Social Justice

चिली का सेबास्तियन पिनेरा इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट भेजे जाने की राह पर ?

2019 से ही, पिनेरा सरकार सुनियोजित- व्यवस्था जन्य रूप से मानवाधिकारों का उल्लंघन करती आ रही है। उसे आइसीसी (ICC) ले जाने की कोशिश कर रहे अभियोजक, मॉरिशियो दाज़ा के साथ साक्षात्कार।
2019 में जब चिली की जनता सेबास्तियन पिनेरा की नवउदारवादी सरकार के खिलाफ उठ खड़ी हुई, उन्हें बर्बर दमन का सामना करना पड़ा। आज वे इन अपराधों के लिए पिनेरा को अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) में जिम्मेदार ठहराए जाने की मांग कर रहे हैं।

संपादकीय टिप्पणी चिली में मानवाधिकारों के व्यवस्था जन्य उल्लंघनों की पूरी ऋंखला रही है, विशेषकर "सामाजिक उथल-पुथल" के दौर में। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने रबर की गोलियों से आँख के नुकसान, प्रताड़ना, मृत्यु, यौनिक अत्याचार, और अन्य अत्याचारों व गंभीर उल्लंघनों के प्रमाण जुटाए हैं। इन्हें सेबास्तियन पिनेरा को इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट में ले चलने के लिए प्रमाणों के डोजियर के रूप में संकलित किया गया है। और अधिक जानकारी के लिए, ब्रूनो सामर ने अभियोजक मॉरिशियो दाज़ा का तियेरा विडीओ चैनल पर केबल साक्षात्कार लिया । वायर पार्टनर एल सियुदादानो द्वारा यह साक्षात्कार का संक्षिप्त संस्करण है। पूरा साक्षात्कार स्पेनिश में यहाँ उपलब्ध है।

बी एस : राष्ट्रपति सर्किल में यह चर्चा है कि पिनेरा की प्रमुख चिंताओं में से एक अंतराष्ट्रीय कोर्ट में उसका अभियोजन है। आप के विचार से क्या पिनेरा विदेश में अपनी छवि को बचाने के लिए कुछ कर पाएगा, विशेषकर यह देखते हुए कि चिली में उसकी छवि पूरी तरह से नष्ट हो चुकी है ? इस बारे में आप क्या कहते हैं ?

एम डी : बिल्कुल, यह आधिकारिक संचार-संवादों से स्पष्ट है कि सरकार सेबास्तियन पिनेरा के मानवता के विरुद्ध अपराधों के लिए आपराधिक अभियोजन को ले कर चिंतित है। जिस तरह से पिनेरा प्रशासन 2019 में सामाजिक उभार (outbreak) के बाद लगाए गए आपातकाल के दौरान कारबिनेरोज दे चीले ( चिली राष्ट्रीय पुलिस बल) और सैन्य बलों द्वारा नागरिक आबादी के खिलाफ हमलों के मुद्दे पर प्रतिक्रिया दे रहा है, उससे यह पूरी तरह से स्पष्ट है।

इसके लिए काफी आधार हैं, जैसे, आम तौर पर, पिनेरा तमाम कानूनी प्रक्रियाओं का सामना करता रहा है, जो अधिकांशतः आर्थिक अपराधों से संबंधित रही हैं। हमें यह याद रखना चाहिए कि उस पर कुख्यात बांको दे ताल्का मामले में फ्रॉड के लिए मुकदमा चला था, और ऐसे अन्य बहुत से मामले थे जो उन कंपनियों से जुड़े हुए थे जिनमें वह प्रबंधकीय अथवा बोर्ड हैसियत में था। उसके खिलाफ इनसाइडर ट्रेडिंग सहित मुक्त प्रतिस्पर्धा नियमों और सिक्योरिटी बाजार नियमों का उल्लंघन करने के आरोप थे।

बहरहाल, वह अब बिल्कुल अलग तरह के आरोप का सामना कर रहा है, जिससे उसका उस तरह से निकल पाना संभव नहीं होगा, जिस तरह से चिली जैसे देश में आर्थिक महाबली आम तौर पर एक टेलीफोन कॉल, अपने या अपने समर्थकों के प्रभावशाली नेटवर्कों, या फिर अपने प्रभाव के व्यावसायिक अथवा राजनीतिक ग्रुपों के माध्यम से निकल लेने में सफल होते रहे हैं।

बी एस : इस मुकदमे को दाखिल करने का विचार किस तरह आया, कौन इसे इसकी तार्किक परिणति तक ले जाएगा, और आप के विचार से इसकी व्यवस्था किस तरह से हो सकेगी, क्योंकि यह मुकदमा मानवता के विरुद्ध अपराधों के लिए है ?

एम डी : बिल्कुल ठीक, यह मानवता के विरुद्ध अपराधों के लिए है।

बी एस : जहां तक मेरी समझ है, इन अपराधों के लिए काल-बाधित होने (लिमिटेशन) का कोई कानून नहीं है। वे कौन से तत्व हैं जो मानवता के विरुद्ध अपराधों को पुष्ट करने में हमारी मदद करेंगे ?

एम डी : वास्तव में, यह विचार उस सच्चाई को देखने के बाद आया जो 18 अक्टूबर 2018 के बाद से तमाम महीनों में दिख रही थी। पुलिस बल लगातार ऐसी दमनात्मक कार्यवाहियाँ कर रहे थे जिनमे न केवल नागरिक आबादी के खिलाफ अपराध थे, बल्कि, हमारी राय में, मानवता के विरुद्ध अपराधों के भी मामले बनते थे, क्यों कि हम नागरिक आबादी के खिलाफ व्यापक रूप से विस्तारित, सुनियोजित- व्यवस्थित हमले देख रहे थे। यह इस संदर्भ में भी है कि राजनीतिक प्राधिकारी यह अच्छी तरह जानते थे कि क्या हो रहा है, और उन्होंने इस दमन को रोकने के लिए कुछ भी नहीं किया। हमने देखा कि हमारे सामने वैयक्तिक हमलों से कहीं ज़्यादा गंभीर स्थिति की चुनौती थी, और यह भी कि पुलिस कार्यवाही के पीछे पूरी सुनियोजित कार्यनीति काम कर रही थी। स्पष्ट रूप से, वह पुलिस अधिकारी, जो हमले को अंजाम देता है और गोली चलाता है, आपराधिक रूप से ज़िम्मेदार है, मगर उसी के साथ कारबिनेरोज के कमांडर, और सबसे बढ़ कर, सिविलियन प्राधिकारी भी जिम्मेदार हैं।

रोम संविधि (statute), जिसके द्वारा अंतर्राष्ट्रीय क्रिमिनल कोर्ट (ICC)की स्थापना हुई, में संविधित नियमों के आधार पर उसने उन हमलों के आपराधिक प्रतिबंधों (criminal sanctions) के लिए फ्रेमवर्क बनाया है, जो न केवल वैयक्तिक पीड़ितों के अधिकारों को प्रभावित करते हैं, बल्कि मानवता की अंतर्चेतना (conscience)को भी चोट पहुंचाते हैं। इन प्रतिबंधों को लागू कराने के लिए आपराधिक मामला दर्ज कराया जाना आवश्यक है।

बी एस : आप समझते ही हैं कि सरकार के अंदर किस तरह से चेन ओफ़ कमांड काम करता है, कैसे आदेश का अनुपालन होता है। आप ऐसा क्यों सोचते हैं कि अंततः पिनेरा इन तमाम घटनाओं के लिए जिम्मेदार है ?

एम डी : रोम संविधि ने राज्य और अन्य ग्रुपों की, जो किसी स्थान पर अपनी ताकत का इस्तेमाल करते हैं, दमनात्मक कार्यवाहियों द्वारा जनित त्रासद आतंक की पड़ताल के आधार पर अपने नियम संविधित किए हैं। इन नियमों का उद्देश्य 'मुकदमे से मुक्त होने' (इम्यूनिटी) के दावों को खारिज करना और आमतौर पर लिए जाने वाले बचाव का प्रतिवाद करना है जो प्रायः आरोपी ऐसे मामलों में लेते हैं।

आम तौर पर राजनीतिक प्राधिकारी क्या कहते हैं ? वे कहते हैं, आप जानते ही हैं कि, सच्चाई यह है कि राष्ट्रपति, या उसके किसी मंत्री अथवा सेना या कारबिनेरोज के कमांड की ओर से पुलिस को ऐसी किसी कार्यवाही के लिए कोई प्रत्यक्ष, लिखित आदेश नहीं होता जिससे प्रदर्शनकारियों के मानवाधिकारों का हनन होता हो। इसलिए हमारी कोई जिम्मेदारी नहीं है।

यह वह मूल तर्क (argument) है जिसे तानाशाह या समूह, जो किसी स्थान पर मानवाधिकारों का हनन करते हैं, आमतौर पर सामने रखते हैं। यही कारण है कि इसके प्रतिवाद के लिए यह प्रत्यक्ष जिम्मेदारी विनिर्दिष्ट की गयी है।

रोम संविधि यह पूरी तरह स्पष्ट कर देती है कि वे नागरिक प्राधिकारी, मिलिट्री कमांडर, या वे तमाम लोग जो प्रभावी रूप से ऐसा कृत्य करते हैं, आपराधिक रूप से उत्तरदायी होंगे यदि वे जानते थे कि ये कार्यवाहियाँ हो रही थीं और वे इनको रोकने के लिए प्रभावी कार्यवाही करने में असफल रहे।

इसलिए,किसी राष्ट्रपति, या मंत्री, या पुलिस प्रमुख की स्थिति पर विचार कीजिए, जो जनता है कि ये हमले किए जा रहे थे, मगर जो उन्हें रोकने के लिए कोई प्रभावी कदम नहीं उठाता। एक सार्वजनिक बयान, आम अपील जारी कर देना पर्याप्त नहीं है, बिल्कुल नहीं है, जरूरत प्रभावी कार्यवाही की है, झंडे को सलामी देने की नहीं। यदि वे ऐसा करने में असफल रहते हैं, तो वे उसी स्थिति में हैं जिसमें मैदान में वह व्यक्ति है जो गोली चलाता है, जो हमले करता है, जो चोट पहुँचाता है। यह रोम संविधि का विशिष्ट नियम है, और कानून 20.357 में भी उल्लेखित है जो चिली के अपने घरेलू विधान में इन अपराधों को विनिर्दिष्ट करता है।

इसलिए जैसा कि मैंने कहा, पिनेरा के लिए कोई आदेश जारी करना, डिक्री जारी करना, ईमेल भेजना जरूरी नहीं है। इतना पर्याप्त है यदि उसने कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया, इसे रोकने के लिए अपनी पूरी शक्ति का इस्तेमाल नहीं किया, और हमारी राय में बिल्कुल यही है जो हुआ है।

Photo: jbdodane / Flickr

Available in
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Authors
Marian Martinez and Bruno Sommer
Translators
Vinod Kumar Singh and Nivedita Dwivedi
Date
16.04.2021
Source
Original article🔗
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