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वक्तव्य

नियमित होने के लिए आतुर

ब्रसेल्स के भूख हड़ताल करने वालों के समर्थन में 100+ कार्यकर्ताओं और विचारकों ने खुले पत्र पर हस्ताक्षर किए
100 से अधिक कार्यकर्ताओं और विचारकों ने ब्रसेल्स में भूख हड़ताल करने वालों के समर्थन में एक खुले पत्र पर सह-हस्ताक्षर किए हैं, और बेल्जियम सरकार से जल्द से जल्द बातचीत फिर से शुरू करने का आग्रह किया है।

फरीदा 51 साल की हैं। उनका जन्म बेल्जियम में हुआ था। उनके पूरे परिवार की बेल्जियम की राष्ट्रीयता है। फरीदा के पास एक स्थिर नौकरी है। वह 6 से 8 € प्रति घंटे पर कार्यालयों और सार्वजनिक भवनों की सफाई करती हैं। अपनी प्रशासनिक स्थिति के नियमितीकरण के लिए उनका अंतिम आवेदन खारिज कर दिया गया और अब उन्हें राज्य द्वारा जारी औपचारिक आदेश के अधीन क्षेत्र को छोड़ने के लिए कहा गया है।

16 साल पहले किरण नेपाल में एक गृहयुद्ध से भाग कर आए थे और बेल्जियम में शरण का दावा दायर किया था। जबकि उनका शरण अनुरोध अभी लंबित था, उन्हें नौकरी मिल गई। तब उन्हें 10 € प्रति घंटे का भुगतान मिलता था । शरण के लिए उनका दावा खारिज होने के बाद उनका वेतन प्रति घंटे 2.5 € तक गिर गया। बेल्जियम में पैदा हुई उनकी बेटी अब 5 साल की है और बहुत अच्छी फ्लेमिश बोलती है जो उसने स्कूल में सीखी है। परिवार ने नियमितीकरण के लिए पांच आवेदन दायर किए, सभी खारिज कर दिए गए।

मोहम्मद 17 साल से बेल्जियम में रह रहे हैं। उन्होंने ब्रुसेल्स मेट्रो के उद्घाटन की एक पुरानी तस्वीर सहेज कर रखी है । “मैंने सार्वजनिक निर्माण स्थलों पर काम किया। [...] हमने चार लाइनों को जोड़ने वाली मेट्रो सुरंगों को खोदा। यह कठिन काम था। मुझे जो सबसे स्पष्ट रूप से याद है, वह यह कि हम हमेशा ऑक्सीजन के लिए हांफते रहते थे। मोहम्मद ने "बिना किसी बीमा या सुरक्षा के" एक संदेहास्पद उपठेकेदार के लिए काम किया। वह आगे कहते हैं, "अगर हम भाग्यशाली होते थे, तो वे हमें प्रति घंटे 3 € का भुगतान करते थे।"

फरीदा, किरण और मोहम्मद 475 गैर- दस्तावेजी प्रवासियों के एक राजनीतिक समूह का हिस्सा हैं। पिछले 50 दिनों से, वे ब्रसेल्स (दो विश्वविद्यालय और एक चर्च) में तीन साइटों पर कब्ज़ा कर के भूख हड़ताल पर हैं। पहले राजनीतिक कार्यवाहियों के अधिक पारंपरिक रूपों (लॉबिंग, प्रदर्शन, कब्ज़ा, आदि) में शामिल होने और कोविड महामारी के चलते किनारे पर धकेल दिए जाने के बाद, उन्होंने इस अंतिम राजनीतिक कार्रवाई का सहारा लेने का फैसला किया: जिस हिंसा का उन्हें दैनिक आधार पर शिकार होना पड़ता है, उसे उन्होंने अपने शरीर पर प्रदर्शित किया। अपने आर्थिक शोषण के चलते मात्र शरीर के दर्जे तक पहुंचा दिए गए, उन्होंने अपने जैविक अस्तित्व को ही अपनी कानूनी मान्यता के लिए संघर्ष स्थल में बदल दिया। उनकी देखभाल करने वाले चिकित्सकों के अनुसार, उनकी भूख हड़ताल दो सप्ताह पहले "गंभीर" चरण में प्रवेश कर गई थी। उनका शरीर, अपनी सारी चीनी और वसा को जलाकर, अपने स्वयं के अंगों का उपभोग करना शुरू कर रहा है (हृदय सहित)। मृत्यु अब एक वास्तविक और आसन्न खतरा बन गई है।

गैर-दस्तावेजी प्रवासियों की मांगें सीधी हैं। सबसे पहले, वे चाहते हैं कि भूख हड़ताल करने वालों को नियमित किया जाए। दूसरा, वे चाहते हैं कि सरकार के राजनीतिक एजेंडे पर नियमितीकरण के स्पष्ट और स्थायी मानदंड परिभाषित करना हो,जिसे एक स्वतंत्र आयोग द्वारा लागू किया जाए।

शरण और प्रवास के वर्तमान स्टेट सेक्रेटरी , ईसाई-लोकतांत्रिक सैमी महदी, इस आधार पर किसी भी बातचीत की शुरुआत करने से इनकार कर रहे हैं। वह अपने कठोर रुख को सही ठहराने के लिए एक भारी तर्क का सहारा ले रहे हैं: गैर-दस्तावेजी प्रवासियों को राज्य द्वारा जारी किए गए क्षेत्र को छोड़ने का आदेश मिला है, जिसका उन्होंने पालन नहीं किया। इसलिए वे अपनी प्रशासनिक स्थिति के लिए व्यक्तिगत रूप से ज़िम्मेदार हैं।

क्या यह कानूनी औपचारिकता गैर-दस्तावेजी प्रवासियों को किसी भी कानूनी स्थिति से वंचित करने का औचित्य साबित करने के लिए पर्याप्त है? यह आसानी से इस तथ्य को छुपाता है कि बेल्जियम (और व्यापक रूप से यूरोपीय संघ) अक्सर खुद प्रवासियों की अनियमित स्थिति पैदा करता है। बेल्जियम में 150,000 लोग बिना कागज़ात के रह रहे हैं और काम कर रहे हैं। प्यू सेंटर द्वारा जारी एक अध्ययन के अनुसार, लगभग 3.9 से 4.8 मिलियन लोग यूरोपीय संघ के भीतर गैर-दस्तावेजी प्रवासी हैं। यह विशाल संख्या प्रवासन नीतियों में जानबूझ कर लाए गए बदलाव का परिणाम है। पिछले 20 वर्षों में, यूरोपीय राज्यों ने सामूहिक और ज़बर्दस्त रूप से यूरोप में कानूनी प्रवास के रास्तों को घटा दिया है। उन्होंने अपने सार्वजनिक प्रशासन के भीतर प्रतिबंधात्मक और मनमाने व्यवहार को बढ़ावा दिया, उदाहरण के लिए अस्थायी निवास परमिट को नवीनीकृत करने की शर्तों को कठोर करना - जिसने बहुत से प्रवासियों को अनियमित स्थिति में धकेल दिया। उन्होंने यूरोप की बाहरी सीमाओं को नियंत्रित करने के संवेदनशील कार्य को आउट्सोर्स कर के पड़ोसी राज्यों (जैसे तुर्की और लीबिया) को सौंप दिया, जिनके यदि न्यूनतम भी कहें तो प्रवासी कल्याण के संबंध में रिकॉर्ड खराब हैं। उन्होंने अपने श्रम बाज़ारों को दस्तावेजी औरगैर-दस्तावेजी श्रमिकों में विभाजित होने दिया , जो असुरक्षित कार्यबल के शोषण को सुविधाजनक बनाते हुए उन आर्थिक क्षेत्रों में सामाजिक डंपिंग को बढ़ावा देता है जिन्हें आउटसोर्स नहीं किया जा सकता है (निर्माण, भोजन और आतिथ्य, देखभाल, आदि)।

यह न्यायिक औपचारिकता बेल्जियम की प्रवास नीतियों के अपने तरह के इतिहास की भी अनदेखी करती है। पिछले दशकों से, मोटे तौर पर हर दस साल में, बेल्जियम इस बात पर जग उठता है कि उसके क्षेत्र में बहुत से गैर-दस्तावेजी प्रवासी रह रहे हैं और यह स्थिति दीर्घकालिक रूप तक नहीं चल सकती। बेल्जियम तब बड़े पैमाने पर, लेकिन अस्थायी रूप से नियमितीकरण अभियान (1999-2000 में और फिर 2009-2010 में) चलाता है, और हर बार शपथ लेता है कि यह अभियान आखिरी होगा। इसके विपरीत, फ्रांस और स्पेन लंबे समय से इस निष्कर्ष पर पहुँच चुके हैं कि कि प्रवास के इस त्रुटिपूर्ण प्रबंधन के कारण राजनीतिक गतिरोध आ गया है। उन्होंने स्पष्ट और स्थायी मानदंड (जैसे रहने की अवधि, स्थिर नौकरी, सिद्ध सामाजिक संबंध, आदि) स्थापित करने का विकल्प चुना , जिसके आधार पर गैर-दस्तावेजी प्रवासियों को निरंतर और व्यक्तिगत आधार पर नियमित किया जा सकता है।

बेल्जियम सरकार - यूरोप में कई अन्य सरकारों की तरह - एक गंभीर राजनीतिक गलती कर रही है। यह दक्षिणपंथी राष्ट्रवादी दलों के उदय से भयभीत है। यह "दृढ़ लेकिन मानवीय" प्रवासन नीतियों को लागू करके ऐसे राजनीतिक प्रस्ताव (जो इसके बावजूद मतदाताओं को अपील कर रहे हैं ) से खुद को अलग करने का प्रयास कर रही है। लेकिन व्यावहारिक रूप से इसका मतलब है कि बेल्जियम सरकार वर्तमान में मानवाधिकारों और अंतरराष्ट्रीय कानून के मानदंडों का सम्मान करने का दावा करते हुए वस्तुतः राष्ट्रवादी दलों के ही प्रवासन कार्यनीतियों के हल्के संस्करण को लागू कर रही है। इस तरह का दृष्टिकोण दोहरी विफलता का द्योतक है। क्योंकि, इसका तात्पर्य यह है कि अंधराष्ट्रवादी पार्टियों के पास प्रवासन के लिए सही राजनीतिक रणनीति है, यह वस्तुतः उन सार्वभौमिक मूल्यों को कलंकित करना है जिन्हें ये संदर्भित कर रहे हैं । धुरदक्षिणपंथ के खिलाफ लड़ाई के लिए कोई उसी के राजनीतिक एजेंडे को स्वीकार नहीं कर सकता। धुर दक्षिणपंथ के खिलाफ लड़ने के लिए, उसके विचारों का विरोध करना होता है, चाहे वह वक्तव्यों के माध्यम से हो या कार्यों से।

उपरोक्त सभी कारणों से, हम बेल्जियम सरकार से आग्रह करते हैं कि भूख हड़ताल करने वालों के साथ उनके नियमितीकरण के परिप्रेक्ष्य में जल्द से जल्द बातचीत फिर से शुरू करें और भविष्य के लिए नियमितीकरण के स्पष्ट और स्थायी मानदंड स्थापित करने के लिए राजनीतिक सुधार शुरू करें।

इस पत्र के सह-हस्ताक्षरकर्ता हैं: केन लोच [DiEM25 सलाहकार पैनल सदस्य]; डारडेन ब्रदर्स; नोआम चॉम्स्की [PI परिषद सदस्य और DiEM25 सलाहकार पैनल सदस्य]; रॉजर वॉटर्स; क्रिस्टियाने तौबीरा; एग्नेस जौई; एग्नेस बी ; ब्रायन एनो [DiEM25 सलाहकार पैनल के सदस्य]; कोस्टा गावरस; मिशेल रे गावरास; विलो; सुसान जॉर्ज; डोमिनिक ग्रोस; राडू मिहेलेनु; सेड्रिक हेरो; डोमिनिक ब्लैंक; जूडिथ बटलर; आइरीन जैकब; मैरिएन डेनिकोर्ट; आंद्रे विल्म्स; यानिस वरौफ़ाकिस [DiEM25 सह-संस्थापक और MeRA25 नेता और PI परिषद सदस्य]; जीन ज़िग्लर; ऐ वेई वेई; पीटर गेब्रियल; बौली लैनर्स; वर्जिनी लेडॉयन; नताचा रेग्नियर; लियाम कनिंघम; जीन बालीबार; मारियस गिल्बर्ट; इमैनुएल आंद्रे; रॉबर्ट गुएडिगुइयन; फ्रांकोइस टुल्केन्स; एनीमी शॉस; अकी कौरिस्माकी; माइक लेह; एटिने बालीबार; फिलिप गेलुक; अकिल म्बम्बे;

यहाँ उपलब्ध
Translators
Nivedita Dwivedi and Vinod Kumar Singh
तारीख़
15.07.2021
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