वर्ग के निहित स्वार्थों के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लोगों - विशेष रूप से खनन और कृषि व्यवसाय - और उप-अनुबंधित सेवाओं और भ्रष्टाचार के विशाल नेटवर्क, जिसके लिए वे निधि देते हैं, के लिए एक बड़ी चुनौती प्रस्तुत करता है । कुछ सामाजिक मुद्दे कैथोलिक और ईवैन्जेलिकल चर्चों, या चिली के मापुशे क्षेत्रों में बसे गोरे जमींदारों के हितों के विपरीत हैं। विशेष रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका इस बात पर भी चिंतित होगा कि चिली का नया संविधान वामपंथी ताकतों के क्षेत्रीय संतुलन पर कैसे चिंतन करेगा । इसलिए हम विदेशी हितों के संभावित नुकसान को सीमित करने के लिए इस प्रक्रिया पर पर्याप्त विदेशी दबाव की उम्मीद कर सकते हैं, जिसमें कन्वेंशन के सदस्यों की पैरवी, मीडिया अभियान और इस तरह अन्य उपाय शामिल हैं । फिर भी, यह एक उम्मीद का संकेत है कि हाल ही में हुए जनमत संग्रह पर दक्षिणपंथियों का खर्च उनके विरोधियों द्वारा खर्च किए गए राशि का छह गुना था, और तब भी अनुमोदन वोट में सेंध लगाने में पूरी तरह विफल रहा ।

जागृति

फिर भी इन चुनौतियों के बावजूद, संस्थागत क्षय के बीच, लोकप्रिय समर्थन के पैमाने का मतलब है - नए संविधान में उन महत्वपूर्ण उपायों को लागू करने की संभावना, जो चिली के भविष्य को बदल देंगे । सबसे अधिक संभावित परिवर्तनों में खनन उद्योगों का राष्ट्रीयकरण और नए पर्यावरण नियमों की शुरुआत है । हम श्रम संहिता में बड़े सुधारों की अपेक्षा कर सकते हैं जिससे कामगारों के अधिकारों को अधिक मान्यता और प्रवर्तन करने के साथ-साथ भाषा और संस्कृति को स्वदेशी अधिकारों की मान्यता और शायद कुछ राजनीतिक स्वायत्तता की अनुमति मिल सके । नए संविधान से कैराबिनेरोस और सेना में वास्तविक बदलाव होने की भी संभावना है, जिसमें प्रशिक्षण और भर्ती पर अधिक नागरिक नियंत्रण शामिल है । चूंकि शिक्षा और पेंशन प्रणाली कई वर्षों से लोकप्रिय असंतोष के मूल में रही है, इसलिए संभावना है कि इनका राष्ट्रीयकरण भी किया जाएगा । नए संविधान में चुनावी कानूनों सहित राजनीतिक संस्थानों में भी सुधार होगा ।

आने वाली बातों की सही रूपरेखा जो भी हो, यह निश्चित है की हम एक ‘समतावादी अर्थव्यवस्था और राजनीतिक व्यवस्था’ के जन्म का गवाह बनने वाले हैं ।

लेकिन इस जीत से महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और सामाजिक बदलाव भी होंगे। हम संस्कृति और कला के समर्थन में राज्य की भूमिका बढ़ने की उम्मीद कर सकते हैं । सब कुछ बहस के लिए खुला रखते हुए, इसमें कोई शक नहीं कि अतीत का एक और पुनर्मूल्यांकन हो जाएगा, जो शायद उन लोगों और संगठनों के संबंध में अधिक ध्यान देने योग्य होगा जिन्होंने तानाशाही के खिलाफ हथियार उठा ली । अब तक, आधिकारिक तौर पर, केवल उनकी निंदा हीं की गई है, उनमें से कई अभी भी चिली जाने में असमर्थ हैं क्योंकि वे ‘आतंकवाद’ के लिए वांछित हैं । कोई संदेह नहीं की यह संशय का दौर गुजर जाएगा क्योंकि अवाम ने इस प्रणाली को ठुकरा दिया है। इसकी भी बहुत संभावना है कि मपुछे और ग्रामीण कंपेसिनोस, जिन्होंने तख्तापलट के बाद अपनी भूमि खो दी, के लिए न्याय की मांग हो। इस बात की बहुत संभावना है कि चिली में महिलाओं की भूमिका भी बदल जाएगी, और हम विरोध आंदोलन में उनकी जन भागीदारी के समानांतर राजनीति और सामाजिक जीवन में भी कहीं अधिक महिला भागीदारी की उम्मीद कर सकते हैं ।

शायद सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा यह है कि चिली के लोगों ने अपना डर खो दिया है और एक बार फिर केंद्र पर वही है । चिली वास्तव में अपने लंबे कोमा से जागा है, और पिनोशे और उसके गुर्गों द्वारा अनंत काल के लिए देश को बांधी गई बेड़ियों से मुक्त भविष्य की दिशा में अपना पहला कदम उठा रहा है ।

विक्टर फिगुरोआ क्लार्क, अलबोरादा के योगदान संपादक है, लंदन स्कूल ऑफ ईकनामिक्स में इतिहास पढ़ाया है और लैटिन अमेरिकी वाम इतिहास के विशेषज्ञ हैं । वह “साल्वाडोर एलेंडे: रेवलूशनेरी डेमोक्रेट” के लेखक भी हैं।

Available in
EnglishGermanFrenchSpanishPortuguese (Brazil)TurkishItalian (Standard)HindiPortuguese (Portugal)
Author
Victor Figueroa Clark
Translator
Surya Kant Singh
Date
20.11.2020
Source
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