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कैसे नस्लवाद चेकिया में रोमा परिवारों को बेघर किये हुए है

नस्लवाद और कलंकीकरण के चलते, रोमा परिवार चेकिया में बेहतर आवास पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। पिछले वर्ष क्रिसमस के बाद, कोविड-19 पेंडेमिक की भयावह महामारी के बावजूद बहुतों को बेघर कर दिया गया है ।
चेकिया के उत्तर में कोवार्स्का के कभी ख़तरनाक रहे घेट्टो, जो अब एक तरह की बेनामी काउंसिल इस्टेट सम्पदा है, के नये मालिक ने पेंडेमिक के दौरान वहाँ के सारे किराएदारों को निकाल बाहर किया - जिनमे से अधिकांश रोमा थे।

नीला, हरा, और नारंगी - ये तीन रंग हैं चेकिया के उत्तर में स्थित वार्नसडोर्फ टाउन के कोवार्स्का स्ट्रीट के कभी कुख्यात घेट्टो में फ्लैटों के कंक्रीट ब्लाकों के। आज यह आम तौर पर शांत और आंशिक रूप से ख़ाली "अलग की हुई लोकेलिटी" है।

पिछले वर्ष के उत्तरार्ध में, एक स्थानीय व्यापारी लुकास राक ने पुराने मालिक पावेल त्रोच से कुछ आवासीय फ़्लैट उन्हें नए सिरे से सुसज्जित करने के इरादे से ख़रीदे। पहले ही गर्मियों में, किराए वाले हिस्सों से "परेशान करने वाले" किरायेदारों को जबरन हटाया जा चुका था। बाद में, पतझड़ में, दूसरे किरायेदारों को भी, जो अपना किराया समय से अदा कर रहे थे, फ्लैट खाली करने पर मजबूर होना पड़ा। उनके किरायेदारी करार, मूल रूप से तीन महीने के बजाय, महीने-महीने आधार पर थे, जिसके चलते किरायेदारों को क़रीब-क़रीब तुरंत निकाल बाहर कर दिया गया।

राक ने इस अवसर को कोविड-19 पेंडेमिक के पहले साल के अंत में लपकते हुए आखिरी किरायेदार को भी बाहर कर के अब पूरी तरह से ख़ाली फ्लैटों के पुनर्निर्माण का काम शुरू किया। यह उस पृष्ठभूमि में हुआ, जब 2020 के वसंत में चेक गणराज्य में किराया-रोकने या कम से कम स्थगित रखने की बहस चल रही थी, जिसका नतीजा किराए के केवल वर्ष के अंत तक स्थगित रखने की सम्भावना में निकला। अधिकांश न्यून-आय घर-परिवारों की मदद के लिए यह बिल्कुल भी पर्याप्त नहीं था।

रोमा परिवारों के संदर्भ में, जो कोवार्स्का में रहा करते थे, पेंडेमिक के समय में किरायेदारों के अधिकारों के संरक्षण को ले कर यह पूरी बहस ग़लत दिशा में चल रही थी। आवास की परेशानी झेल रहे लोग - खासकर यदि वे रोमा हों - आम तौर पर नजरअंदाज कर दिए जाते हैं। आख़िर वैश्विक पेंडेमिक इनके लिए कुछ भी क्यों बदले? दुर्भाग्य से, इन लोगों के लिए, चेक राज्य द्वारा आपात घोषणा से भी कुछ भी नहीं बदला।

वार्नसडोर्फ के रास्ते पर, मार्कस पापे, पत्रकार व लेखक से, जिसने कोवार्स्का की परिस्थितियों पर हमारा ध्यान खींचा था, हमें जानकारी मिली कि चेक में रोमा-विरोधी शब्दकोश में एक नया शब्द जुड़ गया है - अब हम मूल "अप्रयोज्य" (unusable : nepouzitelnych) की जगह "असमायोजनीय" (inadaptable : neprizpusobivych) सुनते हैं। यदि यह बेहतर राजनीतिक सही पन की दिशा में प्रयास था,तो निश्चित रूप से गलत और असफल था।

रोमा के बारे में परीकथा का अंत

इवेता बालाजोवा अभी भी अपने पति और तीन बच्चों के साथ आधिकारिक रूप से पुनर्निर्माण के लिए खाली हो चुके फ्लैटों में से एक में रह रही है। बिना किसी करार के। वह किराया देना चाहती है, मगर लेने के लिए कोई है ही नहीं, उसे अब तक कोई नया अकाउंट नम्बर भी नहीं मिला है। वह उसी घर में अनधिकृत कब्जेदार बन चुकी है जिसमें रह कर कभी वह साफ-सफाई का काम करती थी और वर्षों से किराया देती आ रही थी।

क़रीब-क़रीब सारे फर्नीचर हटाए जा चुके हैं, जिससे कि अचानक निकाल दिए जाने की स्थिति में परिवार को इन्हें खोना न पड़े। बच्चे अपने कमरे में चटाई पर सो रहे हैं ; चौके में बस एक टेबल भर है। "यूक्रेनी नीले ब्लाक की पहले से ही सफाई कर रहे हैं, मुझे डर है कि अब वे यहाँ आने वाले हैं।" बालाजोवा उलटी तरफ़ के ब्लाक की ओर इशारा करती है। क्रिसमस से पहले, वह निश्चित नहीं थी कि उसे अंततः सड़क पर जाने को मजबूर होना पड़ेगा जैसा कि नया मालिक दलालों के जरिए धमकी दे रहा था। परिस्थिति अभी उतनी त्रासद नहीं हुई है, मगर किसी भी दिन सब कुछ तबाह हो जा सकता है।

सब कुछ बहुत आसानी से हल किया जा सकता था। जून में, वार्नसडोर्फ टाउन ने आवासीय संकट झेल रहे लोगों के लिए सामाजिक आवासीय व्यवस्था (सोशल हाउसिंग) की लीज का आह्वान किया था।ये फ्लैट एक यूरोपी ग्रांट का इस्तेमाल करते हुए रिनोवेट किए गए थे।

मगर टाउनहाल के पदाधिकारियों और राजनीतिज्ञों को बाला परिवार की परिस्थिति इतनी दुरूह नहीं लगी कि उन्हें उन सत्रह सामाजिक आवास योजना के फ्लैट में से एक दिया जा सके। इस समय केवल चार स्टूडियो उपलब्ध हैं और वे बड़े परिवारों के लिए उपयुक्त नहीं हैं। मेयर का कहना है कि कोवार्स्का के बच्चों वाले परिवार उस यूरोपी ग्रांट की शर्तों पर खरे नहीं उतरे जिसके सहयोग से सामाजिक आवासीय फ्लैटों का पुनर्निर्माण हुआ है।

रोलांद सोल्लोच, जो मेयर और पुजारी दोनों है, इस तथ्य की ओर इंगित करता है कि परिवार को टाउन द्वारा टी जी मसार्यका स्ट्रीट पर बनाए गए एक हॉस्टल में वैकल्पिक आवास का प्रस्ताव दिया गया था।

यह आपात आवासीय व्यवस्था, बाला परिवार के बजट को तबाह कर देगी। पांच सदस्यों वाले परिवार के लिए, जिनमे तीन वयस्क हैं, नगर द्वारा चलाए जा रहे हॉस्टल का मासिक किराया CZK15,600 (€600) होगा। इसके बाद भोजन, आने-जाने और अन्य खर्चों के लिए उनके पास बस चंद हज़ार चेक मुद्रा ही बचेगी।

बाला परिवार अंततः किसी ऐसी जगह पर नहीं जाना चाहता जहां वे अपनी निजता खो देंगे - और उनके बच्चों के लिए पढ़ पाना मुश्किल हो जायेगा। कुल मिला कर उन्हें बिल्कुल खराब आवासीय व्यवस्था के लिए भारी रकम देनी पड़ेगी। वह आवास पूरी तरह से उपेक्षित है, वहां जाने का एकमात्र रास्ता रिसेप्शन से होकर गुजरता है, और भवन को देख कर आसानी से किसी जेल का भ्रम हो सकता है। फिर भी टाउन प्रशासन उन्हें उसी भवन में कुछ कमरों के अलावा अन्य कोई सामाजिक आवासीय व्यवस्था नहीं देना चाहता।

सामाजिक हाउसिंग पाने के लिए राज्य सब्सिडी के नियम विभिन्न घर-परिवार समूहों के लिए हैं जिन्हें आवासीय व्यवस्था की गंभीर ज़रूरत है। मगर ऐसे उपसमूहों की संख्या बहुत अधिक है और आवासीय ज़रूरत से जूझ रहे लोगों की संख्या उपलब्ध सामाजिक आवास यूनिटों की संख्या से कई गुना ज़्यादा है। विट लेसाक, "प्लेटफॉर्म फॉर सोशल हाउसिंग" संगठन के एक अर्थशास्त्री का कहना है कि ऐसी स्थिति में सब्सिडी हासिल करने के लिए म्युनिसिपेलिटी आदि बहुत सारे आवेदनों में से आवेदकों का चयन करती हैं, और इसके लिए आम तौर पर अपने अनुसार प्राथमिकता समूहों, जैसे वरिष्ठों, आदि को चिन्हित करती हैं। उसके अनुसार वार्नसदार्फ यदि बाला परिवार जैसी स्थिति का सामना कर रहे परिवारों को अपार्टमेंट देती है तो उसके लिये सब्सिडी खोने का कोई खतरा नहीं है। और न ही इस बात में कोई सच्चाई है कि टाउनहाल ने पात्रता की जिन शर्तों को अपने वेबसाइट पर प्रकाशित किया है, उन पर ये परिवार खरे नहीं उतरते।

प्रच्छन्न नस्लवादी अक्सर तर्क देते हैं कि वे व्यक्ति की चमड़ी के रंग का कोई भेदभाव नहीं करते, बल्कि केवल यह देखते हैं की वे खुद अपनी आजीविका कमा रहे हैं और उनके बच्चे स्कूल जा रहे हैं या नहीं। बाला परिवार "शालीन रोमा" की इस श्रेणी की पाठ्यपुस्तक परिभाषा का प्रतीक है। वर्षों से श्रीमती बालाजोवा और उसके पति उसी टाउन की सेवा करते चले आ रहे हैं, जो अब उन्हें हॉस्टल के अतिरिक्त अन्य कोई आवासीय व्यवस्था देने से इंकार कर रहा है। "मैं राज्य पर आश्रित नहीं होना चाहती, इसमें सबसे बड़ी समस्या यह है कि आप को हमेशा ही कुछ न कुछ साबित करते रहना पड़ता है।", बालाजोवा सामाजिक कल्याण लाभों पर निर्भरता के अपने प्रतिरोध को स्पष्ट करते हुए कहती है।

उसका पति वार्नसदोर्फ म्युनिसिपल सेवाओं के लिए पंद्रह वर्षों से काम कर रहा है, और हालांकि बालाजोवा को आंशिक अपंगता पेंशन मिलती है, फिर भी उसे घर चलाने के लिए केयर टेकर और क्लीनर के दो अंश-कालिक जॉब करने पड़ते हैं। ये दोनों कई सालों से इसी तरह बिना किसी व्यवधान के काम करते आ रहे हैं। बालाजोवा, जिसे अपने वोकेशनल स्कूल के अंतिम साल में पढ़ाई छोड़नी पड़ी, जब वह अपने भावी पति से मिली थी, अपने बच्चों की शिक्षा को बेहद महत्व देती है और चाहती है कि वे सभी कम से कम एक वोकेशनल डिग्री तो ज़रूर ही हासिल करें। इसी के साथ वह अपनी विडम्बना से भी अच्छी तरह वाक़िफ़ है : वह काम कर रही है और वह सब कुछ कर रही है "जो उसे करना चाहिए", मगर फिर भी अंततः यह पूरा नहीं पड़ता। वह अपने बिना फर्नीचर के चौके में ऊँची आवाज़ में सोचती है, "मैं सोचती हूँ की यह मेरे लिए इस बात का पुरस्कार है कि मैंने हमेशा मेहनत की, समय से अपना किराया भरा, सामाजिक लाभों पर निर्भर नहीं रही, और अपने बच्चों का बेहतर पालन-पोषण किया।"

हम मेयर सोल्लोच से कोई टिप्पणी नहीं हासिल कर सके, मगर कई बार की कोशिशों के बाद, जिस दिन हम वार्नसदोर्फ गए, उसने कम से कम उस ईमेल का जवाब दिया जो उसे मार्कस पेपे ने स्थिति पर टिप्पणी करने के लिए भेजा था। मेयर ने स्पष्ट कहा: "नगर (इन निवासियों की) ज़रूरतों को रोजगार कार्यालय, सामाजिक सेवाओं से बातचीत कर के, उपलब्ध आवासीय व्यवस्था की खोज (वार्नसदोर्फ से बाहर, जिससे वे इंकार कर देते हैं) के माध्यम से पूरा करता है। टाउन पर आवासीय व्यवस्था देने का कोई दायित्व नहीं है। हमारे पास काउंसिल फ्लैटों के लिए आवेदन किए हुए नागरिकों की लंबी प्रतीक्षा सूची है (जिसे रोमा नहीं समझते और उन्हें हर चीज़ बस तुरंत चाहिए होती है)। मुझे परिस्थिति को ले कर दुख है, मगर हर कोई यह पहले से ही जानता था कि उन्हें अपने घर छोड़ने पड़ेंगे और उन्होंने बिल्कुल कुछ भी नहीं किया। यहाँ तक कि जाने से पहले उन्होंने नए मालिक का फ्लैट भी ढहा दिया। आप शायद यह समझ सकेंगे कि मैं, एक मेयर के रूप में, उन्हें नए रिनोवेटेड फ़्लैट तो नहीं दूँगा, जिसे वे तुरंत नष्ट कर दें। बहरहाल, वे सब्सिडी नियमों के अनुसार इन फ्लैटों के लिए पात्र नहीं हैं। आपात स्थिति में, एक हॉस्टल है जिसका नगर ने प्रस्ताव किया है, मगर एक बार फिर, वे इसे स्वीकार नहीं करना चाहते, क्योंकि वहाँ रहने पर उन्हें कुछ नियमों का पालन करना होगा।

अपने जवाब में इस तरह मेयर और पुराने कैथोलिक चर्च का पुजारी कोवार्सका के सारे निवासियों को एक ही श्रेणी में झोंक देता है। खुद बालाजोवा, और उसके स्ट्रीट के अन्य लोगों के अनुसार, वह तभी से आवास की तलाश में है जब से उसने सुना कि उसे वहाँ से निकलना होगा। यहाँ तक कि उसने डिपाजिट के लिए कुछ पैसे भी जमा कर लिए जो अक्सर एक बड़ी समस्या रहती है। स्वाभाविक रूप से मेयर वह सच्चाई बता रहा है जो उसके मनमाफिक है। बालाजोवा के मामले में उसने खुद मीडिया के सामने उसके परिवार के लिए फ्लैट का वादा किया था, इसका स्पष्ट अर्थ था कि वह इस तथ्य को अच्छी तरह से जानता था कि टाउन का भी कुछ उत्तरदायित्व है।

घोषित मदद का तरीका भी, जिसमें टाउन केवल वार्नसदोर्फ के बाहर ही आवासीय व्यवस्था तलाशने की कोशिश करता है, अजीब और कानून द्वारा निर्दिष्ट सामाजिक सेवाओं के सिद्धांतों के विरुद्ध है। कानून के अनुसार, सामाजिक सेवाओं को इस तरह से काम करना चाहिए कि "प्रतिकूल सामाजिक परिस्थितियों को विषम होने से बचाया जा सके और और समावेशन को बल मिल सके" - इस मामले में निश्चित रूप से ऐसा नहीं हुआ है, जहां बाशिंदों से जबरन आवास ख़ाली करा कर उन्हें नगर से बाहर कर दिया गया हो, विशेषकर तब, जब अधिकारी जानबूझ कर वार्नसदोर्फ से बाहर आवासीय व्यवस्था खोजने में लोगों की मदद कर रहे हों। और अंत में, वह मूलभूत सवाल जिसको मेयर ने छोड़ दिया, और जिसके बारे में वह निश्चित रूप से अवगत है, कोवार्सका के लोगों के खिलाफ नस्लीय भेदभाव और कलंकीकरण का है, जिसके चलते उनके लिए आवास पा सकने की संभावना बाधित होती है। मगर उसे इसकी कोई परवाह नहीं है, क्योंकि वह खुद रोमा और कोवार्सका के लोगों, दोनो के ही खिलाफ पूर्वाग्रहों का पुनरुत्पादन करता रहता है।

घेट्टो और व्यवस्थातंत्र

आज, कोवार्सका काफ़ी व्यवस्थित नज़र आता है, और वार्नसदोर्फ और आस-पास के शहरों में उसकी भयावह-ख़तरनाक छवि अन्य जगहों से आने वालों को अटपटी लगेगी। मगर यहाँ हमेशा से ही इस तरह की शांति नहीं थी। इस छोटी सी अलग-थलग जगह की कहानी आंशिक रूप से चेक गणराज्य में आवासीय व्यवस्था के उपेक्षित-दयनीय प्रश्न की भी कहानी है। हाल के वर्षों में, सरकार ने दरिद्रता उद्योग के खिलाफ लड़ाई के अंग के रूप में आवासीय लाभों पर लगाम लगाते हुए उन्हें घटा दिया और शहरों को बिना आवासीय सब्सिडी वाले ज़ोन बनाने की अनुमति दे दी। मगर इससे जरूरतमंद लोगों की परेशानियों के हल में किसी भी तरह की मदद नहीं मिलती। दरिद्रता उद्योग के अस्तित्व, जिसमें गरीब के उत्पीड़न-शोषण के तमाम तरीके निहित हैं, का मूल कारण नहीं खत्म हुआ है।

2000 के दशक में, कोवार्सका में फ्लैटों के ब्लॉक स्थानीय टेकस्टाइल कम्पनी वेलवेता के थे और कर्मचारियों के रहने के काम आते थे।बाद में उन्हें जान नेमेक और पावेल प्राजक को बेच दिया गया ; उसके बाद से ज्यादातर रोमा और न्यून-आय समूह के लोग यहाँ रहने के लिए आने लगे। इवेता बालाजोवा, जो यहाँ बारह वर्ष से ज़्यादा समय से रह रही है, के अनुसार, प्रारम्भ में जीवन यहाँ सहनीय और यहाँ तक कि सुखद भी था, और मकानों की नियमित देखभाल होती थी। मगर फिर मालिकों ने हिसाब लगाया कि हाउसिंग लाभों को भुनाना कितना फ़ायदे का सौदा है, जिसका तब तक कोई फायदा नहीं लिया गया था। इसके जरिए आप राज्य से एक अंधेरे सीलन भरे तहख़ाने में भी तीन लोगों के आवास के लिये मदद हासिल कर सकते थे।

इसके बाद से घरों में जितना संभव हो सकता था, लोग ठूंस कर भरे जाने लगे, और भवन की साज-सज्जा व देखभाल अब मालिकों की प्राथमिकता में नहीं रह गयी। इस तरह उन्होंने लाखों में चेक पैसा बनाना शुरू कर दिया। जितने ज्यादा लोग, उतना ज्यादा पैसा। "उदाहरण के लिए, सेटेलमेंट के बारह लोग एक स्टूडियो में रहते थे और CZK 20,000 का भुगतान करते थे। मालिक सामाजिक सेवाओं से मिलने वाली समूची रकम अपनी जेब में रख लेता था। चूँकि वह देखता था कि इससे पैसा आ रहा है, उसे इस बात से कोई मतलब नहीं रह गया कि वह किन लोगों को वहाँ बसा रहा है।" यह कहना था मारिए हुचोवा का, जो एक समय उन फ़्लैटों के एक ब्लॉक में रहा करती थी। वह इस समय खुद उस भूमिका में है, जिसे टाउनहाल अथवा बेघरबारों की देखभाल करने वाले एनजीओ को पूरा करना चाहिए था।

कुल मिलाकर नतीजा बेहद भीड़-भाड़ भरी हाउसिंग, पूरी तरह से उपेक्षित सार्वजनिक-सामुदायिक उपयोग की जगहें, शराबखोरी, आपसी मारपीट, और पुलिस हस्तक्षेप था। उस समय चल रहे आर्थिक संकट और बेरोजगारी के भयावह स्तर के साथ मिल कर, जिससे उस्ती और लाबेम क्षेत्र सबसे ज्यादा प्रभावित थे, और जिसकी सीमा पर वार्नसदोर्फ अवस्थित है, इसका मतलब नस्लीय तनावों में वृद्धि थी, जिसके चलते तमाम नस्लीय मार्चों-रैलियों का आयोजन हुआ जिनमे भारी संख्या में बहु-देशीय नाज़ियों और स्थानिकों ने भागीदारी की।

बालाजोवा उन वक्तों को नहीं याद करना चाहती, मगर जब वह इस पर सोचने लगती है कि कब कोवार्सका ऐसी कुख्यात जगह में बदल गया, उसे उन नस्लवादी रैलियों और स्थानीय दरिद्रता उद्योग के चरम का समय बरबस याद आने लगता है। आप रहने के लिए जगह की तलाश करते हुए, (अपने पते के रूप में) कोवार्सका का नाम भर ले लीजिये और लीज की बातचीत शुरू होने से पहले ही ख़त्म हो जायेगी। कोई यहाँ के लोगों को नहीं चाहता। बालाजोवा को - शायद आश्चर्यजनक रूप से - इसके लिए कुछ सहानुभूति भी है : "लोगों की पहली लहर में, जो कोवार्सका से निकली, डिफाल्टर और तमाम तरह के लोग शामिल थे। हम लोग भले ही सभ्य-शालीन हों, मगर वे सब 'कोवार्सका' सुनते ही सोचने लगते हैं, कौन जाने कैसे लोग हैं।" वह आवास खोजने की परेशानियों के बारे में बताती है जिन्हें वह और उसका परिवार सितम्बर से ही झेल रहा है।" अगर वे इस बात से भयभीत न भी हों कि आप उनका भुगतान नहीं करेंगे, वे डरते हैं की आप फ़्लैट को नष्ट कर देंगे या वहाँ खटमल और कॉकरोच ले आयेंगे। आप उनसे जो मर्ज़ी वादा करते रहिए।" फिर भी कोवार्सका से एक समूह को वैकल्पिक आवासीय व्यवस्था नगर से तुरंत ही मिल गयी थी और वह भी बिना किसी नेगोशिएशन के झंझट के। यदि आप पूछेंगे कि ऐसे विशेषाधिकार के लिए उनकी योग्यता क्या थी, आप को इस जवाब से सामंजस्य बैठाना होगा कि वे श्वेत सेवानिवृत्त लोग थे।

फ़्लैटों के अब अभिशापित हो चुके इन ब्लाकों से सौ मीटर से भी कम दूरी पर एक स्थानीय पिज़्ज़ेरिया 'प्रिस्टीना' है, जिसे अल्बानी मालिक चलाते हैं। जब हम वहाँ लंच के लिए रुके, उत्सुक वेटर जल्दी ही पहचान गया कि हम स्थानीय नहीं थे। जैसे ही उसे पता चला कि हम कोवार्सका की वजह से वार्नसदोर्फ में थे, उसने तुरंत बात शुरू कर दी : "कोवार्सका? मैं तो इसे घेट्टो कहता हूँ, और मैं इसे किसी ग़लत अर्थ में नहीं कह रहा हूँ।"

वह हमें समझाता है कि जैसे वह हम लोगों की सेवा में परोस रहा है, फ्लैटों के उन ब्लाकों से बहुत सारे रोमा चौके के पिछवाड़े में मदद कर रहे हैं, और उसके पास उनमे से किसी के लिए एक भी अपशब्द नहीं है। यह जानकारी देते हुए कि कोवार्सका के क़रीब बीस रोमा उसके रेस्तराँ में अंशकालिक काम करते हैं और उसे उनको ले कर कोई शिकायत नहीं है, वह बताता है : "उन्हें अपने काम पर गर्व है। वे यहाँ आस-पास बैठा करते थे, पर अब यह स्थिति नहीं है।" इसके उलट, उनको धन्यवाद कि उनके कारण उसका रेस्तरां, कोविड के समय में भी अपेक्षाकृत बेहतर समृद्धि कर रहा है। कोवार्सका के रोमा उसके लिए अंशकालिक काम करते हैं और पिज़्ज़ा व अन्य खाद्य सामग्रियाँ आस-पास के इलाकों, विशेषकर जर्मनी में पहुंचाते हैं।

जब टाउन हाल अपने दायित्व में असफल रहता है

अन्य रोमा परिवार, जिन्हें अचानक कोवार्सका छोड़ना पड़ा, बावजूद इसके कि वे परेशान करने वाले किरायेदार की श्रेणी में नहीं थे, कहां गए ? उनमें से कुछ पास की एक बिल्डिंग में रहते हैं, जो पहले एक आरा मिल थी।ये वे बिना अनुमोदन के, ग़ैर-रिहायशी परिसर हैं, जिनकी दशाओं से वे पत्रकार भी विचलित हो जाते हैं, जिन्होंने ने विगत वर्षों में ओस्त्रावा में प्रेडिलिक, क्रुप्का, प्रेदनाद्राजी और अन्य बहुत से हॉस्टलों की जीवन दशाओं का हाल देखा है। नोवोत्नी परिवार, सात बच्चों के साथ, एक कमरे में ठूंसा हुआ है जिसकी दीवारें प्लास्टरबोर्ड की बनी हैं। वे इसके लिए हर महीने नकद CZK 10,00 भुगतान करते हैं और जिसके लिए कोई करारनामा भी नहीं है। उन्हें भी टाउन हाल से शून्य सहानुभूति मिली थी, और उनसे साफ कह दिया गया था कि कोवार्सका के लोगों की कोई मदद नहीं करेगा।

हेलेना नोवोत्ना बताती है :"उन्होंने कहा कि काउंसिल फ्लैट पाने के लिए हम शर्तें पूरी नहीं करते, क्योंकि मैं काम कर रही हूँ। इसलिए हमें यह जगह खुद खोजनी पड़ी और वह भी रातो-रात।", उसने आगे बताया कि टाउन हाल ने उसके परिवार को वार्नसदोर्फ छोड़ने और स्लुकनोव या फिर लिबेरेक के किसी हॉस्टल में चले जाने की सलाह दी थी। "मगर मैं यहीं जॉब करती हूँ, और मेरे बच्चे यहीं स्कूल में जाते हैं। और फिर कोवार्सका के लोग स्लुकनोव में भी वांक्षित नहीं है।"

श्रीमती नोवोत्ना भी टाउन के लिए काम करती है। इसके बावजूद वह इस गंदी जगह के अलावा कोई दूसरी जगह नहीं पा सकी और वह भी कहीं ज्यादा पैसे पर और बिना किसी सामाजिक लाभ की सम्भावना के। करारनामे के बिना, उसके पास किराया भुगतान का कोई प्रमाण नहीं है, और इसके चलते वह किसी लाभ की हकदार नहीं है। उसका परिवार कोवार्सका से निकाले जाने के बाद मजबूरी में यहाँ आ कर बसने वाला कोई अकेला परिवार नहीं है। इस बिल्डिंग में करीब पचास लोग रहते है - और मिल कर एक बिना फर्नीचर के किचन, एक टॉयलेट, और एक स्नानघर का इस्तेमाल करते हैं।

हमें यह बिल्कुल साफ लग रहा था कि बेदखली की अंतिम लहर के कुछ और परिवार अन्यत्र भी रह रहे होंगे।और निश्चित रूप से ऐसा ही था। मेरी हुकोवा, कोवार्सका की एक पुरानी किरायेदार ने, जो अब चेक रेलवे से पहले का एक रेलवे मकान किराए पर ले कर रह रही है, अपने साथ लगभग बीस सदस्यों वाले तीन परिवारों को बसाया है जिनमे ज्यादातर बच्चे हैं। बेहद मजबूत इरादों और चरित्र वाली यह महिला मूलतः टाउनहाल की भूमिका निभा रही है और जब उसके वृहत्तर परिवार के लिए क्रिसमस से पहले जाने का कोई ठिकाना नहीं था, उसने उनके लिए एक तरह की सामाजिक आवासीय व्यवस्था बनायी।

उसने कोवार्सका के मालिक को फ्लैटों का चक्कर लगाते हुए और लोगों को तुरंत ख़ाली कर के चले जाने के लिए कहते देखा, और वह इस बात को याद नहीं करना चाहती। "उसने खटखटाया तक नहीं, उसने बस दरवाजे को ठोकर मारी और अंदर घुस आया, इसके बावजूद कि ये सभी लोग नियमित रूप से पूरा किराया देते आ रहे थे।" उससे बात करने का कोई फायदा नहीं था, उसका जवाब बिल्कुल साफ था: उसे किरायेदारों के भविष्य से कोई लेना देना नहीं है, फ्लैट उसके हैं और वह उनके साथ जो मर्जी कर सकता है। लोगों का आरोप है कि उसने किरायेदारों से यह भी कहा कि यदि वे सहयोग नहीं करेंगे तो इन 'परिस्थितियों' के लिए उसके पास लोग थे। हुकोवा के अनुसार वह माफिया के साथ अपने संपर्कों की बात कर रहा था।

"यदि मैं नहीं होती तो बच्चे अब तक बाल गृहों व संस्थाओं में होते और बाक़ी के सड़कों पर।" वह उन तीन परिवारों के बारे में सोचते हुए कहती है जिनके लिए उसने अपने घर दरवाजे खोल दिए। वह जोड़ती है कि वह क्रिसमस पर लोगों को सड़कों पर नहीं छोड़ सकती थी। बहरहाल विद्यमान स्थिति ने उसको और उसके प्यारों को थका डाला है - उसने सोचा था यह अस्थाई मामला है, शायद सप्ताह भर का, मगर अभी ही दो महीने से ऊपर गुज़र चुके हैं।

हुकोवा उन आठ महिलाओं में से एक है जो नवम्बर में टाउन हाल गयीं थीं और कोवार्सका के लोगों के भाग्य के साथ हो रहे खिलवाड़ को ले कर अपनी असहमति जाहिर की थी। उनमें से दो को अंततः मेयर सोल्लोच और डिप्टी मेयर जीरी सुचार्दा से मुलाकात का मौका मिला जो जो आवासीय नीतियों का प्रभारी है। पैंतालीस मिनट की मीटिंग के दौरान, उस आदमी ने हुकोवा का इतने सारे लोगों का ध्यान रखने के लिए धन्यवाद दिया और थोड़े और दिनों तक सब्र करने, और सबसे महत्वपूर्ण यह कि अब और कोई प्रदर्शन और मीडिया से सम्पर्क नहीं करने के लिए गिड़गिड़ाते हुए अनुरोध किया। उसने काउन्सिलरों से यह आश्वासन सुना कि टाउन जल्दी ही उन परिवारों के लिए आवास की व्यवस्था कर देगा जिनकी वह अस्थाई तौर पर मदद कर रही थी। मगर अब उस मीटिंग से एक माह से अधिक का समय बीत चुका है, और न तो मेयर और न ही डिप्टी मेयर उसके फोन का जवाब दे रहे हैं जबकि कोवार्सका के तीन परिवारों को अब तक कोई दूसरा घर भी नहीं मिल पाया है।

मेयर कार्यालय उसको जमेश एक ही जवाब देता है: मेयर अभी एक मीटिंग में हैं, डिप्टी मेयर यहाँ नहीं हैं, कोई भी उपलब्ध नहीं है। यही इस लेख के लेखकों का भी अनुभव रहा है। मेयर अथवा डिप्टी मेयर के साथ मीटिंग के लिए न तो फोन, और न ही लिखित अनुरोध का कोई नतीजा निकला - हमें उनकी तरफ से कोई भी जवाब नहीं मिला। टाउन हाल के प्रमुख प्रतिनिधियों में से कोई भी टाउन की स्थिति पर कोई स्पष्टीकरण नहीं देना चाहता था। वार्नसदोर्फ में हमारे द्वारा लिए गए साक्षात्कारों से स्पष्ट था कि वे किसी भी तरह का मीडिया प्रचार नहीं चाहते थे।

हुकोवा की नज़र में टाउन हाल का इरादा स्पष्ट है। उनका इरादा धीरे-धीरे कोवार्सका के लोगों को वार्नसदोर्फ से बाहर कर देने का है, उन लोगों को भी जो यहीं पैदा हुए थे। अन्यथा टाउन काउंसिल फ्लैटों में से कुछ उन परिवारों को आवंटित कर देती जिनको वह आश्रय दिए हुए है।" मेयर ने मुझे बताया था कि उनके पास फ्लैट हैं, मगर उन परिवारों के लिए नहीं, जिन्हें अपने सर पर छतों से हाथ धोना पड़ा है, बल्कि बेघर लोगों के लिए हैं। केवल कुछ ख़ास बेघर लोगों के लिए। मैंने उनसे कहा कि यह लोग भी अब बेघर है, उनके पास जाने के लिए कोई ठिकाना नहीं है।" हुकोवा अपना सर झटकते हुए कहती है कि वह पूरी तरह से थक चुकी है।

हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि वार्नसदोर्फ टाउन कुल 600 फ्लैटों का मालिक है। कोवार्सका के लोगों के अनुभव के आधार पर लगता है कि वार्नसदोर्फ ने ये काउंसिल फ्लैट यूरोपीय यूनियन के सहयोग से बनवाए हैं, और वे घेट्टो से रोमा लोगों के अलावा दूसरे सामाजिक समूहों के लिए लक्षित हैं। श्रीमती हुकोवा की बहन इस पूरी परिस्थिति को व्यंगात्मक रूप से समेटते हुए कहती है: "टाउन खुश है कि हम यहां आ पहुंचे हैं, उन्हें हमसे छुटकारा मिल गया और बस मामला खत्म।"

28 जनवरी,2021 से ताजा स्थिति

बाला परिवार कोवार्सका में अपने फ्लैट से जनवरी की शुरूआत में बेदखल किया गया था। और बहुत से लोगों के साथ वे मेरी हुकोवा के घर चले गए जहां पहले से ही पचीस लोग रह रहे थे। बाद में एक वियतनामी व्यापारी ने बाला परिवार को आवास देने का वादा किया था, मगर अभी सब कुछ अस्पष्ट है। मेरी हुकोवा, जिसने परिवारों को अपनी छत के नीचे लिया है, इससे ज़्यादा परिस्थिति को मानसिक रूप से झेल पाने की स्थिति में नहीं है और उसका परिवार अब वार्नसदफ से आठ किलोमीटर दूर रम्बर्क में आवासीय व्यवस्था ढूँढ रहा है। इस बीच, जब और बहुत से परिवार उसके साथ रह रहे थे, उस पर सर्विस चार्ज क़र्ज़ चढ़ गया था। टाउन हाल ने कम से कम उसे इस कर्ज से निकालने में मदद का वादा किया है। बृहस्पतिवार, 28 जनवरी,को "डीसेंट हाउसिंग इनिशिएटिव" (Iniciativa za dustojne bydleni) द्वारा आयोजित प्रदर्शन में प्राग से कई दर्जन लोगों ने भागीदारी की। इनमे भूतपूर्व ओम्बड्समैन आना सबातोवा भी थी, जिसने इस अवसर पर बोलते हुए टाउन हॉल को बेघरबार नागरिकों की मदद करने की उनकी कानूनी जिम्मेदारियों के प्रति चेताया। कार्यकर्ता अपने साथ सहायता सामग्रियाँ लाए थे, और परिवार को सार्वजनिक चंदे से जुटाई गई धनराशि भी उपलब्ध कराई गई। बहुत से स्थानीय रोमा ने भी इस प्रदर्शन में भागीदारी की थी।

Available in
EnglishFrenchSpanishGermanItalian (Standard)Portuguese (Brazil)HindiPortuguese (Portugal)
Authors
Lukáš Rychetský and Pavel Šplíchal
Translators
Vinod Kumar Singh and Surya Kant Singh
Date
29.03.2021
Source
A2larmOriginal article🔗
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