Statements

ओडिशा के ढिंकिया में ग्रामीणों पर हुए ज़ुल्म के खिलाफ संयुक्त वक्तव्य

हम ओडिशा पुलिस द्वारा 14 जनवरी को जगतसिंहपुर जिले स्थित ढिंकिया के ग्रामीणों पर घंटों तक की गई क्रूर पुलिस हिंसा की कड़ी निंदा करते हैं।
जिंदल स्टील वर्क उत्कल लिमिटेड के लिए जिला प्रशासन द्वारा भूमि अधिग्रहण के विरोध में पूरे क्षेत्र के ग्रामीण लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं।
जिंदल स्टील वर्क उत्कल लिमिटेड के लिए जिला प्रशासन द्वारा भूमि अधिग्रहण के विरोध में पूरे क्षेत्र के ग्रामीण लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं।

14 जनवरी को जैसे ही इलाके में रैली के लिए लोगों का जमावड़ा लगा तो पुलिस ने उनके साथ बेरहमी से मारपीट की। क्षेत्रीय टीवी चैनलों पर शाम की खबर में दिखाया गया कि महिलाओं और बच्चों का पीछा किया जा रहा है और उन्‍हें पीटा जा रहा है, पुलिस ने ज़मीन पर गिरे ग्रामीणों पर वार किया, शवों को पुलिस द्वारा रौंद दिया गया और लोग यहां-वहां बदहवास भागे जा रहे थे, मदद के लिए रो रहे थे। उसके बाद पुलिस ने वहां फ्लैग मार्च किया।

junputh land 2

अनगिनत ग्रामीण घायल हो गए। ओडिशा पुलिस द्वारा फैलाए गए आतंक और हिंसा के कारण कई लोग इलाज के लिए क्षेत्र से बाहर कदम नहीं रख सके। इनमें से कुछ का अता-पता अभी नहीं चल सका है। हो सकता है लोग अब भी जंगल में या पान के खेतों के बीच छुपे हुए हों, उनकी दरयाफ्त के लिए अब भी फोन कॉल आ रहे हैं।

छह लोगों को गिरफ्तार किया गया है जिनमें निम्‍न शामिल हैं: जन आंदोलन के नेता देबेंद्र स्वाईं; कैम्‍पेन अगेंस्‍ट फैब्रिकेटेड केसेज़ (भुबनेश्‍वर) के नरेंद्र मोहंती, जो क्षेत्र के दौरे पर आए थे; और मुरलीधर साहू, निमाई मल्लिक, मंगुली कंडी और त्रिनाथ मल्लिक। मुकदमा संख्या 21/22 जीआर-34/22 है, जिसमें आईपीसी, सीएलए और पीपीडीपी एक्ट की धाराएं 307, 147, 148, 323, 294, 324, 354, 336, 325, 353, 332, 379, 427, 506, 186 और धारा 149  लगायी गयी है। उनके रिश्तेदारों को बिना किसी सूचना के पुलिस वाहनों में जबरन घसीट कर भरा गया, अज्ञात स्थान पर रखा गया और 15 जनवरी की तड़के मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया। ऐसा जानबूझकर किया गया ताकि उन्हें मेडिकल जांच की मांग करने या पुलिस हिरासत के दौरान किसी को दुर्व्यवहार से अवगत कराने से रोका जा सके।

junputh land 3

गांव की गलियां अब सुनसान हैं, पूरे क्षेत्र और आसपास के गांवों में पुलिस है। वे अपने घरों के अंदर आतंक और धमकियों में बंद रहते हैं। कई को अपना फोन भी स्विच ऑफ करना पड़ा है। कई लोगों ने अपने घरों को बाहर से बंद कर दिया है और पीछे के प्रवेश द्वारों का इस्तेमाल कर रहे हैं।

ढिंकिया में सैकड़ों दलित परिवार हैं जो पान बेल के प्लाटों में मजदूरी का काम करते हैं या मछली पकड़ने का काम करते हैं। पुलिस ज्यादती में कई को निशाना बनाया जा रहा है। छह जनवरी को एक दलित परिवार के सात सदस्यों को गिरफ्तार किया गया है। इनमें शीबा मल्लिक, शंकर मल्लिक, कौशल्या परबती मल्लिक, कुसुम मल्लिक, शरत मल्लिक, सुजान मल्लिक और झीनी मल्लिक शामिल हैं।

15 जनवरी को त्रिलोचनपुर की ओर से ढिंकिया के बाहर ओडिशा-एसकेएम और उसके समर्थकों की एक टीम को उस समय रोक दिया गया जब वे लाठीचार्ज की घटना की जांच के लिए इलाके में घुस रहे थे और ग्रामीणों को समर्थन और एकजुटता प्रदान कर रहे थे। 50-60 से अधिक लोगों ने टीम को रास्ते में रोका, गाली दी और आरोप लगाया कि मानवाधिकार रक्षक गांव वालों के लिए परेशानी पैदा करते हैं। वे लोग धमकी दे रहे थे और अभद्र भाषा का इस्तेमाल कर रहे थे। उनके मुंह से शराब की बदबू आ रही थी। टीम में शामिल थे: महेंद्र परिदा, प्रफुल्ल सामंतराय, ज्योति रंजन महापात्र, प्रदीप्त नायक, संतोष राठा, जमेश्वर सामंतराय, सुजाता साहनी और रंजना पाढ़ी। टीम के तीन सदस्यों ने अभयचंदपुर थाने में शिकायत दर्ज कराई है।

इस वक्तव्य को लिखते समय खबर मिली है कि पुलिस प्रत्येक दरवाजे पर दस्तक दे रही है और लोगों से शांति समितियां बनाने के लिए बाहर आने के लिए कह रही है। शांति समितियों के नाम पर लोगों की जमीन की लूट को वैध ठहराने का सीधा सा मतलब है।

जेएसडब्ल्यू के लिए सभी साधनों के माध्यम से भूमि अधिग्रहण करने की राज्य सरकार की मिलीभगत स्पष्ट है क्योंकि यह लोगों और प्रगतिशील संगठनों के एक व्यापक वर्ग द्वारा की गई अपीलों की अनदेखी कर रही है।

  • राज्य मानवाधिकार आयोग को मनमानी और मनगढ़ंत गिरफ्तारियों के बारे में सूचित कर दिया गया है।
  • कई नागरिक समूहों और संगठनों ने मुख्यमंत्री से पुलिस तैनाती को वहां से हटाने की अपील की है, जब से ग्रामीणों ने खुद को बैरिकेड कर लिया था।
  • पीयूसीएल ओडिशा ने पुलिस को हटाने और सामान्य स्थिति बहाल करने की मांग की है।
  • ओडिशा-एसकेएम की ओर से राज्यपाल को अपील की गई है।

दरअसल, मुख्यमंत्री की चुप्पी से यह स्पष्ट होता है कि निगमों की ओर से आतंक, हिंसा और धमकियों का इस्तेमाल करने में राज्य सरकार की कितनी मिलीभगत है।  ढिंकिया छारीदेश की स्थिति ने एक बार फिर निरंकुश सत्ता के मजबूत हथकंडों द्वारा लोगों के संघर्ष से अर्जित किये गए लाभ को पीछे धकेलने को उजागर किया है। जन आंदोलन के संगठनों और समर्थकों को भी निशाना बनाया गया है। यह सब कवायद इसलिए की जा रही है ताकि ग्रामीणों को उनकी जमीन, आजीविका और जीवन की रक्षा के पूर्ण अधिकार से महरूम किया जा सके।

यह सर्वविदित है कि कैसे ढिंकिया छारीदेश के लोगों ने 2005 से 2017 तक कई साल संघर्ष किया और दक्षिण कोरियाई इस्पात समूह पोस्को को रोकने में विजयी होकर उभरे, लेकिन राज्य एक बार फिर सैकड़ों एकड़ उपजाऊ कृषि भूमि हड़प रहा है और पान की खेती करने वालों, मजदूरों और मछुआरे लोक को कंगाल कर रहा है। लैंड बैंक में पोस्को के लिए अधिग्रहीत जमीन रखने के अलावा सरकार जेएसडब्ल्यू को ज्यादा जमीन देने में मदद कर रही है। कंपनी को अभी पर्यावरण मंजूरी मिलनी बाकी है। इतना ही नहीं, एक स्‍टील प्‍लांट, एक कैप्टिच जेटी और एक सीमेंट कारखाने वाली जेएसडब्ल्यू परियोजना ओडिशा के नाजुक समुद्र तट पर तबाही का सबब बन जाएगी जो पहले से ही चक्रवातों की बढ़ती आवृत्ति और घटती भूमि की मार झेल रहा है।ओडिशा सरकार को खनन और इस्पात उत्पादन से होने वाले विनाश के प्रति आंखें खोलने की जरूरत है जो पारिस्थितिक तबाही में योदगान देते हैं।

हम ओडिशा सरकार से आग्रह करते हैं कि:

  1. तुरंत क्षेत्र से सभी पुलिसबल को हटा दे।
  2. 4 दिसंबर से ढिंकिया में हुए घटनाक्रम की हाईकोर्ट जज की अध्यक्षता में एसआईटी जांच कराए।
  3. पोस्को के खिलाफ आंदोलन से लेकर जेएसडब्ल्यू में अब तक लोगों पर लंबित सभी आपराधिक मामलों को वापस ले।
  4. न्यायिक हिरासत में चल रहे सभी लोगों को रिहा करे।
  5. पान की बेल के उन कृषकों को मुआवजा दे जिनकी पान की लताओं को पुलिस आतंक द्वारा जबरन उनकी सहमति या सहमति के बिना ध्वस्त कर दिया गया है ।
  6. पोस्को परियोजना के लिए अधिग्रहीत भूमि को वापस लोगों के हवाले करे।
  7. लोगों की भूमि, जीवन और आजीविका की रक्षा करे।
  8. नाजुक पूर्वी समुद्र तट की पारिस्थितिक स्थिरता को बनाए रखे और वैश्विक जलवायु संकट को रोकने के प्रयासों में सहभागी बने।
  9. बिस्वाप्रिया कानूननो, अधिवक्ता एवं कार्यकर्ता
  10. प्रफुल्ल सामंतराय, लोक शक्ति अभियान
  11. देबरंजन – गणतांत्रिक अधिकार सुरक्षा संगठन (जीआईएसएस)
  12. प्रमोदिनी प्रधान, पीयूसीएल ओडिशा
  13. शंकर साहू, अखिल भारतीय क्रांतिकारी किसान सभा (एआईकेएस)
  14. श्रीकांत महंती, चासी मुलिया संघ
  15. महिंद्रा परिदा, एआईसीसीटीयू, भुवनेश्वर
  16. भालचंद्र षडंगी, न्यू डेमोक्रेसी
  17. सुधीर पटनायक, पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता
  18. रंजना पाढ़ी, नारीवादी कार्यकर्ता और लेखिका
  19. सुजाता साहनी, कवि और कार्यकर्ता
  20. प्रमिला बेहरा, एआईआरडब्ल्यूओ, भुवनेश्वर
  21. सब्यसाची, टीयूसीआई, ओडिशा
  22. टूना मल्लिक, आदिवासी भारत महासभा, ओडिशा
  23. हेना बारिक, सचिव, बस्ती सुरक्षा मंच, भुवनेश्वर
  24. निगमानंद षडंगी, लेखक और अनुवादक
  25. श्रीमंत महंती, राजनीतिक कार्यकर्ता, भुवनेश्वर
  26. प्रमोद गुप्ता, राजनीतिक कार्यकर्ता, कोलकाक्टा
  27. वी गीता, नारीवादी इतिहासकार और लेखक, चेन्नई
  28. पीयूसीएल – राष्ट्रीय
  29. लोकतांत्रिक अधिकारों की संरक्षण समिति (सीपीडीआर) -तमिलनाडु
  30. सहेली महिला संसाधन केंद्र, नई दिल्ली
  31. पीयूसीएल, महाराष्ट्र
  32. महिलाओं के उत्पीड़न के खिलाफ फोरम (FAOW), मुंबई
  33. स्वाती आजाद, राजनीतिक कार्यकर्ता, भुवनेश्वर
  34. निशा बिस्वास, डब्ल्यूएस, कोलकाता
  35. सुजाता गोठोस्‍कर, श्रम अधिकार कार्यकर्ता, मुंबई
  36. आर्य, श्रम अधिकार कार्यकर्ता, नई दिल्ली
  37. वेंकटचंद्रिका राधाकृष्णन, थोझीलालार कूडम, चेन्नई
  38. टी वेंकट नरसिम्हन, थोझीलाल कूम, चेन्नई
  39. आलोक लड्ढा, शिक्षक, चेन्नई
  40. संतोष कुमार, वर्कर्स यूनिटी, नई दिल्ली
  41. अनुराधा बनर्जी, सहेली, नई दिल्ली
  42. शाम्भवी, महामंत्री, कलेक्टिव
  43. फेमिनिस्‍ट्स इन रेजिस्‍टेंस, कोलकाता
  44. कामगार किसान छात्र एकता मंच, कोलकाता
  45. रिफ्रैक्‍शन, कोलकाता
  46. क्रांतिकारी छात्र मोर्चा, कोलकाता 
  47. इंक्विलाबी स्टूडेंट्स यूनिटी, कोलकाता
  48. जलवायु संकट के खिलाफ शिक्षक, नई दिल्ली
Available in
EnglishHindiSpanish
Date
02.02.2022
Source
Original article🔗
Privacy PolicyManage CookiesContribution Settings
Site and identity: Common Knowledge & Robbie Blundell